Jaunpur: लोकसभा के इस चुनाव में इतिहास रहेगा कायम रहेगा या फिर...? जानिए अब तक के सांसदो का नाम और कार्यकाल

Jaunpur News: देश में लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बजने के साथ ही पूरे भारत की सरकारी मशीनरी आयोग के अधीन होते हुए इस महापर्व को सम्पन्न कराने की तैयारियों में जुट गयी है।

Report :  Kapil Dev Maurya
Update:2024-03-17 20:15 IST

जौनपुर लोकसभा। (Pic: Social Media)

Jaunpur News: देश में लोकतंत्र के महापर्व का बिगुल बजने के साथ ही पूरे भारत की सरकारी मशीनरी आयोग के अधीन होते हुए इस महापर्व को सम्पन्न कराने की तैयारियों में जुट गई है। इसी क्रम में यूपी के जनपद जौनपुर का भी सरकारी तंत्र चुनावी तैयारियों में जुटा हुआ है। जनपद जौनपुर में दो लोकसभा क्षेत्र है। एक 73 जौनपुर संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता है तो दूसरा 74 मछलीशहर (सु) के नाम से जाना जाता है। सरकारी तंत्र के साथ अब सभी राजनैतिक दल के लोग भी लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों के सबसे बड़े चयनकर्ता (मतदाताओ) को रिझाने के लिए गावं के गलियों की खाक छानना शुरू कर दिए है। हलांकि आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के पहले भाजपा ने जौनपुर संसदीय सीट पर अपना पत्ता खोला है लेकिन अभी तक विपक्ष के लोग अपने पत्ते नहीं खोले है। मछलीशहर (सु) से अभी तक किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी को चुनावी जंग में नहीं उतारा है लेकिन राजनीतिक पार्टियां अपने अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है।

ऐसा रहा है अब तक का इतिहास

यहां हम अभी तक 17 लोकसभा के लिए जौनपुर से प्रतिनिधित्व करने वाले नामों का जिक्र करते हुए जनपद के मतदाताओं के मूड की चर्चा करेंगे। भारत में लोकतंत्र की स्थापना के साथ 1952 और 1957 में बीरबल सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, 1962 और 1953 में इस सीट पर जनसंघ का कब्जा रहा और ब्रम्हजीत सिंह सांसद थे। 1967 और 1971 में फिर कांग्रेस काबिज हो गई और राजदेव सिंह सांसद रहे। 1977 में जनता पार्टी से राजा यादवेंद्र दत्त दुबे सांसद बने थे। 1980 में फिर जनता पार्टी से अजीजुल्ला आजमी सांसद हुए, 1984 में फिर कांग्रेस ने कब्जा जमाया और कमला प्रसाद सिंह सांसद बने थे। इसके बाद आज तक कांग्रेस को जौनपुर संसदीय सीट पर कोई सफलता नहीं मिली हैं। 1989 में राजा यादवेंद्र दत्त दुबे ने पहली बार भाजपा का कमल खिलाया और सांसद बने थे। 1991 में अर्जुन सिंह यादव जनता दल बैनर तले सांसद बने थे। 1996 में भाजपा से राज केसर सिंह सांसद चुने गए। 1998 में भाजपा को पटखनी देकर पारस नाथ यादव सपा के बैनर का परचम लहराया और सांसद बने थे। 1999 में स्वामी चिन्मयानंद ने भाजपा के टिकट पर जीत हासिल किया और लोकसभा में जौनपुर का नेतृत्व किया। लेकिन 2004 के चुनाव में सपा प्रत्याशी पारस नाथ यादव से हार गए पारस नाथ सांसद बने थे। इसके बाद 2009 के चुनाव में बाहुबली नेता धनंजय सिंह विधायक पद छोड़कर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार हाथी को दौड़ाया सांसद बने इसके बाद आज तक धनंजय सिंह कोई भी चुनाव नहीं जीत सके हैं। 2014 में भाजपा का परचम लहराया और कृष्ण प्रताप सिंह उर्फ के पी सिंह सिंह सांसद बने। इसके बाद 17 वीं लोकसभा के लिए 2019 में हुए चुनाव में सपा बसपा गठबंधन से प्रत्याशी बने अवकाश प्राप्त पीसीएस अधिकारी श्याम सिंह यादव सांसद चुने गए थे।

कृपाशंकर सिंह बदल पाएंगे इतिहास?

