Jhansi News: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, मृतक आश्रित कोटे पर दी गई नौकरी ली जा सकती है वापस

Jhansi News: कोर्ट का कहना है यदि नौकरी पाने वाला सदस्य परिवार के सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो उसकी नियुक्ति रद की जा सकती है

Report :  B.K Kushwaha
Update:2022-11-11 21:04 IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट। (Social Media)

Jhansi news: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आश्रित कोटे में मिलने वाली नौकरी के संबंध में एक अहम निर्देश दिया है। कोर्ट का कहना है यदि नौकरी पाने वाला सदस्य परिवार के सभी आश्रितों के हित पूरे नहीं करने की स्थिति हो तो उसकी नियुक्ति रद की जा सकती है। यह निर्देश न्यायाधीश पंकज भाटिया ने सुधा शर्मा और दूसरे लोगों याचिका पर सुनावई करते हुए दिया है।

याचिका में कहा गया था कि आश्रित कर्मचारी को इस बात पर नियुक्ति दी गई थी कि वह परिवार के दूसरे सदस्यों की देखभाल करेगी। लेकिन वह अपने वादे का बिलकुल भी पालन नहीं कर रही है। कर्मचारी के पिता रेलवे कर्मचारी थे। सेवाकाल के दौरान ही मृत्यु हो गई जिस कारण परिवार की एक सदस्य को आश्रित कोटे में नियुक्ति दी गई।

याचिका बुजुर्ग है और आश्रित कर्मचारी ने उनकी देखभाल करने से साफ इनकार कर दिया। जिस वजह से कोर्ट ने कहा आश्रित की नियुक्ति वारिसों के लाभ के लिए की जाती है। ताकि वे अचानक आई विपत्ति से ऊपर उठ सकें। कोर्ट ने याचियों से रेल अधिकारी को अपनी शिकायत देने और रेल अधिकारियों को उनकी परेशानियों पर विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया है।

Jhansi news: दूसरे विभागों में भी काम कर सकेंगे रेलवे ट्रैक मेंटेनर, आसान होगी पदोन्नति की राह

Jhansi news: रेल लाइनों पर कार्य करने वाले ट्रैक मेंटेनरों (ट्रैक मैन व गैंग मैन आदि) के लिए अच्छी खबर है। अब दस की जगह 40 प्रतिशत ट्रैक मेंटेनर दूसरे विभागों में भी कार्य कर सकेंगे। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) की मांग पर रेलवे बोर्ड ने उन्हें आगे बढ़ने के रास्ते खोल दिए हैं। स्थानांतरण प्रक्रिया को लागू करने के लिए रेलवे बोर्ड ने उच्च अधिकारियों की टीम गठित कर दी है। चार सदस्यीय टीम 45 दिनों में समीक्षा कर बोर्ड को रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड अंतिम निर्णय लेगा। 40 प्रतिशत ट्रैक मेंटेनरों के दूसरे विभागों में स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही पदोन्नति की राह भी आसान हो जाएगी।

हुनर व अनुभव के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाते ट्रैक मेंटेनर

दरअसल, लेवल वन पद पर तैनात ट्रैक मेंटेनर हुनर और अनुभव के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाते। 1800 ग्रेड पे पर भर्ती कुछ ट्रैक मेंटेनर ही 2800 ग्रेड पे तक पहुंच पाते हैं। 1900 और 2400 ग्रेड पर पहुंचते- पहुंचते सेवानिवृत्त हो जाते हैं। पदोन्नति नहीं होने से ट्रैक मेंटेनरों में निराशा के भाव बन जाते हैं, जिसका असर उनके कार्य व्यवहार और कार्य प्रणाली पर दिखता है। जबकि, दूसरे विभागों में पदोन्नति के पर्याप्त अवसर रहते हैं। चतुर्थ श्रेणी रेलकर्मी भी 4200 से 4600 ग्रेड पे तक पहुंच जाते हैं। पदोन्नति के साथ उनकी आर्थिक स्थित भी बेहतर हो जाती है। हालांकि, ट्रैक मेंटेनरों को भी पदोन्नति के लिए जनरल डिपार्टमेंटल कंपेटेटिव इक्जामिनेशन (जीडीसीई) के अंतर्गत आगे बढ़ने का मौका मिलता है, लेकिन पदों की संख्या बहुत ही कम होती है। यह प्रक्रिया को पूरी होने में ही वर्षों लग जाते हैं।

पदोन्नति के लिए चार साल से इंतजार कर रहे 150 रेलकर्मी

जीडीसीई उत्तीर्ण करने के बाद भी एनसीआर के सैकड़ों चतुर्थ श्रेणी रेलकर्मी तकनीशियन के पद पर पदोन्नति के लिए चार वर्ष से इंतजार कर रहे हैं, इनमें से अधिकतर ट्रैक मेंटेनर हैं। तकनीशियन की योग्यता के बाद भी वे रेल लाइनों की मरम्मत के लिए मजबूर हैं।

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