बहराइच: सड़क हादसे में जख्मी एक मरीज का बिस्तर छीन कर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ने उसे मरने के लिए छोड़ दिया है। घायल और इनफेक्शन से परेशान इस मरीज को घर वाले पहले ही लावारिस छोड़ चुके हैं। अब उसके सामने सवाल है- कि वो जाए तो कहां जाए?
तंगी ने छुड़ाए रिश्ते
-डेढ़ साल पहले एक सड़क हादसे में घायल हुए नाजिम इलाज से बच तो गए, लेकिन पैर पूरी तरह ठीक नहीं हुए।
-कमाई करने लायक नहीं रहे तो परिवार ने बोझ समझ कर उन्हें घर से बाहर कर दिया। परिवार की बेरुखी से नाजिम को गहरा सदमा लगा।
-नाजिम अली (40) का लखनऊ में आलमबाग के मुस्लिमनगर में भरा पूरा परिवार है।
-4 मार्च को नाजिम की मुलाकात देहात कोतवाली के कांस्टेबिल राकेश कुमार से हुई। राकेश ने बेघर नाजिम को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। इलाज से उनकी हालत सुधरने लगी।
मर गई इंसानियत
-तभी पता चला कि उनके पैर गैंगरिन की चपेट में हैं। इसके चलते उनके पैर सड़ रहे हैं, और बदबू आने लगी है।
-ये पता चलते ही शनिवार को अस्पताल स्टाफ ने उनसे आइसोलेशन वार्ड का बिस्तर छीन लिया और उन्हें रैन बसेरे के फर्श पर मरने के लिए धकेल दिया।
-संक्रमण बढ़ रहा है, जिससे नाजिम की मौत हो सकती है। लेकिन डॉक्टरों की संवेदना पहले ही मर चुकी है।
-अब सवाल है कि घर से ठुकराए और हॉस्पिटल से दुतकारे गए नाजिम कहां जाएं। वह कहते हैं- पास में पैसे नहीं हैं, तो न घर जा सकता हूं, न हॉस्पिटल।
अकेले नाजिम नहीं
-मोतीपुर में लावारिस हालत में मिले एक बुजुर्ग (80) को 108 एंबुलेंस के ईएमटी मनोज पाठक ने 9 अप्रैल को जिला अस्पताल पहुंचाया था।
-सड़क हादसे में घायल बुजुर्ग के पैर भी बुरी तरह सड़ रहे हैं। लेकिन न तो वक्त पर उनकी मरहम पट्टी हो रही है, और न दवा और भोजन मिलता है।
-गुजरने वालों की दया पर पेट भर जाता है।
-न्यूज ट्रैक के सामने हॉस्पिटल में मुफ्त दवा, मुफ्त खाने, बिस्तर और इलाज की पोल खुल गई।