अब फिर 18 वीं लोकसभा के लिए बिगुल बज गया है। जनपद के मतदाता किसे अपना जन प्रतिनिधित्व देंगे यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन अभी तक के इतिहास पर नजर डालें तो एक इतिहास नजर आता है कि महाराष्ट्र की सियासी पिच से आकर जौनपुर में चुनाव लड़ने वाले किसी को भी जनपद की जनता ने स्वीकारा नहीं किया है। अब देखना है कि जौनपुर के मतदाता इतिहास बरकरार रखते हैं या कुछ और इतिहास बनाते हैं। क्योंकि भाजपा नेतृत्व ने जौनपुर में पार्टी के लिए दिन रात एक कर नीतियों का प्रचार करने वालों को नकार दिया और उपर से महाराष्ट्र के राजनीतिक जीवन शुरू कर महाराष्ट्र की पिच पर लगातार सियासत करने वाले मुम्बई के ही अधिकृत मतदाता कृपाशंकर सिंह को जौनपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए टिकट पकड़ा दिया है। बता दें कि कृपाशंकर सिंह अपने पूरे राजनीतिक जीवन में जौनपुर के विकास के लिए अभी तक ऐसा कोई काम नहीं किए हैं जिसे धड़ल्ले से बताया जा सके कि वह जनपद की आवाम के खास हितकर हैं। इतना ही नहीं जौनपुर की आवाम के बीच पहुंच कर पार्टी की नीतियों और रीतियों का प्रचार प्रसार तक कभी नहीं पहुंचे थे। अब टिकट मिलने के बाद विकास करने का दावा कर रहे हैं। महाराष्ट्र के मुम्बई में अपनी राजनीतिक जीवन का आगाज करने वाले कृपाशंकर सिंह के विषय में मुम्बई के तमाम लोगों ने बताया कि वहां पर इनके द्वारा उत्तर भारतीयों के लिए कुछ खास नहीं किया गया है। जबकि उत्तर भारतीय के नाम पर राजनैतिक सफर के दौरान बड़ी उँचाई हांसिल किए थे।

विपक्ष अब तक है शांत

अभी तक विपक्ष की ओर से कोई प्रत्याशी नहीं आया है। इसलिए अभी चुनाव की रूझान आदि पर चर्चा संभव नहीं है। हां, जिले के सियासी पिच पर भाजपा के बैनर तले अकेले कृपाशंकर सिंह कुलांचे मार रहे हैं। जिले की सियासत में धनंजय सिंह बाहुबली नेता और पूर्व सांसद चुनावी एलान के पहले लगभग दो माह पहले से खुद को चुनावी जंग में उतरने का एलान किया था। उस समय लग रहा था कि चुनावी जंग संघर्ष पूर्ण रहेगी लेकिन न्याय पालिका के एक फैसले के तहत उनको जेल की सलाखों के पीछे सात साल की सजा देते हुए पहुंचा दिया गया है। इसके पीछे सियासी खेल है या फिर कुछ और है यह तो गहन जांच का बिषय है लेकिन धनंजय सिंह को चुनाव से हटाने लिए जिम्मेदारो को क्या उनके समर्थक सबक सिखाने का काम करेंगे। यह एक बड़ा सवाल जौनपुर के चुनावी समर में उठा हुआ है। आगे आगे देखिए जौनपुर की जनता इस 18 वीं लोकसभा के चुनाव में क्या क्या गुल खिलाती है।

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