जेवर एयरपोर्ट ने किया कई सरकारों का सामना, आख़िरकार अब तेज हुआ काम

हाल ही में बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस वे और जेवर एयरपोर्ट माडल उनकी ही सरकार के कार्यकाल मेें तैयार हुआ था। उन्होंने कहा कि पहले सपा और अब भाजपा सरकार नाहक अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रही है।

Update: 2020-12-19 05:36 GMT
जेवर एयरपोर्ट ने किया कई सरकारों का सामना, आख़िरकार अब तेज हुआ काम

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की आर्थिक राजधानी नोएडा के पास जेवर में बन रहे देश के सबसे बडे़ हवाई अड्डे को लेकर जिस तरह से राजनीतिक दलोें में क्रेडिट लेने की होड़ है तो वह कुछ हद तक ठीक भी है क्योंकि इसके बनने न बनने को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं पर पहली बार ऐसा है कि केन्द्र और प्रदेश में एक ही राजनीतिक दल की सरकार होने के कारण अब इसका काम तेजी से हो रहा है। उम्मीद है कि देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा 2023 में बनकर तैयार हो जाएगा।

अपनी-अपनी पीठ थपथपाने में लगी पार्टियां

हाल ही में बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा कि गंगा एक्सप्रेस वे और जेवर एयरपोर्ट माडल उनकी ही सरकार के कार्यकाल मेें तैयार हुआ था। उन्होंने कहा कि पहले सपा और अब भाजपा सरकार नाहक अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रही है। दरअसल जेवर एयरपोर्ट की घोषणा तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार में 2004 में हुई थी, लेकिन इससे आगे कोई काम नहीं हुआ। जमीन अधिग्रहण तक की कार्रवाई नहीं हुई।

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नोएडा को लेकर ऐसी धारणा

नोएडा को लेकर एक मिथक यह भी था कि जो भी मुख्यमंत्री यहां का दौरा करता है उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ता है। कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत अखिलेश यादव ने भी यह धारणा बना रखी थी कि नोएडा जाने पर अगले चुनाव में मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ता है। इसकी शुरुआत 23 जून 1988 को हुई जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और उनकी कुर्सी चली गई। बस यहीं से इस अंधविश्वास ने जन्म ले लिया। इसके बाद कई मुख्यमंत्री नोएडा आने से डरते रहे। नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह के साथ भी ऐसा हुआ था। हांलाकि, मायावती ने इस मिथक को तोड़ा. लेकिन उनकी कुर्सी भी चली गई। इसी अंधविश्वास के कारण समाजवादी पार्टी सरकार के दौरान अखिलेश यादव भी पूरे पांच साल गौतमबुद्धनगर नहीं आए।

अखिलेश यादव सरकार ने इस परियोजना को रद्द कर दिया था

इससे पहले जेवर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की पहल 2007 में तत्कालीन मायावती सरकार ने की थी। तब तत्कालीन कांग्रेस की केंद्र सरकार ने यह कहते हुए जेवर एयरपोर्ट को मंजूरी नहीं दी थी कि इंदिरा गांधी एयरपोर्ट से जेवर की दूरी 72 किमी है। इसलिए इस पर धन का इतना बड़ा निवेश नहीं किया जा सकता है। जब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार आई तो इसके निर्माण के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन केंद्र और प्रदेश में दो विपरीत राजनीतिक दलों की सरकार होने के कारण टकराव की स्थिति बनी रही। आखिरकार अखिलेश यादव सरकार ने इस परियोजना को रद्द कर दिया था।

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इसके बाद जब प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार का गठन हुआ तो केन्द्र और प्रदेश में एक समान भाजपा सरकारों ने जेवर एयरपोर्ट प्रोजेक्ट को फिर से धरातल पर उतारने के लिए प्रयास शुरू किए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार 25 दिसंबर 2017 को नोएडा आए और उन्होंने इस प्रोजेक्ट को गति देने के लिए अधिकारियोें के पेंच कसे। नोएडा के चर्तुमुखी विकास के लिए कई योजनाओं को गति प्रदान करने का काम किया है। जेवर एयरपोर्ट, ग्रेटर नोएडा में उत्तरी भारत का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक हब, बोड़ाकी में रेलवे स्टेशन व ट्रांसपोर्ट हब, बोड़ाकी तक मेट्रो का विस्तार, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में हैबिटेट सेंटर, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में मेडिकल डिवाइस पार्क और फिल्म सिटी प्रमुख योजनाओं में शामिल हैं।

सबसे बड़ा हवाई अड्डा

जेवर हवाई अड्डे का काम पूरा होने के बाद यह देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बन जाएगा। इसके अलावा वह उन देशों की रेस में भी शामिल हो जाएगा जहां पर अभी छह लेन से ज्यादा के हवाई अड्डे है। इस तरह के हवाई अड्डे अभी कुछ ही देशों में हैं। इसे कुल चार चरणों में बनाया जाएगा। पहले चरण में 4086 करोड़ रुपए खर्च कर 2023 तक दो रनवे का हवाई अड्डा बना लिया जाएगा. इसके बाद 2030 तक दूसरा, 2035 तक तीसरा और 2039 तक चैथे चरण को पूरा कर लिया जाएगा।

श्रीधर अग्निहोत्री

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