टीईटी परीक्षा- 2017 का परिणाम दो माह में घोषित करने के आदेश
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। दो सदस्यीय डिविजन बेंच ने टीईटी परीक्षा- 2017 का परिणाम 14 प्रश्नों को हटाने के बाद घोषित करने के सिंगल बेंच के निर्णय को खारिज कर दिया है।
विधि संवाददाता
लखनऊ: हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। दो सदस्यीय डिविजन बेंच ने टीईटी परीक्षा- 2017 का परिणाम 14 प्रश्नों को हटाने के बाद घोषित करने के सिंगल बेंच के निर्णय को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने टीईटी परीक्षा- 2017 का परिणाम दो माह में घोषित करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार को परिणाम घोषित करने के अगले दो माह के भीतर सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2018 कराने का भी आदेश दिया गया है।
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यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर दिया। अपील में एकल पीठ के 6 मार्च 2018 के निर्णय को चुनौती दी गई थी। एकल पीठ ने यूपी-टीईटी परीक्षा-2017 के सम्बंध में जारी उत्तरमाला में 14 प्रश्नों को गलत पाया था।
एकल पीठ ने 18 अक्टूबर 2017 को जारी उक्त उत्तरमाला के 14 प्रश्नों को हटाने के बाद पुनः परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था। साथ ही पुनः परिणाम घोषित होने तक सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा- 2018 कराए जाने पर रोक लगा दी थी। उक्त आदेश को दो सदस्यीय डिविजन बेंच ने निरस्त करते हुए, मात्र तीन प्रश्नों को ही गलत पाया व इसी अनुसार ग्रेस मार्क देने का आदेश दिया है।
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तीन प्रश्नों को गलत पाया गया था
उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी एकल पीठ के 6 मार्च 2018 के निर्णय को परिवर्तित करते हुए, दो सदस्यीय डिविजन बेंच ने 17 अप्रैल 2018 को पारित आदेश में, मात्र तीन प्रश्नों को गलत पाया था व ग्रेस मार्क देने का आदेश दिया था।
लेकिन एकल पीठ के समक्ष याचिका दाखिल करने वाले याचियों ने सुप्रीम कोर्ट में 17 अप्रैल 2018 के आदेश को चुनौती देते हुए, कहा कि दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष दाखिल अपील में उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया व उन्हें सुने बिना ही आदेश पारित कर दिया गया। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उक्त याचियों को भी सुनने का आदेश देते हुए, मामला डिविजन बेंच के पास वापस भेज दिया था।
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