लखनऊ : यूपी का दुर्भाग्य रहा है, जब भी यहाँ चुनाव होते हैं, तो विरोधी दल सत्ताधारी दल पर बड़े आरोप लगाते हैं और बड़े बड़े दावे करते हैं। और जब सत्ता मिल जाती है, तो सब कुछ भूल जाते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ बीजेपी के साथ। सत्ता हाथ में नहीं थी, तो हर तरफ बुरा ही नजर आता था। लेकिन जब सत्ता मिली तो खुद ही उलझ कर रह गए हैं। कड़क मुख्यमंत्री की छवि बना रहे योगी आदित्यनाथ लचर प्रशासनिक व्यवस्था में उलझ कर रह गए हैं।
नौकरशाही उनकी सुन नहीं रही और मंत्रियों की अनुभवहीनता करेले पर नीम वाला काम कर रही है। योगी के मंत्री जितना सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। उसका आधा भी वास्तविक जीवन में एक्टिव होते तो इन 100 दिन में सरकार के पास दिखाने के लिए 'प्रत्यक्ष' तौर पर बहुत कुछ होता। सिर्फ हम ही नहीं उंगली उठा रहे बल्कि पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी सरकार को आईना दिखाया है।
उन्होंने कहा कि सरकारें बड़े-बड़े वादों के साथ आती और जाती रहीं, पर प्रदेश विकास से उपेक्षित जाति, धर्म की राजनीति में ही उलझा रहा। पूर्व की दो सरकारों द्वारा गिफ़्ट में मिली क़ानून व्यवस्था व भ्रष्टाचार आज भी बड़ी समस्या है।
रिटायर आईएएस ने कहा,100 दिन में सरकार के पास बताने के लिए कुछ भी नहीं।
आईएएस राजीव कुमार की तारीफ करते हुए उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कि उनकी बहुत सुलझे हुए अधिकारी की छवि है। उन्हें प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी की कमान संभालने के लिए कार्यमुक्त किया जा चुका है। उनके समक्ष ऊपर से निचले स्तर तक 'ख़राब आदत' अकर्मण्य नौकरशाही, लचर वित्तीय प्रबंधन, भ्रष्टाचार, ख़राब क़ानून व्यवस्था की चुनौतियां खड़ी हैं।