मेरठ शहर के विधायक रफीक अंसारीः एक मुस्कराहट से कर देते हैं दुख दूर

बकौल, रफीक अंसारी मेरे पास कोई अपनी समस्या लेकर आता है तो मैं उसका धर्म और जात नहीं देखता और ना ही यह देखता हूं कि वह गरीब है या अमीर। यही वजह है कि मुझे चुनाव में सभी धर्म-संप्रदाय,जाति के लोगों का समर्थन मिला जिसके बल पर आज में विधायक बनकर आपके सामने हूं।

Update:2020-08-20 14:34 IST
मेरठ शहर के विधायक रफीक अंसारीः एक मुस्कराहट से कर देते हैं दुख दूर

सुशील कुमार

पिछले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की मेरठ शहर सीट से भाजपा के दिग्गज तथा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को शिकस्त देकर विधायक बने रफीक अंसारी की सबसे बड़ी खासियत स्थानीय वाशिंदे उनके चेहरे पर हरदम रहने वाली मुस्कराहट को बताते हैं।

ये हैं मुस्कराहट के मायने

लोगों का कहना है कि विधायकजी के चेहरे पर अपनेपन वाली ऐसी मुस्कराहट होती है कि अपने काम के सिलसिले में उनसे मिलने पहुंचने वाले लोग कुछ पल के लिए अपना दुःख ही भूल जाते हैं। इसका यह मतलब भी नहीं है कि रफीक अंसारी केवल मुस्करा कर अपने पास समस्या लेकर आये फरियादी को चलता कर देते हैं।

स्थानीय लोंगो की मानें तो रफीक अंसारी सबसे पहले फरियादी को इज्जत के साथ अपने पास बैठाकर चाय-पानी पिला कर उसकी समस्या सुनते हैं, फिर उसका समाधान कराने का पूरा प्रयास करते हैं।

यही वजह है कि जब वह मेरठ में अपने घर पर होते हैं तो उनके घर पर अपनी समस्या लेकर पहुंचने वाले लोगों का जमावड़ा सुबह से रात तक लगा ही रहता है।

इंसानियत की एक झलक

रफीक अंसारी के दरिया दिली और इंसानियत के कई किस्से हैं। इनमें एक किस्सा बिजली बंबा बाईपास की है जहां एक युवक व दो युवती को उन्होंने सड़क किनारे घायल अवस्था में देखा।

घटनास्थल पर लोग खड़े थे, लेकिन मदद को कोई आगे नहीं आ रहा था। रफीक अंसारी जोकि घटना के समय वहां से गुजर रहे थे तुरन्त अपनी कार रुकवाई और घायलों को अस्पताल पहुंचाया।

तकलीफें देख राजनीति में आए

पांच नम्बर 1962 को मेरठ में एक साधारण परिवार में श्री यासीन के घर जन्मे रफीक अंसारी का निकाह 8 अगस्त 1984 को खुर्शीदा के साथ हुआ, जिनसे उनके एक पुत्र व छह पुत्रियां हैं।

राजनीति‌ में कैसे आये के सवाल पर रफीक अंसारी कहते हैं, मैं बेहद साधारण परिवार से हूं। आज भी मैं हापुड़ रोड पर स्थित करीम नगर इलाके में मात्र 40 गज के मकान में रहता हूं।

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मैं इलाके की परेशानी देखता रहता था। चारों तरफ गंदगी, सड़क, पानी, बिजली आदि सबकी हालत खराब। ऐसे में मेरे मन में ख्याल आता था कि मैं किसी तरह अपने इलाके के लोगों को इन परेशानियों से निजात दिला सकूं।

इसके लिए मैने राजनीति का मार्ग चुना। 1995 में सभासद का पहली बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। लोगों का भारी समर्थन मिला। नतीजन जीत हासिल हुई। इसके बाद 2001 और 2007 में भी पार्षदी का चुनाव लड़ा और जीता।

