पीली और बैगनी गोभी का गोरखनाथ मंदिर से है रिश्ता, खाने से बढ़ती है इम्यूनिटी

पीले और बैगनी रंग की गोभी की खेती को गोरखपुर के पीपीगंज स्थित महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौक माफी के कृषि वैज्ञानिकों ने संभव कर दिखाया है।

Update: 2021-01-26 05:05 GMT
पीली और बैगनी गोभी का गोरखनाथ मंदिर से है रिश्ता, खाने से बढ़ती है इम्यूनिटी (PC: social media)

गोरखपुर: कभी देखा है पीले और बैगनी रंग की गोभी? नहीं तो गोरखपुर में इसका दर्शन और स्वाद ले सकते हैं। इम्यूनिटी बूस्टर और हड्डियों को मजबूत करने में कारगर इस गोभी का गोरखनाथ मंदिर से भी रिश्ता जुड़ा हुआ है। इस गोभी को महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौक माफी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। पोषक तत्वों से भरपूर गोभी को अब कामर्शियल रूप देने की तैयारी हो रही है।

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इसमें फाइटो केमिकल्स और एंटी ऑक्सीडेंट भी होता है

पीले और बैगनी रंग की गोभी की खेती को गोरखपुर के पीपीगंज स्थित महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौक माफी के कृषि वैज्ञानिकों ने संभव कर दिखाया है। इसे प्रयेाग के तौर पर आधे एकड़ में बोया गया है, जल्द ही इसे व्यापक रूप दिया जाएगा। बैगनी गोभी की खेती करने वाले मनऊर के किसान विष्णु प्रताप सिंह का कहना है कि अब तक 100 के करीब किसान बीज के लिए उनसे सम्पर्क कर चुके हैं। चौक माफी के विशेषज्ञ डॉ. विवेक प्रताप सिंह बताते हैं कि रंगीन फूल गोभी कई पोषक तत्वों से भरपूर है। यह गोभी खूबसूरत ही नहीं इम्यूनिटी बूस्टर भी है। इसमें फाइटो केमिकल्स और एंटी ऑक्सीडेंट भी होता है।

बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लड़ने में सहायक होता है

बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लड़ने में सहायक होता है। इसमें कैल्शियम फॉस्फोरस मैग्नीशियम और जिंक हड्डियों को मजबूत बनाता है। यह बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। जिले प्रदेश एवं प्रदेश स्तर पर कृषि के क्षेत्र में अग्रणी किसान के रूप में पुरस्कृत विष्णु प्रताप सिंह कहते हैं कि उन्होंने प्रयोग के रूप में अपने खेत में इसे उगाया। लेकिन यह फसल अच्छी कीमत दिला सकती है। स्थानीय रेस्टोरेंट, होटल और फूड कोर्ट में इसकी अच्छी मांग है। इसके उत्पादक किसान काफी लाभान्वित हो सकते हैं।

कैंसर और मधुमेह से लड़ना हो तो लीजिए लाल गोभी का स्वाद

गोरखपुर के किसानों ने लाल पत्ता गोभी की भी खेती शुरू कर दी है। कौड़ीराम के जानीपुर के किसान इन्द्र प्रकाश सिंह लाल पत्ता गोभी की खेती कर रहे है। वह ड्रिप इरीगेशन सिस्‍टम द्वारा इसकी खेती कर रहे हैं। उन्‍होंने इसके लिए वाराणसी से बीज मंगाया था। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के वरिष्‍ठ वैज्ञानिक डा.एसके तोमर का कहना है कि लाल बंदगोभी सेहत का खजाना है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी व पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है। इसमें एंथोसायनिन पालीफेनाल उच्‍च मात्रा में होता है। इसलिए इस गोभी रंग बैगनी व लाल होता है। इसमें कैंसर रोधी तत्‍व, आयरन, कैल्सियम, एपोटेसियम, मेग्‍नेसियम जैसे तत्‍व प्रुचर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके चलते इसे कैंसर, मधुमेह, कुपोषण सहित तमाम बीमारियों से लड़ने में सहायक माना जाता है।

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रंगीन गोभी के लिए ठंडी एवं आंद्र जलवायु है जरूरी

महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौक माफी के विशेषज्ञ डॉ. विवेक प्रताप सिंह बताते हैं कि पीले और बैगनी रंग के फूल गोभी के लिए ठंडी एवं आंद्र जलवायु की आवश्यकता होती है। खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी काफी उपयुक्त मानी जाती है। जलवायु एवं मिट्टी के हिसाब से गोरखपुर की मृद्रा उपयुक्त है। इसे लगाने का सही समय सितंबर से अक्तूबर है। अगले सीजन में किसानों को केंद्र से इसका बीज उपलब्ध कराया जाएगा।

रिपोर्ट- पूर्णिमा श्रीवास्तव

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