महाराणा प्रताप की जयंती आज, 'अवकाश राजनीति' को लेकर निशाने पर सपा

Update: 2016-05-09 05:58 GMT

लखनऊ: सपा सरकार ने सोमवार को महाराणा प्रताप के जन्मदिन के अवसर पर अवकाश की घोषणा की है। इसे यूपी में सपा के ठाकुर वोटरों को लुभाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं सरकार ने विपक्ष को सरकार पर अवकाश की राजनीति करने का आरोप लगाने का मौका भी ​पकड़ा दिया है।

इस तरह अब तक सरकारी अवकाश घोषित करने के बाद राज्य में सरकारी अवकाशों की संख्या बढ़कर करीबन 40 हो गई है।

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सपा ने की थी अवकाश की शुरुआत

-यूपी में नौ मई को अवकाश घोषित करने की कवायद सपा विधायकों ने ही शुरू की थी ।

-प्रदेश में क्षत्रिय वोटरों की संख्या 8 प्रतिशत से अधिक है।

-दर्जनों सीटों पर क्षत्रिय वोटर चुनाव में निर्णायक भूमिका में होते हैं।

2017 में हैं विधानसभा चुनाव

-2017 में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में चुनावों में क्षत्रिय वोटरों का समर्थन किसी भी पार्टी के लिए अहम है।

-पिछले 10 साल में यूपी में अवकाशों की सूची में 50 फीसदी की हो चुकी है बढ़ोत्तरी।

-भीम राव अंबेडकर की पुण्यतिथि को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया।

-पूर्व पीएम चंद्रशेखर की जन्म तिथि 17 अप्रैल को भी अवकाश घोषित किया गया है।

-समाजसेवी कर्पूरी ठाकुर के जन्मदिवस 24 जून को भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया।

जन्मदिन को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए : बीजेपी

-बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक का कहना है कि छुट्टियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

-महापुरुषों का सम्मान करना चाहिए। उनके विचारों को आगे भी बढ़ाना चाहिए। जन्मदिन को लेकर सियासत नहीं होनी चाहिए।

राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग पर केंद्र से करेंगे बात

गवर्नर राम नाईक ने क्षत्रिय समाज के लोगों की महाराणा प्रताप की जयन्ती पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किए जाने की मांग पर कहा कि यदि वे लिखित तौर पर उन्हें कोई प्रत्यावेदन देंगे तो वे निश्चित रूप से अपने स्तर से केंद्र सरकार से बात करेंगे। श्री नाईक सोमवार को महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर लखनऊ के हुसैनगंज चौराहा स्थित प्रतिमा पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे।

महाराण प्रताप का जीवन विषम परिस्थितियों में हार ने मानने की देता है प्रेरणा

-राज्यपाल ने कहा कि महाराणा प्रताप का संघर्षमय जीवन विषम एवं विपरीत परिस्थितियों में भी हार ना मानने की प्रेरणा प्रदान करता है।

-उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि महाराणा प्रताप का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा है।

-वह वीरता, अदम्य साहस और स्वाभिमान के प्रतीक हैं। उन्होंने किसी के आगे कभी सिर नहीं झुकाया।

-राजस्थान के महाराणा प्रताप और महाराष्ट्र के छत्रपति शिवाजी महाराज ने मातृभूमि की रक्षा के लिये स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया।

-महाराणा प्रताप का व्यवहार और युद्धनीति देश के लिये आदर्श के रूप में है।

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