इस प्रकार मैंने तीन बार लगातार पार्षदी का चुनाव जीता। पार्षद के रुप में क्षेत्र की जितनी भी समस्याओं का निराकरण करा सकता था मैने कराया। फलस्वरुप क्षेत्र की जनता ने भी मुझे अपने सिर-आंखों पर बैठाया। जनसमर्थन बढ़ा। नतीजन 2017 में मैने भाजपा के स्तंभ कहे जाने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को शिकस्त दी।

राजनीति में न आते तो बुनकर होते

राजनीति में नहीं आते तो दूसरा क्या काम करते? इस सवाल पर रफीक अंसारी इतना ही कहते हैं मैं बुनकर परिवार से था और आज भी हूं। जाहिर है कि राज नीति में नही होता तो बुनकर ही होता। वैसे मैं बता दूं कि बुनकर बहुत मेहनती कौम है। इसके बच्चे, बूढ़े जवान सब मिलकर काम करते हैं।

क्षेत्र की समस्याओं का जिक्र करने पर रफीक अंसारी शायराना शायराना मूड में आ गए। बोले, आज इतनी भी मयस्सर नहीं मयखाने में जितनी छोड़ दिया करते थे हम पैमाने में...।

इसके बाद उन्होंने मेरठ की एक-एक समस्याओं पर बोलना शुरू किया। बकौल, रफीक अंसारी- हापुड़ रोड पर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज है, उसमें करीब 2000 लड़कियां पढ़ती हैं, लेकिन लड़कियां जमीन पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

स्कूल के लिए कई बार विधानसभा से लेकर अधिकारियों तक आवाज उठाई गई कि वहां पर सीट की व्यवस्था कर दी जाए, लेकिन वहां पर एक भी सीट नहीं लगाई गई।

माइनॉरिटी क्षेत्र की उपेक्षा का आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि योगी सरकार जानबूझकर माइनॉरिटी क्षेत्र को उपेक्षित कर रही है। जो क्षेत्र माइनॉरिटी के हैं वहां पर कोई भी विकास कार्य नहीं हो रहा है। विधायक बीच-बीच में शेर सुनाते रहे। समस्या समाधान पर विधायक ने कहा कि सितम करोगे सितम करेंगे, करम करोगे करम करेंगे।

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बुनकरों की समस्याओं का जिक्र करते हुए सपा विधायक ने कहा कि बिजली बिल दिसंबर 2019 के बाद से पासबुक के आधार पर जमा नहीं हो रहे। पहले फ्लैट रेट के आधार पर बुनकरों के पासबुक से बिल जमा हो रहे थे।

अब सरकार के प्रस्ताव के अनुसार डीबीडी के माध्यम से बुनकर की छूट सीधी बुनकर के खाते में जाएगी। कहा कि इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। 18 मार्च को हथकरघा मंत्री के साथ बैठक हुई थी। इसमें संशोधन की रूपरेखा तैयार की गई और 23 मार्च से कोरोना संक्रमण के तहत लॉकडाउन हो गया था।

बुनकरों के लिए संघर्ष

जून के पहले सप्ताह में बुनकरों ने काम करना शुरू किया। 15 जून से बुनकरों के कनेक्शन कटाने का काम शुरू कर दिया गया।

रफीक अंसारी के अनुसार उन्होंने पिछले दिनों एमडी पीवीवीएनएल अरविंद मल्लप्पा बंगारी को ज्ञापन देकर मांग की कि बुनकरों को मदद दी जाए। उत्पीड़न बंद हो। जब तक शासन में तय न हो जाए, तब तक बुनकरों के बिजली कनेक्शन न काटे जाएं। जो कनेक्शन कटवाना चाहता है तो उसका कनेक्शन पीडी किया जाए।

