HC ने कहा- बच्चों को अपने पसंद के स्कूल में पढ़ने का है अधिकार

Update: 2016-03-04 15:24 GMT

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बच्चों के अनिवार्य शिक्षा को लेकर अहम फैसला दिया। फैसले में कोर्ट ने कहा कि निःशुल्क शिक्षा का अधिकार एक्ट 2009 के तहत आने वाले बच्चों को अपने पसंद के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है।

कोर्ट ने क्या कहा?

-सरकार किसी पात्र बच्चे को इस आधार पर प्राइवेट स्कूल में पढ़ने से नहीं रोक सकती कि बच्चे के घर के पास सरकारी स्कूल है।

-अदालत ने यूपी सरकार के जनवरी 2016 में जारी शासनादेश को असंवैधानिक करार दिया है।

क्या था शासनादेश में?

-शासनादेश में कहा गया था कि शिक्षा का अधिकार कानून के तहत पात्र बच्चों को पहले सरकारी स्कूलोें में दाखिला लेना होगा।

-जहां सरकारी स्कूल न हो तब पास के किसी प्राइवेट स्कूल में दाखिल कराया जाए।

अजय पटेल ने दी थी याचिका

-मुख्य न्यायाधीश डॉ.डी.वाई.चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने दिया फैसला।

-वाराणसी के अजय कुमार पटेल ने दायर की थी जनहित याचिका।

-याचिका में शासनादेश को चुनौती दी गई थी।

-याचिका के अनुसार सरकार का यह शासनादेश अवैध है। क्योंकि बच्चों के अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा का अधिकार एक्ट 2009 में सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के बीच वरीयता देने का कोई प्रावधान नहीं।

-ऐसे में बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ने को विवश करना गलत है।

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