IRCTC के तत्कालीन प्रबंधक केएम त्रिपाठी की अंतरिम जमानत खारिज
ईडी के विशेष वकील कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक सीबीआई ने अभियुक्त के खिलाफ आय से अधिक सम्पति का एक मामला दर्ज किया था। वर्ष 2017 में इसी मामले में ईडी ने भी अभियुक्त के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरु की थी।
विधि संवाददाता
लखनऊ: ईडी के विशेष जज अनिल कुमार ओझा ने मनी लांड्रिंग के मामले में आत्मसमर्पण करने वाले आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंधक केएम त्रिपाठी की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। केार्ट ने अभियुक्त की नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है।
ईडी के विशेष वकील कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक सीबीआई ने अभियुक्त के खिलाफ आय से अधिक सम्पति का एक मामला दर्ज किया था। वर्ष 2017 में इसी मामले में ईडी ने भी अभियुक्त के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरु की थी।
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विवेचना के बाद ईडी ने अभियुक्त की एक करोड़ 38 लाख 63 हजार 443 रुपए की सम्पति जब्त करते हुए उसके खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया।
चार अप्रेल, 2017 को ईडी की विशेष अदालत ने आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए अभियुक्त को जरिए समन तलब किया। लेकिन हाजिर नहीं होने पर उसके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया। ईडी की विशेष अदालत के इस आदेश को अभियुक्त ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। पांच नवंबर, 2011 को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए उसे विशेष अदालत के समक्ष 21 दिन में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
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हाईकोर्ट ने मांगी फायर सेफ्टी उपाय न करने वाले संस्थानों की सूची
हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भवनों में फायर सेफ्टी व आपदा प्रबंधन के अन्य उपायों को न अपनाने वाले शैक्षिक संस्थानों की सूची हलफनामे के साथ पेश करने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश के अनुपालन में दो सप्ताह में हलफनामा पेश करने को कहा है।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने अनिल कुमार यादव की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याची ने मांग की है कि शैक्षिक भवनों में आपदा प्रबंधन के उपाय व विशेषतः फायर सेफ्टी के उपाय पूर्णतया लागू कराने के आदेश राज्य सरकार को दिये जाएं।
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याचिका में लखनऊ के दो स्कूलों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उक्त स्कूलों में फायर सेफ्टी के लिए उपकरण लागू न कर के बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। पूर्व में कोर्ट ने इस याचिका पर सरकार से विस्तृत हलफनामा मांगा था, साथ ही न्यायालय ने इन उपायों को अपनाने वाले और न अपनाने वाले संस्थानों की अलग-अलग सूची भी हलफनामे के साथ देने का आदेश दिया था।
कोर्ट के आदेश के बावजूद हलफनामा दाखिल नहीं होने पर सरकारी वकील की ओर से और समय देने का अनुरोध किया गया जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने दो सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।