आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज FIR पर पुलिस को दो माह में विवेचना पूरी करने का निर्देश

यह आदेश न्यायमूर्ति एन.ए. मुनीस तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने लालता प्रसाद की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना है कि याची ने अपने बेटे को पुलिस द्वारा झूठा फंसाए जाने की शिकायत पुलिस अधिकारियों से की लेकिन वे उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे है।

Update: 2019-05-08 14:23 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने थाना सकरार, झाँसी में जानलेवा हमला व आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर की 2 माह में निष्पक्ष विवेचना पूरी करने का निर्देश दिया है और याची से कहा है कि यदि उसके बेटे को फर्जी फंसाया गया है तो वह कोर्ट में अर्जी दे सकता है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एन.ए. मुनीस तथा न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने लालता प्रसाद की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता का कहना है कि याची ने अपने बेटे को पुलिस द्वारा झूठा फँसाये जाने की शिकायत पुलिस अधिकारियों से की किंतु वे उस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है।

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इस पर कोर्ट ने याची को धारा 156 (3) या धारा 190 /200 के तहत कोर्ट में अर्जी देने को कहा है। मालूम हो कि याची अपने बेटे हेमन्त राजपूत को लेकर बुलाये जाने पर गरौठा पुलिस स्टेशन 28 अक्टूबर 18 को गया।

थाना प्रभारी बी.एल. सिंह यादव लड़के को साथ लेकर गए और मुठभेड़ में गिरफ्तारी दिखा दी। इसकी शिकायत की एसएसपी ने सीओ से जांच कराई। ।7 दिसम्बर 18 की सीओ की रिपोर्ट में आरोप की पुष्टि की गयी है फिर भी एसएचओ पर कार्यवाई नहीं की गयी तो याचिका दाखिल की गयी थी।

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