अगस्त माह तक पावरलूम बिजली बिल पास बुक से जमा किए जाएं। एमडी ने ज्ञापन शासन को भेजने और मांगों पर विचार कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। रफीक अंसारी के अनुसार वे विधानसभा में भी कई बार बुनकरों की समस्या उठा चुके हैं।

बकौल रफीक अंसारी बुनकरों का मामला केवल मुसलमानों से ही जुड़ा नही है। वे आगे कहते हैं,-अब अगर प्रदेश में हिंदू धागा बनाता है, तो मुसलमान उससे कपड़ा बुनने का काम करता है। कपड़ा तैयार होने पर हिंदू व्यापारी इसे बाजार में बेचते हैं। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोग बुनकर व्यवसाय से जुड़े हैं।

काम कराए बिना चैन नहीं

रफीक अंसारी के अनुसार विधायक बनने के बाद मेरी कोशिश चुनाव में किये गये अपने वादों का पूरा करने की रही है। जिले में विपक्ष का मैं एकमात्र विधायक हूं। प्रदेश में हमारी सरकार नही है। इसलिए काम कराने में दिक्कत तो आती है। लेकिन, मैं भी हार मानने वालों में से नही हूं। जब तक काम करा नही देता चैन से नही बैठता हूं।

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कई काम अभी अधूरे हैं जैसे मेरठ में हाईकोर्ट बेंच का मामला। इसके अलावा मेरठ में 50 बेड का नया अस्पताल बनवाना मेरी प्राथमिकता है। क्योंकि मेरठ में पीएल शर्मा अस्पताल के अलावा कोई और अस्पताल नही है।

सपा सरकार में साढ़े तीन करोड़ रुपये भी मंजूर हुए, लेकिन अस्पताल नहीं बना। अब मैं अपने कार्यकाल में इसके लिए प्रयासरत हूं। यही नहीं बच्चियों को हापुड़ रोड से अन्य कॉलेज जाने में समय और पैसा खर्च हो है। उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने केलिए कमेले की जमीन पर बने राजकीय इंटर कॉलेज को डिग्री कॉलेज बनवाऊंगा।

पैसे के पीछे कभी नहीं भागा

मेरठ में हवाई पट्टी के विकास के लिए भी में गंभीर हूं। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मेरठ से हवाई उड़ान चाहते थे। सपा सरकार ने एमओयू भी किया था, लेकिन केन्द्र सरकार ने कुछ नहीं किया। मैं इसको लेकर विधानसभा में सवाल उठाऊंगा।

रफीक अंसारी कहते हैं मैं जिन्दगी में कभी पैसे के पीछे नही भागा। क्योंकि मेरा राजनीति में आने का मकसद दुःखी-पीड़ित जनता की सेवा करना था और हमेशा मैने इसको याद रखा है।

अपनी ईमानदारी का वह एक किस्सा भी सुनाते हैं। बकौल रफीक अंसारी, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के लिए उन्हें भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की तरफ से 10 करोड़ रुपये का ऑफर मिला था।

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रफीक ने बताया कि उन्होंने यह ऑफर ठुकरा दिया क्योंकि वह समाजवादी पार्टी के सच्चे कार्यकर्ता हैं और पार्टीलाइन से हटकर कोई कार्य नहीं करते।

रफीक अंसारी सांप्रदायिक राजनीति से खासी चिढ़ रखते हैं। वे कहते हैं जन-प्रतिनिधि जनता का होता है किसी धर्म विशेष का नहीं। इसलिए उसे सबकी बात और सबके साथ न्याय करना चाहिए।

बकौल, रफीक अंसारी मेरे पास कोई अपनी समस्या लेकर आता है तो मैं उसका धर्म और जात नहीं देखता और ना ही यह देखता हूं कि वह गरीब है या अमीर। यही वजह है कि मुझे चुनाव में सभी धर्म-संप्रदाय,जाति के लोगों का समर्थन मिला जिसके बल पर आज में विधायक बनकर आपके सामने हूं।

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