लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने छह साल की बच्ची से रेप के बाद हत्या के मामले में दोषी युवक को श्रावस्ती जिला अदालत से मिली फांसी की सजा को बहाल रखा है। कोर्ट ने फैसले के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए कहा कि जिस तरह से उसने यह घृणित काम किया, उसे समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं हैं।
कोर्ट की टिप्पणी
-जस्टिस एसवीएस राठौर और जस्टिस प्रत्युश कुमार की बेंच ने 25 साल की आयु होने के कारण नवयुवक की फांसी को उम्रकैद में तब्दील करने की मांग को नकार दिया।
-उन्होंने कहा कि दोषी ने छह साल की बच्ची के साथ अपने सेक्स की भूख मिटाने के लिए ना केवल रेप किया, बल्कि गला घोंटकर उसकी हत्या भी कर दी।
-पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आई चोंटों को देखकर लगता है कि बच्ची की लाश को देखकर उसके मां-बाप और गांववालों का कलेजा फट पड़ा होगा।
-यदि ऐसे अपराधी के साथ नरमी बरती तो समाज में गलत संदेश जाएगा।
-मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट बताते हुए कोर्ट ने युवक की फांसी पर मृत्युदंड की मुहर लगा दी।
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होली के दिन काली करतूत
-मामला श्रावस्ती जिले के थाना इकौना स्थित ग्राम सेमरगहा का है।
-8 मार्च 2012 को होली के दिन दोषी छोटकउ छः साल की बच्ची को गोद में लेकर नाच गाना दिखाने ले गया था।
-काफी देर होने के बाद जब बच्ची वापस नहीं आई तो गांव वाले उसे ढूढ़ने लगे।
-गांव के बाहरी हिस्से में बच्ची की उसकी लाश गन्ने के खेत में क्षत-विक्षत मिली।
ट्रायल कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा
-घटना की रिपोर्ट बच्ची के चाचा किशुन बहादुर ने उसी दिन थाने पर दी।
-केस का ट्रायल जिला जज श्रावस्ती की कोर्ट में चला। उन्होंने 29 मार्च 2014 को युवक छोटकउ को फांसी की सजा सुना दी।
-जिला जज ने सीआरपीसी की धारा 366 के तहत फांसी की सजा को कंफर्म करने के लिए हाईकोर्ट को संदर्भ भेज दिया था।
-वहीं, जेल से युवक ने अपने को निर्दोष बताते हुए अपील दाखिल की थी।
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-कोर्ट ने युवक का अपना कोई वकील न होने के चलते एडवोकेट अतुल वर्मा को उसकी पैरवी के लिए एमीकस क्यूरी नियुक्त किया था।
-उनका तर्क था कि मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित है। अभियेाजन अपना केस संदेह से परे साबित करने में असफल रहा है।
-वकील वर्मा का तर्क था कि गावं के प्रधान जालिम खान ने उसे इस केस में फर्जी फसंवा दिया क्योंकि बच्ची के पिता उसके यहां नौकरी करते थे।
-युवक को सुनाई गई सजा को सही ठहराते हुए अपर शासकीय अधिवक्त उमेश वर्मा और ब्रीफ होल्डर हेमंत पांडे ने तर्क दिया कि बच्ची को गोद में ले जाते हुए कई लोगों ने देखा था।
-युवक की बच्ची के मां बाप से कोई रंजिश भी नहीं थी। ऐसी हालत में उसे छूठा फंसाने का कोई कारण नहीं बनता था।
-बेंच ने सारे सबूतों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद पाया कि युवक ने ही रेप के बाद बच्ची की बेदर्दी से गला घोंटकर हत्या कर दी थी।