सिद्धार्थनगर: मशरूम की खेती से काट रहे गरीबी का कुहासा, हो रही अच्छी कमाई
राधेश्याम वर्मा बढ़नी चाफा बाजार में फोटो कापी की दुकान चलाते हैं। इसी आमदनी से उन्होंने किसी तरह अपने दो बेटों अनिल वर्मा (22) व तोताराम (20) को इंटर तक पढ़ाया।
इंतज़ार हैदर
सिद्धार्थनगर: ग्रामीण इलाकों में गरीबी के चलते बच्चों को पढ़ाने के बाद अधिकतर अभिभावक रोजी-रोटी के लिए उन्हें बाहर भेजने को मजबूर होते हैं। लेकिन ज़िले के बढ़नी चाफा नगर पंचायत सोनबरसा वार्ड के राधेश्याम वर्मा ने अपने बच्चों को (जो बाहर जाने की तैयारी में थे) मशरूम की खेती से जोड़ने का काम किया। आज उनके बच्चे मशरूम के सहारे गरीबी का कुहासा छांट रहे हैं। और लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।
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राधेश्याम वर्मा बढ़नी चाफा बाजार में फोटो कापी की दुकान चलाते हैं
राधेश्याम वर्मा बढ़नी चाफा बाजार में फोटो कापी की दुकान चलाते हैं। इसी आमदनी से उन्होंने किसी तरह अपने दो बेटों अनिल वर्मा (22) व तोताराम (20) को इंटर तक पढ़ाया। आगे रोजगार के लिए कोई विकल्प न होने के कारण बाहर कमाई के लिए भेजने की मजबूरी आ गई। इसी दौरान करोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन भी लग गया। प्रवासी कामगार बड़े शहर से पलायन कर गांव पहुंचने लगे। इसी बीच छोटे पुत्र तोताराम को मशरूम की खेती का विचार आया।
उन्होंने बड़े भाई व पिता को इससे अवगत कराया
उन्होंने बड़े भाई व पिता को इससे अवगत कराया। फिर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग उ.प्र. के औद्योगिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र बस्ती में जा मशरूम तैयार करने का छह दिवसीय प्रशिक्षण लिया। लौटकर जुट गए तकदीर बदलने। निजी भूमि पर 30 बाई 70 फुट में मशरूम की खेती के लिए प्लांट तैयार किया। जिसमें लगभग डेढ लाख रुपये खर्च आया।
प्रति माह अबतक 40 हजार रुपये की कमाई हुई है
पिछले तीन महीने खेती से लगातार मशरूम की फसल तैयार कर नपं व आसपास के बाजारों में पहुंचा रहे हैं। बताया कि प्रति माह अबतक 40 हजार रुपये की कमाई हुई है। दोनों ने चार स्थानीय युवकों को भी इस प्लांट पर नौकरी दे रखी है जो फ रोजगार थे। तोताराम के उम्दा मशरूम की धाक क्षेत्र में जमती जा रही है। रोजगार प्राप्त करने वाले धर्मेंद्र चौहान, रम शई पासवान, हजारी व भेल्लर ने बताया कि अबतक हम लोगों को बाहर कमाई को जाना पड़ता थाः अब हम घर रहकर भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं।
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फैजाबाद तक करते हैं सप्लाई
तोताराम बताते हैं कि उनकी सप्लाई गोंडा, बलरामपुर के अलावा फैजाबाद तक होती है। बाहर से आने वाला मशरूम मंहगा होता है और मंहगा होता है, साथ में पैक कर आने के बाद बासी हो जाता है, लेकिन हमारे मशरूम जिस दिन तैयार होते हैं उसी दिन ग्राहकों तक पहुंच जाते हैं।
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