झांसी: कोरोना काल में छात्रों का सहारा बनी डिस्टेंस एजुकेशन, मिला नया एक्सपीरियंस

पेशे से निजी शिक्षक नीरज साहू का कहना है कि कोरोना काल में जहां देश के समस्त स्कूल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थाएं बंद थीं तो वहीं डिस्टेंस एजुकेशन की एकमात्र साधन था जिससे माध्यम से विद्यार्थी पढ़ाई कर सकते थे।

Update: 2020-12-30 09:22 GMT
झांसी: कोरोना काल में छात्रों का सहारा बनी डिस्टेंस एजुकेशन, मिला नया एक्सपीरियंस (PC: social media)

झांसी: कोरोना काल में देश के समस्त शिक्षण संस्थान बंद थे, ऐसे में शिक्षक वीडियो कॉलिंग के माध्यम से छात्र/छात्राओं को पढ़ा रहे थे, और अब भी इसी तरह की क्लासें लग रहीं हैं। ऐसे में विद्यार्थियों का रुझान डिस्टेंस एजुकेशन की ओर गया है। तकनीकी शिक्षा को यदि छोड़ दिया जाए तो अधिकांश कोर्स डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से किये जा सकते हैं। ऐसे में नये सत्र में अधिकांश छात्र/छात्राओं ने डिस्टेंस एजुकेशन(दूरस्थ शिक्षा) से पढ़ाई करने को प्राथमिकता दी है।

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पेशे से निजी शिक्षक नीरज साहू का कहना

पेशे से निजी शिक्षक नीरज साहू का कहना है कि कोरोना काल में जहां देश के समस्त स्कूल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थाएं बंद थीं तो वहीं डिस्टेंस एजुकेशन की एकमात्र साधन था जिससे माध्यम से विद्यार्थी पढ़ाई कर सकते थे। डिस्टेंस एजुकेशन कई मायनों में बेहतर भी है, क्योंकि इसमें छात्र इंटरनेट के माध्यम से अपने कोर्स से सम्बन्धित जानकारी वीडियो, कॉन्फ्रेंसिंग, वीडियो / ऑडियो टेप आदि के माध्यम से पढ़ सकता है। किसी विषय में समस्या आने पर विशेषज्ञ को फोन करके समाधान करा सकता है।

नीरज साहू का कहना है कि वर्तमान में भारत में दूरस्थ शिक्षा कई विश्वविद्यालयों में चल रही है जो आपके नामांकन के लिए तैयार हैं। आज भारतीय शिक्षा संस्थानों में डिस्टेंस एजुकेशन मुख्य विकल्प है। हालांकि आपको ध्यान देना चाहिए कि कई विश्वविद्यालय हैं जो भारत में डिस्टेंस एजुकेशन कार्यक्रम की पेशकश कर रहे हैं, लेकिन मुख्य बिंदु यह है कि उनमें से कितने भारत सरकार द्वारा पंजीकृत हैं ऐसे संस्थान में दाखिला लेना आपके भविष्य के साथ-साथ नौकरी की संभावना को भी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए विश्वविद्यालयों को सूचीबद्ध करने से पहले नीचे दिए गए बिंदुओं को पढ़ने के लिए अनिवार्य है।

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ऑनलाइन मोड के माध्यम से किया जाता है

डिस्टेंस एजुकेशन, शिक्षा की एक प्रणाली है जो या तो पत्राचार या ऑनलाइन मोड के माध्यम से किया जाता है। डिस्टेंस एजुकेशन के ऐसे कई फायदे हैं, जैसे कि यह सस्ती है, और छात्रों को अपनी योग्यता बढ़ाने के अवसर प्रदान करते हैं। पंजीकृत सभी यूनिवर्सिटी अंडर ग्रेजुएट (यूजी) के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) पाठ्यक्रम में भी उपलब्ध कराती हैं, जहां इन पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता शिक्षण सामग्री की गुणवत्ता पर निर्भर करती है, ऑनलाइन व्याख्यान, आभासी कक्षाओं आदि जैसे प्रौद्योगिकी का उपयोग करती है।

नीरज साहू का कहना है कि डिस्टेंस एजुकेशन की डिग्री चुटकियों में हासिल नहीं की जा सकती। आमतौर पर डिस्टेंस एजुकेशन के कोर्स की समयावधि रेगुलर के बराबर या उससे कुछ ज्यादा होती है, जैसे- डिस्टेंस एजुकेशन से बैचलर(स्नातक) डिग्री लेने के लिए भी आपको तीन साल पढ़ाई करनी ही होगी।

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डिस्टेंसएजुकेशन की डिग्री भी रेगुलर के बराबर मान्य होती है। ऐसे में डिस्टेंस लर्निंग से डिग्री लेने वाले युवा आसानी से हायर एजुकेशन की तरफ बढ़ सकते हैं । कुल मिलाकर, कह सकते हैं कि मान्यता के स्तर पर डिस्टेंस एजुकेशन में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन ऐसे स्टूडेंट का खुद पर संयम और अनुशासन रेगुलर स्टूडेंट्स के मुकाबले कहीं ज्यादा होना चाहिए ।जरूरी है कि वह अपनी पढ़ाई के प्रति ज्यादा गंभीर, अनुशासित और बेहतर टाइम मैनेजर हो।इसके अलावा, डिस्टेंसएजुकेशन से ली गई प्रफेशनल डिग्री का फायदा आमतौर पर वर्क एक्सपीरियंस के साथ ही मिलता है।

रिपोर्ट- बी.के.कुशवाह

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