वाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर इनवेस्टर मीट को सफल बनाने की कोशिश दिखाने लगी रंग
उत्तर प्रदेश में फरवरी में होने वाली इनवेस्टर मीट के लिए अब यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री और अफसरों की कोशिश रंग लाती दिख रही है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फरवरी में होने वाली इनवेस्टर मीट के लिए अब यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री और अफसरों की कोशिश रंग लाती दिख रही है। कम से कम सरकारी दावे तो यही बता रहे हैं। हैदराबाद में रोड शो के दौरान जीवीके ग्रुप ने जेवर मे प्रस्तावित अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट एवं ऊर्जा क्षेत्र मे निवेश की इच्छा व्यक्त की।
सराकर ने 21-22 फरवरी को होने वाली इनवेस्टर समिट को नाक का सवाल बना लिया है। सरकार बाकयदा उसके लिए दो महीने पहले से कोशिश कर रही है। माना जा रहा है कि इस इनवेस्टर मीट का उद्घाटन अगर सब कुछ ठीक रहा तो प्रधानमंत्री भी कर सकते हैं।
सरकार की कोशिश रंग ला रही है
उत्तर प्रदेश सरकार की निवेश आमंत्रण की कोशिश रंग लाती दिख भी रही है। मुंबई और बेंगलुरु मे एयर पोर्ट बनाने वाले जी.वी.के. ग्रुप को हाल में नवी मुंबई का एयरपोर्ट बनाने का काम किया है। ग्रुप के मालिक प्रसन्न रेड्डी ने मंच से ही उत्तर प्रदेश मे निवेश की इच्छा जाहिर की। दरअसल जीवीके ग्रुप जेवर में बनने वाले एयरपोर्ट को लेकर खासा उत्साहित है।
जी वी के ग्रुप इसके अलावा ऊर्जा क्षेत्र मे निवेश को इच्छुक भी है। प्रसन्ना रेड्डी ने सीएम योगी आदित्य नाथ की तारीफ की और कहा कि वह पहले से ही उत्तर प्रदेश में काम कर रहे है और अब इंफ्रास्ट्रक्चर एवं बिजली के क्षेत्र मे निवेश करना चाहते है ।इसके अलावा हैदाराबाद में सी.आई.आई. हैदराबाद के अध्यक्ष तथा पूजो लानो ग्रुप के मालिक श्री अभिजीत पाई ने भी निवेश को लेकर इच्छा जाहिर कियी है।
समिट के लिए निकले दल का तीसरा पड़ाव है हैदराबाद
सरकार ने औद्योगिक नीति के फाइनल होते ही इसके लिए कोशिश शुरु कर दी थी। इसी कड़ी में दिल्ली, बंगलूरू और फिर हैदराबाद में बाकयदा एक प्रतिनिधि मंडल भेजा गया है। इस प्रतिनिधि मंडल की कमान औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के हाथ में है।
उनके साथ कई ऐसे अफसर हैं जिनकी प्रतिबद्धता को लेकर सवाल उठते रहे हैं पर इस बार इन सबको किनारे कर सरकार ने इनका इस्तेमाल निवेशकों को बुलाने के लिए किया है।
इस दल में औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप चन्द्र पाण्डेय,अतिरक्त मुख्य सचिव संजीव सरन, प्रमुख सचिव नवनीत सहगल, देवाशीष पांडा, डॉ. अरुण वीर सिंह, रणवीर प्रसाद, प्रबन्धक निदेशक, उ.प्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम हैं।
सरकार ने की पैकेजों की बारिश
निवेश तलाशने निकला यह दल निवेशकों को राहत पैकेजों से रूबरु करा रहा है। जैसे स्टार्टअप नीति के तहत आईटी और सूचना प्रौद्योगिकी यूनिट को किराए अथवा पट्टे पर ली गई भूमि के लीज या रेंटल में बीस लाख (2000000) रुपए प्रति वर्ष की अधिकतम सीमा सहित लीज रेंटल 4 प्रतिशत के 50% के बराबर की भरपाई सरकार करेगी।
बिजली के बिलों में 50% उपादान, जिसकी सीमा अधिकतम 50 लाख होगी को स्वीकार किया गया है। स्टार्टअप कार्पस फंड की सीमा सौ करोड रुपए से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपए कर दी गई है। निवेशकों द्वारा स्थापित की जाने वाली औद्योगिक इकाइयों को स्टांप शुल्क में छूट दी जाएगी।
यूनिट शुरु होने की तारीख से 5 वर्ष तक इम्प्लायर को ईपीएफ से 100 फीसदी छूट मिलेगी यह पैसा सरकार जमा करेगी। स्टार्टअप कंपनियों को घरेलू पेटेंट के लिए 5 लाख और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए दस लाख की प्रति पूर्ति सरकार करेगी। एक जनपद एक उत्पाद के अवधारणा के अंतर्गत प्रदेश के उत्पादों की राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई जाएगी
पांच साल में पांच लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य
गौरतलब है कि यूपी सरकार द्वारा अगले 5 वर्षों में पांच लाख (500000) करोड का निवेश स्थापित करते हुए सरकार द्वारा बीस लाख (2000000) रोजगार के अवसर सृजित करने का संकल्प किया है।