इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और इलाहाबाद जिला प्रशासन से पूछा है कि इलाहाबाद जिले में बने कांशीराम योजना के तहत सरकारी आवासों में कितने आवास खाली हैं और क्या चक गुलाम मोहम्मद बाजार अम्बेडकर बस्ती नैनी में विस्थापित लोगों को योजना के तहत आवास आंवटित किया जा सकता है। कोर्ट ने एक सप्ताह में जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खण्डपीठ ने यमुनापार विकास संघर्ष समिति के अध्यक्ष भगवती प्रसाद पाण्डेय व सामजसेवी देवेन्द्र तिवारी की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
याची का कहना है कि विगत 29 अक्टूबर 17 को स्टील अथारिटी आफ इण्डिया की मांग पर अम्बेडकर बस्ती के 60 मकानों को ढहा दिया गया जिससे सैकड़ों लोग बेघर हो गये है। टीएसएल की जमीन पर चालीस वर्षों से अम्बेडकर बस्ती में लोग निवास कर रहे थे। इस जमीन को स्टील अथारिटी आफ इण्डिया को दे दिया गया है। जिला प्रशासन ने बिना सुनवाई का मौका दिये अम्बेडकर बस्ती खाली करा ली गयी। मकान ध्वस्त कर दिये गये। याची का कहना है कि कांशीराम आवास योजना के तहत बने सैकड़ों आवास विगत सात वर्ष से खाली पड़े हैं ऐसे में पीड़ितों को सरकारी आवास का आवंटन किया जा सकता है।