International Women's Day Special: प्रयागराज की मधु दिव्यांगों और गरीबों के लिए बनी मसीहा, कहानी कर देगी भावुक
International Womens Day Special: प्रयागराज की रहने वाली मधु दिव्यांगों के लिए एक मसीहा बनकर उभरी हैं। आइए जानते हैं इनकी दिलचस्प कहानी-
International Women's Day Special: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और इस मौके पर हम आपको प्रयागराज (Prayagraj) से दिखाने जा रहे हैं एक ऐसी महिला के जज्बे की दास्तां जो सभी वर्गों के लिए एक मिसाल बन गई है जो मुश्किल हालातो में टूट जाती है। प्रयागराज की रहने वाली मधु की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। मधु ने अपनी जिंदगी का सबसे कड़ा फैसला सन 2004 में लिया जब मधु ने ऐसे शख्स से शादी की जिसके दोनों हाथ ही नहीं थे। मधु ने बताया कि दोनों हाथ न होते हुए भी मधु को श्री नारायण से प्यार हुआ जिसके बाद उन्होंने परिवार वालों के रजामंदी के खिलाफ शादी की। आज मधु श्री नारायण के साथ हर कदम पर साथ दे रही हैं और उनके तीन बच्चे हैं।
एक दिव्यांग से शादी करने के बाद मधु के दिल में दिव्यांगों के प्रति कुछ अच्छा करने की सोच दिन पर दिन पैदा होती गई और मधु आज अपने घर में कई दिव्यांग छात्राओं को निशुल्क शरण देती हैं और उनका रहने और खाने का खर्चा भी खुद उठाती हैं। मधु और उनके पति श्री नारायण हर साल दिव्यांग और गरीबों की सामूहिक शादी भी करवाते हैं। कोरोना काल में मधु अपने पति के साथ मिलकर शहर के कई दिव्यांगों को हर दिन निशुल्क राहत सामग्री और भोजन सामग्री बाटती नज़र आई थी। मधु दिव्यांग महिलाओं के लिए सिलाई केंद्र भी खोली हुई है जहां कई दिव्यांग महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है।
15 सालों से दिव्यांगों की हर संभव मदद कर रहीं मधु
मधु ने जब श्रीनारायण से शादी की उसके कुछ ही साल के बाद श्रीनारायण की नौकरी दिव्यांगों के स्कूल में लग गई जिसके बाद उनके घर की दिक्कतें भी दूर होती गयी। मधु हर रोज स्कूटी से सुबह अपने पति को बस तक छोड़ने जाती हैं और शाम के वक्त उनको लेने। मधु भी प्राइवेट नौकरी करती गई, जिसकी वजह से घर में बच्चों की परवरिश भी अच्छी से होती गई। लेकिन उसी बीच मधु ने दिव्यांगों और गरीबों के लिए हर संभव मदद करने की ठानी और आज बीते 15 सालों से मधु अपने दिव्यांग पति के साथ मिलकर के दिव्यांगों की हर संभव मदद करती हुई आ रही हैं।
बीते 10 सालों से मधु दिव्यांग लोगों को किसी दूसरे धार्मिक शहर टूर पर भी ले जाती हैं, जिससे उनके दिमाग का विकास हो सके और उनको भी ऐसा लगे वह एक सामान्य व्यक्ति है। इसी वजह से मधु और उनके पति श्रीनारायण के चर्चा पूरे शहर भर में मशहूर है। मधु बताती हैं कि उनके पति से शादी होने के बाद उन्होंने उनके दर्द को समझा और धीरे-धीरे जब घर की आर्थिक स्थिति ठीक हुई तो उन्होंने भी यह मन बना लिया कि वह दिव्यांग और असहाय लोगों के लिए आगे आएंगी।
मधु और उनके पति श्री नारायण ने एक दूसरे का साथ दिया और आज उनको इतने पुरस्कार से नवाजा गया है कि उनका एक कमरा मेडल और अवार्ड से भरा हुआ है।
हादसे में कट गए थे पति के हाथ
मधु के पति श्री नारायण ने कहा कि जब वह 12 साल के थे तो एक हादसे में उनके दोनों हाथ कट गए थे जिसके बाद हर कोई उनसे दूरी बनाने लगा था। लेकिन जब वह इलाहाबाद विद्यालय में ग्रेजुएशन कर रहे थे तभी उनकी मुलाकात मधु से हुई और मधु ने उनकी कमजोरी को ही अपनी ताकत समझी। शादी के कड़े फैसले को मधु ने श्री नारायण से जाहिर किया जिसके बाद उन दोनों ने शादी की। शादी के बाद मधु ने इच्छा जाहिर की कि वह दिव्यांगों और गरीबों की मदद करेंगी और इसी इच्छा की वजह से आज वह दिव्यांगों की हर संभव मदद करती हुई आ रही हैं।
दिव्यांग छात्राओं को देती हैं पनाह
आज मधु अपने घर में ही कई दिव्यांग छात्राओं को भी पनाह देती है और उनका हर संभव खर्च भी उठाती हैं। दूर-दूर से पढ़ाई करने के लिए आई दिव्यांग छात्राओं का कहना है कि मधु मैम के अंदर उनको परिवार दिखता है, मां जैसी मोहब्बत दिखती है और एक अलग सा अपनापन और एहसास मिलता है जिसकी वजह से कई छात्राएं यहां पर रहती है।
गौरतलब है कि मधु ने एक दिव्यांग शख्स से शादी की जिसके दोनों हाथ ही नहीं थे और अब निस्वार्थ दिव्यांगों और गरीबों की मदद करना, यह साफ तौर पर बता रहा है कि मधु के अंदर एक ऐसी इंसानियत बचपन से ही पल रही थी जिसकी आज के दौर में सबसे ज्यादा जरूरत है। ऐसी महिलाओं को न्यूज़ ट्रैक भी दिल से सलाम करता है। हमारे संवाददाता भी मधु के घर गए और वहां का जायजा लिया।
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