झांसी: उम्रकैद की सजा काट रहे दारोगा की गई नौकरी, इसलिए जेल में है बंद

मध्य प्रदेश के सागर जेल में निरुद्ध आजीवन कारावास के अभियुक्त दारोगा दीपक दुबे को पुलिस विभाग ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। इस दारोगा को आश्रित आधार पर पिता की जगह नौकरी मिली थी। इसकी सूचना दारोगा के परिजनों को दे दी गई है।

Update: 2021-01-30 17:32 GMT
झांसी: उम्रकैद की सजा काट रहे दारोगा की गई नौकरी, इसलिए जेल में है बंद

झाँसी: मध्य प्रदेश के सागर जेल में निरुद्ध आजीवन कारावास के अभियुक्त दारोगा दीपक दुबे को पुलिस विभाग ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। इस दारोगा को आश्रित आधार पर पिता की जगह नौकरी मिली थी। इसकी सूचना दारोगा के परिजनों को दे दी गई है। बांदा के थाना पैलानी जसपुरा के ग्राम इछावर निवासी दीपक दुबे की पुलिस विभाग में आश्रित आधार पर नौकरी मिली थी।

2015 में दारोगा के पद पर ज्वाइन किया था

दीपक दुबे ने 31 मई 2015 को पुलिस विभाग में दारोगा के पद पर ज्वाइन किया था। इसकी पहली पोस्टिंग झाँसी जिला में की गई थी। बताते हैं कि दीपक दुबे की पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के स्कोर्ट में वीआईपी ड्यूटी लगाई गई थी। 2 अगस्त 2015 को दीपक दुबे ओरछा गया था। वहां जाकर ओरछा के वार्ड नंबर सात में रहने वाली महिला कान्ति पत्नी मनू चिरवारिया की गोली मारकर हत्या की गई थी।

जानकारी मिलते ही झाँसी पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया था

इस मामले की जानकारी मिलते ही झाँसी पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया था। इस मामले की जांच सीओ आलोक वर्मा ने की थी। आलोक वर्मा ने पाया था कि दीपक दुबे सीपरी बाजार थाने में पदस्थ था। बिना अनुमति के वह ओरछा गया था। ओरछा से वापस आने के बाद उसने थाने में किसी प्रकार की आमद तक नहीं कराई और न ही कारतूस व सरकारी पिस्टल जमा की थी।

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इस घटना को तत्कालीन एसएसपी ने गंभीरता से लेते हुए हत्या करने वाले दारोगा दीपक दुबे को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। वहीं, ओरछा पुलिस ने दारोगा दीपक दुबे के खिलाफ दफा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। बताते हैं कि ओरछा पुलिस ने दीपक दुबे को 4 अगस्त 2015 को दस कारतूस व पिस्टल समेत गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तार करने के बाद उसे टीकमगढ़ जेल भेजा गया था। बताते हैं कि 29 दिसंबर 2018 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने दीपक दुबे को हत्या के मामले में दोषी माना था। इस आधार पर उसे आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया था।

इसके बाद उसे सागर जेल स्थानांतरित कर दिया था। वहीं, आईजी सुभाष चंद्र बघेल के आदेश पर दीपक दुबे की गोपनीय जांच की गई थी। जांच में दीपक दुबे को दोषी माना गया था। इस आधार पर एसएसपी दिनेश कुमार पी ने दीपक दुबे को नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी किया था। इस आदेश से पुलिस महकमें में हड़कंप मच गया था। इसकी सूचना दीपक दुबे के परिजनों को दे दी गई है। मालूम हो कि दीपक दुबे के पिता शिव सागर दुबे पुलिस विभाग में पदस्थ थे। पिता की जगह ही दीपक दुबे को पुलिस विभाग में दारोगा के पद पर सिलेक्शन हुआ था।

अवैध संबंधों के शक में की थी प्रेमिका की हत्या

ओरछा में रहने वाली कांति झारखड़िया के सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के पॉलीटेक्निक पुलिस चौकी प्रभारी दीपक दुबे से काफी दिनों से प्रेम संबंध चल रहे थे। कुछ दिनों से दीपक को शक था कि कांति ने किसी और से भी अवैध संबंध स्थापित कर लिए थे। इसी बात को लेकर दोनों में तकरार चल रही थी। दीपक दुबे छुट्टी लेकर 2 अगस्त को अपनी बुलेट पर सवार होकर ओरछा में पावर हाउस कालोनी स्थित कांति के निवास पर पहुंचा था। कांति घर पर अकेली थी। उसका पुत्र अपने मामा के पास दिल्ली गया था।

दीपक ने यहां पर पहले शराब पी थी। इसके बाद दोनों में झगड़ा हो गया था। आवेश में आकर उसने सर्विस रिवाल्वर से कांति की कनपटी में गोली मारकर हत्या कर दी थी। हड़बड़ी में वह अपनी चप्पल मौके पर ही छोड़कर बुलेट से झाँसी भाग आया था। सूचना पर पहुंची पुलिस को मौके पर शराब की बोतलें, चप्पल, 9 एमएम का खोखा मिला था। बाद में दारोगा के मोबाइल की कल डिटेल भी निकलवाई गई थी।

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इस मामले में तत्कालीन एसएसपी किरन एस के आदेश पर दो जांच शुरु हुई थी। एसएसपी ने बताया था कि दारोगा दीपक दुबे अपनी तबियत खराब बताकर सात दिन के मेडिकल अवकाश पर था। महिला की हत्या के आरोप में दारोगा ने मेडिकल अवकाश लिया था उसने विभाग से झूठ बोलकर छुट्टी ली थी। दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई के साथ मुकदमा दर्ज भी कराया गया था।

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