खबरदार! अगर जुर्माने से बचना है तो इन पेड़ों को काटने से करें परहेज
मंत्रिपरिषद द्वारा जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को न्यून करने, अनियंत्रित पातन पर नियंत्रण, वृक्षावरण में वृद्धि, वानिकी को बढ़ावा दिये जाने तथा कृषकों की आय में वृद्धि के लिए वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के उपबन्धों में छूट प्रदान किये जाने के संबंध में कार्यवाही की जा रही है।
लखनऊ: पर्यावरण की सुरक्षा और उसे मजबूती प्रदान करने के लिए योगी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जिसके लागू होने से पारिस्थितिकीय संतुलन बिगड़ने से बचा रहेगा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आम जन पर न्यूनतम असर होगा। इस कदम से वृक्षों का आवरण भी बढ़ेगा।
ये फैसला कैबिनेट की बैठक में लिया गया है जिसके बाद भारतीय संस्कृति से जुड़े वृक्षों न केवल बचाना आसान हो जाएगा बल्कि उनका महत्व भी बरकरार रहेगा। सरकार के निर्णय के अनुसार पीपल, बरगद, नीम, आम (देशी/तुकमी/कलमी), साल, महुआ, बीजा साल, गूलर, पाकड़, अर्जुन, पलाश, बेल, चिरौंजी, खिरनी, कैथा, इमली, जामुन, असना, कुसुम, रीठा, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली/करधई, धौ, खैर, शीशम एवं सागौन के पेड़ कोई भी नहीं काट सकेगा। यदि अपरिहार्य स्थिति में काटना अनिवार्य है तो उसे इसकी इजाजत लेनी होगी।
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मंत्रिपरिषद द्वारा जैव विविधता संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को न्यून करने, अनियंत्रित पातन पर नियंत्रण, वृक्षावरण में वृद्धि, वानिकी को बढ़ावा दिये जाने तथा कृषकों की आय में वृद्धि के लिए वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976 के उपबन्धों में छूट प्रदान किये जाने के संबंध में कार्यवाही की जा रही है।
इतना ही नहीं वृक्ष स्वामी द्वारा काटे गये प्रत्येक वृक्ष के स्थान पर कम से कम 10 वृक्षों का आरोपण एवं परिपोषण किया जाना सुनिश्चित करना होगा। ऐसा करने का स्थान उपलब्ध न होने की स्थिति में वृक्ष स्वामी द्वारा वन विभाग में निर्धारित प्रतिपूर्ति रोपण धनराशि जमा करनी होगी। इस धनराशि से वन विभाग प्रतिपूर्ति पौध रोपण करवाएगा।
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