अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे 70 पार की उम्र वाले क़ैदी, रिहाई की तैयारियों में जुटा जेल प्रशासन
जेल प्रशासन अब पूरे प्रदेश में ऐसे क़ैदियों की सूची तैयार कर रहा है ताकि 70 की उम्र पार कर चुके बंदियों को आजाद कर दिया जाय। यह सूची इस बंधन से पूरी तरह मुक्त है कि कैदी किस जुर्म या इलज़ाम में बंद है। जेल प्रशासन की इस पहल को अनोखी पहल माना जा रहा है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद 70 पार उम्र वाले कैदी अब खुली हवा में सांस ले सकेंगे। जेल प्रशासन ने ऐसे कैदियों को आज़ाद करने का फैसला किया है। इसके लिए प्रदेश भर की जेलों में बंद बुजुर्ग कैदियों की सूची बनाने का काम शुरू हो गया है। इस रिहाई में यह पाबंदी भी नहीं होगी कि कैदी का जुर्म क्या है।
आजाद होंगे कैदी
यूपी की जेलों में बंद बुज़ुर्ग क़ैदी एक बार फिर आजादी का अहसास कर सकेंगे। प्रदेश के एडीजी जेल ने ऐसे कैदियों की सूची बनाने के आदेश दिये हैं, जो 70 साल की उम्र पार कर चुके हैं। जेल प्रशासन ने फैसला किया है कि ऐसे सभी बुजुर्ग कैदियों को रिहा कर दिया जाय।
जेल प्रशासन ने यह क़दम उस अनुभव के बाद उठाया है, जिसके तहत उसे दया याचिकाओं पर फैसला लेना पड़ा। पिछले कुछ महीनों में प्रशासन को सैकड़ों दया याचिकाएं मिली हैं, जिनमें से 147 क़ैदियों को सज़ा पूरी किये बिना ही रिहाई दे दी गई है। दया याचिकाओं की संख्या और ऐसे कैदियों की स्थिति को देखते हुए जेल प्रशासन ने खुद ही ऐसे क़ैदियों की सूची तैयार करने का फैसला कर लिया।
जुर्म का नहीं बंधन
जेल प्रशासन अब पूरे प्रदेश में ऐसे क़ैदियों की सूची तैयार कर रहा है ताकि 70 की उम्र पार कर चुके बंदियों को आजाद कर दिया जाय। यह सूची इस बंधन से पूरी तरह मुक्त है कि कैदी किस जुर्म या इलज़ाम में बंद है। जेल प्रशासन के इस कदम को अनोखी पहल माना जा रहा है।
यहां यह बताना जरूरी है कि पिछले 3 माह में सैकड़ों की संख्या में बुज़ुर्ग क़ैदियों ने राज्यपाल राम नाइक के दरबार में दया याचिका दी थी। इन्हीं याचिकाओें पर फैसला देते हुए 147 क़ैदियों को रिहा कर दिया गया। इतनी बड़ी संख्या में आ रही दया याचिकाओं के बाद अपर पुलिस महानिदेशक जेल गोपाल लाल मीणा ने प्रदेश भर की जेलों को बुज़ुर्ग क़ैदियों की सूची तैयार करने को कहा है।
जुटा जेल प्रशासन
पिछले एक माह के रेकॉर्ड पर ही निगाह डालें तो ऐसे 77 क़ैदी प्रदेश की जेलों से रिहा किये गए हैं। एडीजी जेल ने बताया कि सूची तैयार की जा रही है। इसके बाद इसकी समीक्षा की जाएगी और तब राज्यपाल से इजाज़त लेकर बुज़ुर्ग क़ैदियों को रिहा कर दिया जाएगा।