लखनऊः साध्वी प्राची ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मदरसों में 'जाहिलों' की फौज तैयार होती है जो भारत की खाते हैं और पाकिस्तान की गाते हैं। दारुल उलूम के फैसले पर प्राची ने कहा कि आज अशफाक और बिस्मिल भी स्वर्ग में ये फतवा सुनकर रो रहे होंगे।
साध्वी ने क्या कहा...
-राष्ट्र सर्वोपरि है, हर वो आदमी देशद्रोही है जो भारत माता की जय नहीं बोल सकता।
-मदरसों में आतंकवादी शिक्षा दी जाती है, फौज तैयार होती है।
-बिस्मिल और अशफाक भी ये फतवा सुनकर स्वर्ग में रो रहे होंगे।
-देश के सैनिक भी भारत माता की जय बोलते हुए शहीद हो जाते हैं।
-इन फतवों को जारी करने का मतलब नए आतंकवाद को जन्म देने की परंपरा है।
-मदरसों में जाहिलों की फौज तैयार होती है जो भारत की खाते हैं और पाक की गाते हैं
साध्वी निरंजन ज्योति ने क्या कहा
केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद के फैसले की निंदा की है। उन्होंने देवबंद के फैसले को कट्टरपंथी बताया। देवबंद ने गुरुवार को फतवा जारी कर कहा था कि मुसलमानों का भारत माता की जय बोलना गलत है। वो खुद को इस नारे से दूर रखें।
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-यह इस्लाम का कट्टरपंथ है, शहीदों का अपमान है।
-इस तरह की सोच रखने वालों को सोचना चाहिए कि हम कहां रह रहे हैं।
-उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान में नहीं भारत में रह रहे हैं।
-हम नहीं कहते हैं कि इस्लाम को मत मानो, लेकिन जहां रह रहे हो जिस देश की खा रहे हो उसको तो मानो।
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दारूल उलूम देवबंद ने जारी किया था ये फतवा
-इंसान ही इंसान को जन्म दे सकता है, तो धरती मां कैसे हो सकती है।
-मुसलमान अल्लाह के अलावा किसी की पूजा नहीं कर सकता तो भारत को देवी कैसे माने।
-मुसलमानों का भारत माता की जय बोलना गलत है। वो खुद को इस नारे से दूर रखें।
-मुसलमान एक खुदा में यकीन रखने वाला है जो खुदा के सिवा किसी दूसरे की पूजा नहीं कर सकता।
‘भारत से मोहब्बत, लेकिन नहीं कर सकते पूजा’
-मुफ्ती-ए-कराम ने कहा- बिला शुबाह भारत हमारा वतन है और हमारे बाब-ओ-अजदाज यहीं पैदा हुए हैं।
-हम औरों की तरह ही मुल्क से प्यार और मोहब्बत करते हैं। लेकिन वतन को अपना माबूद नहीं मान सकते। यानी की मुल्क की पूजा नहीं कर सकते।
-उन्होंने फतवे में कहा कि मुसलमान एक खुदा में यकीन रखने वाला और खुदा के सिवा किसी दूसरें की पूजा नहीं कर सकता।
-इस नारे में हिंदुस्तान को देवी के अकीदा समझा गया है जो कि इस्लाम मजहब के मानने वालो के लिए शिर्क (अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत करना) है।