Lucknow News: उच्च शिक्षण संस्थान तो बढ़े पर घट गए 4.27 लाख विद्यार्थी, नैक मूल्यांकन में संस्थानों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

Lucknow News: एक ओर जहां उच्च शिक्षण संस्थान बढ़ रहे हैं तो वहीं इन शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। यही नहीं गुणवत्ता में भी कमी देखने को मिली है।

Written By :  Ashish Kumar Pandey
Update:2023-02-23 16:14 IST

Lucknow News: एक ओर जहां उच्च शिक्षण संस्थान बढ़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ इन शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों की संख्या घट रही है। यही नहीं गुणवत्ता में भी कमी देखने को मिली है। यह बात सीएजी की रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार साल 2015-2016 में यूपी में 5,186 विश्वविद्यालय व डिग्री कालेज थे और विद्यार्थियों की संख्या 94. 88 लाख थी। साल 2019-20 में 7,183 विश्वविद्यालय व कालेज थे, लेकिन विद्यार्थियों की संख्या घटकर 90.61 लाख हो गई। मतलब पांच साल में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या तो 1,997 बढी लेकिन 4.27 लाख विद्यार्थी घट गए।

नैक मूल्यांकन कराने के लिए केवल 183 कालेज ही आए सामने

गुणवत्ता के मामले में भी बैकफुट पर वहीं राष्टीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक से ग्रेडिंग करवाने के मामले में भी उच्च शिक्षण संस्थानों ने बेरूखी दिखाई। यानी गुणवत्ता के मामले में भी विश्वविद्यालय व कालेज बैकफुट पर ही रहे। साल 2018-19 में राज्य के 498 उच्च शिक्षण संस्थानों ने मूल्यांकन कराया जो कि कुल उच्च शिक्षण संस्थाओं का 8.47 प्रतिशत थे। साल 2019-20 में नैक मूल्यांकन कराने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या घटकर 183 रह गई।

केवल 29 को ही ए ग्रेड मिला

नैक मूल्यांकन के लिए कुल उच्च शिक्षण संस्थाओं में से केवल 2.60 प्रतिशत उच्च शिक्षण संस्थान ही नैक मूल्यांकन के लिए आगे आए। इसमें से केवल 29 को ही नैक में ए ग्रेड मिला। यानी कुल उच्च शिक्षण संस्थानों के 0.40 प्रतिशत उच्च संस्थान ही नैक में एक ग्रेड रहे। यही नही साल 2019-20 में राज्य का सकल नामांकन अनुपात भी अखिल भारतीय नामांकन अनुपात से कम था। उस समय अखिल भारतीय नामांकन 27.10 था और राज्य का सकल नामांकन अनुपात 25.30 था।

नैक ने दिए ये सुझााव-

-साल 2030 तक सकल नामांकन अनुपात 40 प्रतिशत प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार को उन जिलों में जहां पर उच्च शिक्षण संस्थान कम हैं, वहां संख्या बढाएं और क्षेत्रीय असंतुलन दूर किया जाए।

-गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए सरकारी डिग्री कालेजों में आधारभूत सुविधाएं बढाई जाएं।

-प्राइवेट डिग्री कालेजों में फीस को भी घटाया जाए।

-पाठ्यक्रम में बदलाव कर उसे रोजगारपरक बनाया जाए।

-परीक्षा प्रणाली में बदलाव की जरूरत है। रिजल्ट समय पर घोषित किए जाएं। देर से रिजल्ट घोषित होना बडी समस्या है।

-प्लेसमेंट सेल को मजबूत बनाया जाए। अभी यह ठीक तरीके से काम नहीं कर रही है।

-विश्वविद्यालय व कालेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों के खाली पद तत्काल भरे जाएं।

-विश्वविद्यालयों को संबद्धता की प्रक्रिया को पारदर्शी व मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि मानक विहीन कालेजों को संबद्धता न मिल सके।

Tags:    

Similar News