लापरवाही: 4 साल बाद खाद लेकर पहुंची ट्रेन, लेटलतीफी का बना नया रिकार्ड

Update: 2018-07-26 14:51 GMT

गोरखपुर: भारतीय रेल अक्सर अपनी लेटलतीफी के लिए जानी जाती है। लेकिन इसी भारतीय रेल का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने लेटलतीफी के सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया है। मामला बस्ती जिले का है जहाँ साल 2014 में खाद लेकर विशाखापट्टनम से चला वैगन 4 साल बाद कल बस्ती पहुंचा। वैगन के यहां पहुंचते ही अधिकारी व कर्मचारी आश्चर्य में पड़ गए। संबंधित को सूचना दी गई तो हड़कम्प मच गया। इस ट्रेन के वैगन में जो खाद लदी है, उसके संबंध में बताया जा रहा है कि 50 फीसदी खाद प्रयोग लायक नहीं हैं। इस चूक का खामियाजा कौन भुगतेगा, यह तय करना भी अफसरों के लिए चुनौती बन गया है।

2014 में हुई थी बुकिंग

बस्‍ती स्‍टेशन पर एक मालगाड़ी में भटका वैगन (एसई 107462) स्टेशन पहुंचा। माल गोदाम के इंचार्ज को सूचना दी गई। जांच-पड़ताल शुरू हुई तो पता चला की इस खाद को कोई क्लेम करने वाला ही नहीं है और यह 2014 में बस्ती के लिए बुक किया गया था। लेकिन तब से अब तक यह वैगन कहां रह गया था कोई बताने वाला नहीं है। वैगन में 1316 डीएपी खाद की बोरियां मिली हैं, जो अधिकतर खाद जम गई है और कुछ बोरियां फट गईं हैं। इतना तो सब जानते हैं कि मालगाड़ी लेट रहती है पर, इतना भी लेट हो जाए तो आश्चर्य की बात है।

42 घंटे का सफर 4 साल में किया तय

विशाखापटनम से बस्ती स्टेशन 13 सौ 26 किलोमीटर रेल मार्ग है जहाँ पहुंचाने में कुल समय 42 घंटे 13 मिनट लगते हैं पर इस बैगन ने सभी रिकार्ड तोड़ डाले। इस खाद की लेटलतीफी के बारे में पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव का कहना है कि कभी-कभी कोई बोगी या वैगन जब सिक हो जाता है तो उसे ट्रेन से काटकर अलग कर दिया जाता है। और वह यार्ड में भेज दिया जाता है। इस खाद के बैगन के साथ भी यही हुआ होगा। फिलहाल अब इसके मालिक की खोज की जा रही है और यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर इसे यहां पहुंचने में इतना वक्त क्यों लगा।

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