UP: AIDS रोगियों में बढ़ोत्तरी, पुरुषों की संख्या सबसे अधिक

एड्स से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाने वाली संस्था यूपीएसएसीएस के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. मनु भटनागर ने बताया कि प्रदेश में 217 आइसीटीसी और एआरटी सेंटर यह अभियान चला रहे हैं। एड्स के लक्षणों की जानकारी मिलने के बाद रोगी इन केंद्रों पर खुद जाकर जांच करा रहे है।

Update:2018-01-11 14:49 IST

लखनऊ/ सहारनपुर: यूपी में करीब 26 हजार एचआइवी पॉजिटिव एड्स के रोगियों की पहचान हुई है जिसमें सहारनपुर में इसकी संख्या 300 से ज्यादा है।

एड्स से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान चलाने वाली संस्था यूपीएसएसीएस के जॉइंट डायरेक्टर डॉ. मनु भटनागर ने बताया कि प्रदेश में 217 आइसीटीसी और एआरटी सेंटर यह अभियान चला रहे हैं। एड्स के लक्षणों की जानकारी मिलने के बाद रोगी इन केंद्रों पर खुद जाकर जांच करा रहे है।

प्रीवेंटिव केयर के अलावा व्यापक प्रचार भी

अब केंद्रों पर काउंसलर के अलावा मेडिकल अफसर भी स्थाई तौर पर एड्स के मरीजों की पहचान कर रहे है। प्रीवेंटिव केयर का पाठ पढ़ाने के अलावा इसका व्यापक प्रचार भी किया जा रहा है कि एचआईवी के वायरस किस तरह से संक्रमित होते है? इससे बचने के लिए सुरक्षित सेक्स का रास्ता अपनाने की सलाह इन केंद्रों पर दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में एड्स की जांच के लिए पूरी सतर्कता बरती जा रही है। ब्लड बैंक के खून की जांच के साथ गर्भवती महिलाओं की भी बराबर जांच कराई जा रही है। अगर किसी प्रेगनेंट लेडी मे एचआईवी पॉजिटिव पाया जाता है, तो माना जाता है कि उसका होने वाला बच्चा भी 20 फीसदी इस जानलेवा वायरस से संक्रमित हो जाएगा। लेकिन महिला के इलाज से बच्चे का यह संक्रमण 10 फीसदी कम किया जा सकता है।

कई जिलें में एड्स रोगी डिटेक्ट

आंकड़ों के अनुसार, पिछले जुलाई से सितंबर के बीच बस्ती, फैजाबाद, बस्ती, सुल्तानपुर और अंबेडकरनगर जिलों के 1025 एचआईवी एड्स रोगी डिटेक्ट किए गए है। इस बीच फैजाबाद के ही 70 मरीजों की मौत हो चुकी है।

एड्स सहारनपुर जिले में बढ़ती जा रही है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है, लेकिन इन प्रयासों का कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। जिला चिकित्सालय के एआरटी सेंटर के अनुसार 2013 से जिले में अब तक एचआईवी मरीजों की संख्या 1354 तक पहुंच गई है। जिसमें बच्चों सहित पुरूष और महिलाओं की संख्या भी अच्छी खासी है।

जिला अस्पताल में नवंबर 2013 में एआरटी सेंटर स्थापित हुआ है, तब से दिसंबर 2017 तक कुल संख्या 1354 है। इन मरीजों में वे लोग भी शामिल है, जिनका इलाज 2013 से पहले मेरठ में चल रहा था।

साल 2017 में पुरुष रोगियों की संख्या सबसे अधिक

साल 2016 में 258 एचआईवी मरीज सामने आए थे। वहीं दिसंबर 2017 तक के आंकड़े पूर्व वर्ष के आंकड़ों को पार कर 309 तक पहुंच गए है। यानि 2017 में 51 एचआईवी मरीजों का इजाफा हुआ हैं। इन वर्षो में पुरुष मरीजों की संख्या ज्यादा बढ़ी हैं। वहीं महिला और बच्चों की संख्याओं का बढ़ना भी आश्चर्य की बात है। वर्ष 2016 में एड्स पीड़ित पुरुष रोगी 157 तथा महिला रोगियों की संख्या 97 थी, जो वर्ष 2017 में बढ़कर पुरुष 212, महिला 77 तथा बच्चों की संख्या 20 हो गई।

निजी चिकित्सकों को आदेश

अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉक्टर सत्य सिंह का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की नजर में जितने ज्यादा से ज्यादा रोगी सामने आएंगे, उतने ही ज्यादा लोगों का उपचार स्वास्थ्य विभाग कर सकेगा। लेकिन, हैरत की बात यह है कि लोग शर्म के कारण खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं, जिस कारण उनका उपचार शुरू नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि इस बाबत निजी चिकित्सकों को भी आदेश दिए गए हैं कि यदि उनके यहां कोई एचआईवी पीड़ित रोगी आता है तो उसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को उपलब्ध कराई जाए, ताकि ऐसे रोगी को उपचार प्रदान किया जा सके।

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