एक ही पंडाल पर गणेश पूजा और मुहर्रम मना रहे हिंदू-मुस्लिम, पेश की गंगा यमुना तहजीब की मिसाल
कानपुर: कानपुर में गंगा यमुना तहजीब की अनूठी मिशाल देखने को मिल रही है। एक ही पंडाल के नीचे गणपति बाप्पा मोर्या का उद्घोष हो रहा है। वही दूसरी तरफ फातिया और दुआएं पढ़ी जा जा रही है। पंडाल के मेन गेट पर एक तरह हिन्दू ध्वज और दूसरी तरफ मुस्लिम ध्वज के बीच तिरंगा को फैराया गया है।
इस आपसी सौहाद्र को देखने वालो का ताँता लगा हुआ है। एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में हिंदू-मुस्लिम शामिल होकर उसे और भी बेहतर करने के प्रयास में लगे हुए है।
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जूही लक्ष्मणपुरवा इलाके में एक ही गली में दोनों धर्म के लोग अगल बगल ही गणेश पूजा व मोहर्रम मना रहे है। एक तरफ ढोल नगाड़ों की थाप में गणपति बप्पा मोरया की जयकार सुनाई दे रही तो दूसरी तरफ मुस्लिम अपने रीति रिवाज से मोहर्रम मना रहे है।
यहाँ की सबसे खास बात ये है कि जब हिन्दू वर्ग के लोग पूजा करते है तो मुस्लिम समुदाय के लोग उसमें शामिल होकर अपने साउंड को बंद कर देते है।
इसी तरह से जब मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम की दुआ,फातिया करते है तो हिन्दू धर्म के लोग अपना लाउडस्पीकर व भक्ति संगीत बन्द कर देते है। वहीं, दोनों समुदायों की माने तो इस तरह से कर के दोनों समुदाय एक दूसरे के बीच भाई चारे का माहौल बना रहे है और समाज मे हिन्दू मुस्लिम एकता का संदेश दे रहे है।इस तरह की पहल सच मे काबिले तारीफ है।
रिहाना और नरेंद्र पाण्डेय के मुताबिक यहाँ पर हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर एक दूसरे के त्योहारों में शामिल होते है। गणेश पूजन का आयोजन हमारे क्षेत्र पिछले कई दशको से मनाया जा रहा है। लेकिन इस आयोजन को हिन्दू मुस्लिम सभी मिलकर करते है। एक दूसरे का सहयोग करते है। जब गणेश विसर्जन का आयोजन होता है तो मुस्लिम भी जाते है।
इसी तरह से जब मुहर्रम के मौके पर ताजिया निकलती है तो उसमे हिन्दू भाई भी शामिल होते है। यह अजोजन आपसी भाई चारे से होते है यह सब देख कर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन भी हैरान रहता है। आपको बता दे कि ये स्थान बहुत ही सवेंदनशील माना जाता रहा है।
साथ ही पिछले साल मामूली सी बात पर बगल के मोहल्ले जूही परमपुरवा में दोनों समुदायों के बीच जमकर बवाल आगजनी भी हुई थी।इस बार भी पुलिस से लेकर एलआईयू को सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने के लिए लगाया गया है ,पर इस मोहल्ले के लोगो के तरह ही यदि सभी अपने दिल को बड़ा कर लें और साथ मिलकर एक दुसरे की भावनाओं को समझ कर एक दूसरे के धर्म की कद्र व सम्मान करें तो न सिर्फ कानपुर की बल्कि पूरे भारत की तस्वीर ही अलग नजर आए।