Janmashtami 2022: कान्हा की नगरी में 19 अगस्त को मनाई जायेगी जन्माष्टमी, मुस्लिम कारीगर बना रहे कान्हा की पोशाक

Janmashtami 2022: कृष्ण का जन्म स्थान कारागार होने की वजह से इस बार मथुरा जिला कारागार में भगवान कृष्ण की पोशाक ओडीओपी योजना के तहत बड़ी संख्या में बनाई जा रही हैं।

Report :  Nitin Gautam
Update:2022-08-16 11:50 IST

भगवान का मुकुट दिखाता दुकान मालिक (न्यूज नेटवर्क)

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Janmashtami 2022 in Mathura: कृष्ण का जन्म स्थान कारागार होने की वजह से इस बार मथुरा जिला कारागार में भगवान कृष्ण की पोशाक ओडीओपी योजना के तहत बड़ी संख्या में बनाई जा रही हैं, जो एक कंपनी के माध्यम से देश के विभिन्न मंदिरों एवं देश के बाहर विदेशों में भेजी जा रही हैं। 5000 की संख्या में बनने वाली इन पोशाकों को ऐसा नहीं है कि कोई प्रोफेशनल कारीगर बना रहे हो। भगवान कृष्ण के जन्म महोत्सव के बाद उनको पहनाए जाने वाली पोशाकों को वह कारीगर बनाने में जुटे हुए हैं, जो अपराध कर समाज में दहशत फैलने का काम किया करते थे।

पिछले लंबे समय से जेल में बंद हैं और अब ट्रेनिंग के बाद इन पोशाकों को बनाने में जुटे हुए हैं। पहले निजी संस्था हरी प्रेम सोसायटी गाजियाबाद ने इन कारीगरों से पोशाको का सेंपल बनवाया और फिर सेंपल बनी पोशाक बाजार में पास होने के बाद संस्था ने इन बंदियों को पोशाक बनाने का काम बड़ी संख्या में दिया है। सबसे खास बात यह है कि जिस बंदी के निर्देशन में पोशाक बनाने का काम किया जा रहा हे वह मुस्लिम है। 

कारीगर का कहना है कि यह तो मेरा सौभाग्य ही कि मुस्लिम होने के बाद मुझे भगवान की पोशाक बनाने का काम मिला है । लाखों लोगो में से मुझे जेल के अंदर यह काम करने का मौका मिला हे यह भगवान की ही कृपा है। भगवान की इस कृपा को वही समझ सकता है जो मुस्लिम होने के बाद भी इन पोशाक को बनाते है। हिंदू मुस्लिम के मुद्दे पर मुस्लिम कारीगर ने कहा कि सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है। उससे बड़ा धर्म ही कोई नही हे। - मुस्लिम कारीगर 

उधर जेल अधीक्षक बृजेश कुमार ने बताया कि जेल में बनी पोशाकों को लोग दो वजह से अधिक पसंद कर रहे हे । पहला लोगों का मानना है कि यह पोशाक भगवान कृष्ण की नगरी में बन रही हे और दूसरा यह कि भगवान कृष्ण का जन्मस्थान जेल था और यह पोशाक भगवान के कारागार में बन रही है - बृजेश कुमार जेल अधीक्षक 

सरकार सामाजिक संस्थाओ के मध्यम से यदि इसी प्रकार कैंदियो बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने ने सफल रही तो वह दिन दूर नही जब जेल पूरी तरह से सामाजिक सुधार गृह की भूमिका में नजर आएंगे। 

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