UP: पुलिस-प्रशासन और सिविल कोर्ट के न्यायिक अधिकारियों के बीच छिड़ी जंग, न्यायाधीश हुए सुरक्षा विहीन !
Jaunpur News: अपर पुलिस अधीक्षक नगर बृजेश कुमार ने कहा, 'वीआईपी ड्यूटी के चलते फोर्स की कमी और अनुपलब्धता के कारण दीवानी न्यायालय के न्यायाधीशों की सुरक्षा को हटाकर उन्हें वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी पर लगाया गया है'।
Jaunpur News: जौनपुर दीवानी न्यायालय (सिविल कोर्ट) के न्यायाधीश और पुलिस-प्रशासन के बीच का टकराव अब सतह पर आ गई है। सिविल कोर्ट के जज ने जिला एसपी की बात अनसुनी कर अपरोक्ष रूप से फटकार लगाया। जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने भी जज साहब की सुरक्षा में लगे सिपाहियों को तत्काल प्रभाव से वापस बुला लिया। फिलहाल हालत ये है कि, सिविल कोर्ट के जज सुरक्षा विहीन हैं। इस तरह जिले में न्यायाधीश बनाम पुलिस की टकराहट देखने को मिल रही है।
आखिर क्या है टकराहट की वजह?
दरअसल, 17 फरवरी को गाजीपुर जिले के कुख्यात और एक बड़े ठग की अदालत में पेशी थी। अपर सत्र न्यायाधीश शरद त्रिपाठी की कोर्ट में पेशी पर उक्त व्यक्ति आया भी था। अपराधी के खिलाफ चार्ज बनना था। लेकिन, अभियुक्त के वकील के एक प्रार्थना पत्र के कारण जज ने मुकदमे में तारीख लगाते हुए 27 फरवरी को पेशी का आदेश दिया। इसकी खबर मिलते ही पुलिस अधीक्षक डॉ अजय पाल शर्मा (SP Dr. Ajay Pal Sharma) स्वयं पुलिस बल के साथ सिविल कोर्ट पहुंच गए। न्यायाधीश शरद त्रिपाठी के समक्ष अभियुक्त का चार्ज बनाने की अपील की। तह सुनते ही न्यायाधीश नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि, पुलिस बल का कोर्ट के भीतर वह भी न्यायाधीश के चैंबर में घुसना उचित नहीं है। अपने सरकारी अधिवक्ता के जरिए बात करे। मुकदमे की तारीख तय हो चुकी है। उसी समय विचार होगा'।
न्यायाधीशों की सुरक्षा में लगे पुलिस वाले लौटे
जज की बात सुनने के बाद पुलिस अधीक्षक डॉ अजय पाल शर्मा तत्काल कोर्ट से बाहर चले गए। अपने पहुंचने के बाद 17 फरवरी को ही दीवानी न्यायालय के न्यायाधीशों की सुरक्षा में लगे सभी पुलिस वालों को तत्काल प्रभाव से वापस बुला लिया। इस दिन जिला एवं सत्र न्यायाधीश बाहर थी, इसलिए उनका सुरक्षा कर्मी वापस नहीं हुआ। एसपी का आदेश होते सभी पुलिसकर्मी जो न्यायाधीशों की सुरक्षा में लगे थे उन्हें वापस पुलिस लाइन जाना पड़ा।
हाईकोर्ट ने आदेश में ये कहा था
यहां बता दें कि, अदालत परिसर में लगातार हो रही गोलीबारी की घटनाओं को देखते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर सभी न्यायाधीश, जिला जज, एडीजे, ट्रिब्यूनल के जज, एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश सहित सभी मजिस्ट्रेट को सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करायी गयी थी। न्यायाधीश जब भी अपने आवास अथवा न्यायालय के बाहर होते थे, सुरक्षा गार्ड 24 घंटे उनकी सुरक्षा में लगे रहते थे।
न्यायिक अधिकारी सुरक्षा विहीन
जौनपुर में पुलिस अधीक्षक (एसपी) और न्यायाधीश के बीच की तनातनी के बाद शनिवार (17 फरवरी) को दीवानी न्यायालय के सभी न्यायिक अधिकारी सुरक्षा विहीन हो गए हैं। पुलिस और न्यायाधीश के बीच छिड़ी इस जंग का परिणाम क्या होगा यह तो भविष्य ही बताएगा। लेकिन, न्यायिक अधिकारी खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं।
...अब आगे क्या?
खबर ये है कि 17 फरवरी को जिला एवं सत्र न्यायाधीश किसी काम से बाहर रहीं, इसलिए उनका सुरक्षाकर्मी उनके साथ लगा रहा। देखना है कि, न्यायिक अधिकारी और पुलिस प्रशासन इस मामले को आपस में सुलझाता है। या फिर मामला ऊपर तक जाएगा। हालांकि, दोनों ओर से अपने उच्चाधिकारियों को स्थित से अवगत करा दिया गया है।
'वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी में लगाया गया है'
इस संदर्भ में अपर पुलिस अधीक्षक नगर बृजेश कुमार से newstrack.com ने जब बात की तो उन्होंने कहा, 'लगातार चल रही वीआईपी ड्यूटी के चलते फोर्स की कमी और अनुपलब्धता के कारण दीवानी न्यायालय के न्यायाधीशों की सुरक्षा को हटाकर उन्हें वीआईपी सुरक्षा ड्यूटी पर लगाया गया है'।