Sonbhadra News: इको सेंसिटिव जोन में खड़ी कर दी करोड़ों की बिल्डिंग, प्रशासन की रिपोर्ट में खुलासा

Sonbhadra News: जिला प्रशासन की अगुवाई में संयुक्त टीम की तरफ से की गई जांच में पूरा निर्माण प्रतिबंधित वन क्षेत्र सेंच्युरी की जमीन पर किए जाने की बात सामने आने के बाद से हड़कंप की स्थिति बनी हुई है।

Update: 2023-03-23 22:41 GMT
illegal building and tollways constructed of crores in eco sensitive zone

Sonbhadra News: मिर्जापुर के नारायणपुर से सोनभद्र के हाथीनाला तक 111 किमी वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के निर्माण के एवज में जिला मुख्यालय पर लोढ़ी में, हाइवे से गुजरने वाले वाहनों से टोल वसूलने के लिए स्थापित टोल प्लाजा और यहां निर्मित किए गए कार्यालय और आवासों को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। बताते हैं कि नियमों और करार की शर्तों का उल्लंघन कर इको सेंसटिव जोन में करोड़ों की बिल्डिंग और टोलवेज का निर्माण कर दिया गया है।

जिला प्रशासन की अगुवाई में संयुक्त टीम की तरफ से की गई जांच में पूरा निर्माण प्रतिबंधित वन क्षेत्र सेंच्युरी की जमीन पर किए जाने की बात सामने आने के बाद से हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। सड़क निर्माण के समय तय की गई शर्तों का भी उल्लंघन पाया गया है। प्रशासन की तरफ से इसको लेकर रिपोर्ट भी एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में दाखिल कर दी गई है। अब इस पर एनजीटी का आखिरी फैसला क्या आता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। एनजीटी में मामले की सुनवाई के लिए 27 अप्रैल की तिथि तय की गई है।

यह है पूरा प्रकरण, ऐसे सामने आया पूरा सच

अधिवक्ता आशीष चौबे की तरफ से वर्ष 2022 में एक याचिका एनजीटी में दाखिल की गई थी। उस पर एनजीटी की तरफ से मुख्य सचिव वन, प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तर प्रदेश, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और डीएम सोनभद्र को संयुक्त टीम गठित कर, लोढ़ी में एसीपी टोलवेज लिमिटेड की तरफ से किए गए निर्माण की वस्तुस्थिति जांचने और रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए गए थे। इसके क्रम में, अपर जिलाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकारी ओबरा और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मौजूदगी वाली तीन सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच कराई गई। इसको लेकर प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन्य जीव प्रभाग से भी रिपोर्ट मांगी गई।

सामने आए इस सच ने हर किसी को कर दिया अवाक

जांच के दौरान पाया गया कि वन क्षेत्र के गैर वानिकी के लिए यूपी के विशेष सचिव की तरफ से जो स्वीकृति दी गई है, शर्त संख्या आठ में स्पष्ट लिखा गया है कि प्रयोक्ता अभिकरण वन भूमि पर श्रमिक कैंप स्थापित नहीं करेगा।
-शर्त संख्या 11 में अंकित है कि प्रयोक्ता अभिकरण सड़क के बाहर दोनों ओर कमरा आदि नहीं बनाएगा। कटान के समय हुई गंदगी और विजातीय पदार्थों को उस स्थान से हटाकर डंपिंग क्षेत्रों में दबाएगा।
-वन भूमि पर श्रमिक आवास स्थापित नहीं किया जाएगा। प्रयोक्ता अभिकरण सड़क निर्माण स्थल में कार्यरत मजदूरों एवं स्टाफ को जलावनी लकड़ी के अतिरिक्त अन्य कोई वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध नहीं कराएगा, जिसे समीप के वन चेत्र में किसी प्रकार की क्षति हो या वन क्षेत्र पर दबाव पड़े।

सामने आई इन खामियों ने निर्माण की वैधता पर खड़े कर दिए सवाल

प्रस्तावक विभाग ने मौके पर पूर्व में निर्मित मार्ग का चैड़ीकरण एवं उच्चीकरण न करते हुए नए मार्ग का निर्माण तथा नए मार्ग के दायीं तरफ एकीकृत एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग एवं आवासीय कक्षों का निर्माण किया गया, जो ले आउट प्लान के विपरीत पाया गया।
- ले आउट प्लान मानचित्र में पूर्व निर्मित मार्ग के बायीं आफिस बिल्डिंग का निर्माण किया जाना प्रस्तावित था लेकिन मौके पर नए मार्ग का निर्माण कर दिया गया।
- प्रभागीय वनाधिकारी सोनभद्र ने अपनी आख्या में बताया कि प्रयोक्ता अभिकरण द्वारा स्थापित आफिस एवं प्रशासनिक भवन का निर्माण, प्रस्ताव के साथ संलग्न ले आउट प्लान के अनुसार नहीं किया गया है।
- प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन्य जीव विभाग ने पत्र जारी कर जांच टीम को जानकारी दी कि प्रस्तावक विभाग द्वारा पूर्व में मौजूद वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग के बायीं तरफ टोल प्लाजा, आवासीय कालोनी आदि का निर्माण किया गया है जो कैमूर वन्य जीव विहार के इको सेंसटिव जोन के अंदर है, जिसके संबंध में किसी अनुमति की जानकारी विभागीय रिकर्ड में उपलब्ध नहीं है।

तो इस पर गरजेगा बाबा का बुलडोजर!

एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में अवैध निर्माण पर बाबा का बुलडोजर गरज रहा है। वहीं लोढी में निर्मित टोल प्लाजा और उससे जुड़े कार्यालय-आवास का निर्माण इको सेंसटिव जोन में किए जाने की बात सामने आने के बाद से, इसको लेकर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। प्रभागीय वनाधिकारी कैमूर वन्य जीव विहार का फोन पर कहना था कि जांच टीम ने जो जानकारी मांगी थी, उसे उपलब्ध करा दिया जाएगा। अब इस पर एनजीटी के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है।

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