Lok Sabha Election 2024: यूपी में अलग हुए सपा-कांग्रेस के रास्ते, इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका, सीटों के बंटवारे को लेकर नहीं बनी सहमति

Lok Sabha Election 2024: सपा की ओर से कांग्रेस को 17 सीटें देने का आखिरी प्रस्ताव दिया गया था मगर कांग्रेस इस प्रस्ताव पर तैयार नहीं थी। कांग्रेस के बीस से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार न होने के कारण दोनों दलों की बातचीत टूट गई है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-02-20 13:55 IST
अखिलेश यादव और राहुल गांधी (सोशल मीडिया)

Lok Sabha Election 2024: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को उत्तर प्रदेश में करारा झटका लगा है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी है और जानकार सूत्रों के मुताबिक दोनों दलों के रास्ते अब अलग हो गए हैं। सपा सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत अब टूट गई है। सूत्रों का कहना है कि सपा अब गठबंधन से अलग होकर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। दोनों दलों की ओर से प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी है।

सपा की ओर से कांग्रेस को 17 सीटें देने का आखिरी प्रस्ताव दिया गया था मगर कांग्रेस इस प्रस्ताव पर तैयार नहीं थी। कांग्रेस के बीस से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार न होने के कारण दोनों दलों की बातचीत टूट गई है। उत्तर प्रदेश में विपक्षी गठबंधन टूटने का बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना है क्योंकि प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं। गठबंधन टूटने से भाजपा को बड़ा सियासी फायदा होने की उम्मीद है। हालांकि गठबंधन टूटने के संबंध में दोनों दलों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है।

20 से कम सीटों पर तैयार नहीं थी कांग्रेस

उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही थी। राजधानी दिल्ली में दोनों दलों के नेताओं के बीच कई दौर की वार्ता हुई थी और दोनों दलों के बीच सूचियों का आदान-प्रदान किया गया था। सपा की ओर से कांग्रेस को 17 सीटों का आखिरी प्रस्ताव दिया गया था। सपा के राष्ट्रीय सचिव और प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना था कि हमारी ओर से कांग्रेस को अंतिम ऑफर दे दिया गया है। पहले सपा ने कांग्रेस को 15 सीटें देने की बात कही थी मगर अब सीटों की संख्या बढ़ाई गई है।

दूसरी ओर कांग्रेस 20 से कम सीटों पर गठबंधन के लिए तैयार नहीं थी। जानकार सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की ओर से सपा को 20 सीटों की सूची भी सौंपी गई थी। तीन लोकसभा सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच पेंच फंसा हुआ था और इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सोमवार की देर रात तक दोनों दलों के बीच बातचीत हुई मगर समाधान का रास्ता नहीं निकल सका।

इसके बाद दोनों दलों के बीच बातचीत टूट गई और अब सपा और कांग्रेस के रास्ते अलग हो गए हैं। सपा सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि अब सपा मुखिया अखिलेश यादव की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से इस मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं होगी।

अखिलेश ने पहले ही दे दिया था रेड सिग्नल

दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे का मुद्दा तय न हो पाने के कारण ही सोमवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने राहुल गांधी के भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सा नहीं लिया था। सपा मुखिया अखिलेश यादव का कहना था कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर दोनों दलों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है और दोनों दलों ने अपनी-अपनी सूचियों का आदान-प्रदान किया है।

उनका कहना था कि जब तक दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग पर सहमति नहीं बनती है तब तक सपा का न्याय यात्रा में शामिल होना संभव नहीं है। सपा मुखिया अखिलेश यादव के इस बयान को कांग्रेस के लिए रेड सिग्नल माना जा रहा था और आखिरकार दोनों दलों के बीच सीट शेयरिंग के मुद्दे पर सहमति नहीं बन सकी।

तीन सीटों को लेकर फंस गया पेंच

जानकार सूत्रों का कहना है कि सपा की ओर से कांग्रेस को अमेठी, रायबरेली, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, वाराणसी, सहारनपुर, बागपत, अमरोहा, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, हाथरस, कानपुर, बाराबंकी, कैसरगंज,झांसी, सीतापुर और महाराजगंज सीटों का प्रस्ताव दिया गया था। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से मुरादाबाद, बलिया और बिजनौर लोकसभा सीटों की भी मांग की जा रही थी।

2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने मुरादाबाद लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी जबकि मेयर के चुनाव में कांग्रेस मुरादाबाद में नंबर दो पर रही थी और कुछ हजार वोटों से चुनाव हार गई थी। बलिया सीट पर सपा की मजबूत पकड़ मानी जाती है मगर कांग्रेस ने बलिया सीट की भी मांग रखी थी। सूत्रों के मुताबिक बलिया सीट पर कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को चुनाव लड़ना चाहती है।

सपा इन तीनों में से कोई भी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी और इस कारण दोनों दलों की बातचीत में गतिरोध पैदा हो गया। इसके साथ ही कांग्रेस को सपा की ओर से घोषित उम्मीदवारों को लेकर भी आपत्ति थी।

राहुल गांधी की न्याय यात्रा को भी लगा झटका

दोनों दलों की बातचीत ऐसे समय में टूटी है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा उत्तर प्रदेश में है। राहुल गांधी की यात्रा आज लखनऊ पहुंचने वाली है और यात्रा के स्वागत के लिए जोरदार तैयारियां की गई हैं। ऐसे में सीट शेयरिंग पर दोनों दलों के बीच बातचीत टूटने के बाद यह साफ हो गया है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव अमेठी के बाद लखनऊ या रायबरेली में भी यात्रा में हिस्सा नहीं लेंगे।

दोनों दलों के बीच सहमति न बन पाने के कारण विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया को बड़ा झटका लगा है। बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब और दिल्ली के बाद अब उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी गठबंधन बिखरता हुआ दिख रहा है।

भाजपा को होगा बड़ा सियासी फायदा

विपक्षी गठबंधन टूटने का उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने पहले ही प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। अब सपा और कांग्रेस के रास्ते भी अलग हो गए हैं। ऐसे में भाजपा विरोधी मतों के बंटवारे से भाजपा को बड़ा सियासी फायदा मिलने की उम्मीद है।

पीएम मोदी समेत भाजपा के अन्य नेताओं की ओर से पहले ही पार्टी के 370 प्लस और एनडीए के 400 पार होने का दावा किया जा रहा है। अब उत्तर प्रदेश में पहले से मजबूत एनडीए को और मजबूती मिलेगी। दूसरी ओर विपक्षी दलों की रणनीति को करारा झटका लगना तय है।   

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