Jhansi News: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में फर्जीवाड़ा, मूकदर्शक बने अधिकारी
Jhansi News: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में लगातार धांधली देखने को मिल रही है। झांसी में हुए आयोजन के दौरान किसी जोड़े ने फेरे नहीं लिए तो किसी ने खुद ही माँग भर ली।;

सामूहिक विवाह में खुद ही सिंदूर लगाती महिलाएं। (Pic: Newstrack)
Jhansi News: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में लगातार फर्जीवाड़े का मामला सामने आ रहा है। झांसी में लोग इस योजना को पूरी तरह से पलीता लगाने पर आमद हो गए हैं। पदस्थ प्रशासनिक अफसर मूकदर्शक बने नजर आ रहे हैं। पिछली बार योजना की रकम हड़पने के लिए साली के जीजा संग फेरे होने के बाद बीते रोज बुन्देलखंड महाविद्यालय में हुए सम्मेलन में भी नए अंदाज का मामले प्रकाश में आया है। इसमें कुछ की शादी अभी होनी है, तो किसी ने खुद ही अपनी माँग में सिंदूर भर लिया। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि यहां तो वह सिर्फ दिखावे के लिए शादी कर रहे हैं, असल शादी को तो वह धूमधाम से करेंगे। इतना ही नहीं उन्हें इसका कोई मलाल भी नहीं है। वह कहते हैं कि जयमाला तो दो बार हो सकती है और उनका फार्म भर गया है।
96 जोड़े हुए थे शामिल
गरीब कन्याओ के हाथ पीले करने के लिए मुख्यमंत्री ने सामूहिक विवाह योजना चलाई है। इसी योजना के अंतर्गत बीते रोज बुन्देलखंड महाविद्यालय में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल होने के लिए 96 जोड़े शामिल हुए थे। सम्मेलन में सबसे पहले वर-वधु को मंच के पास बुलाया गया। इसके बाद समाज कल्याण अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में वर-वधु ने एक दूसरे को जयमाला पहनाई। जय माला पहनाने के बाद सभी जोड़ों को अग्नि के सात फेरे और माँग भरने की रस्म पूरी करने के लिए बुलाया गया। रस्म अभी शुरु हुई ही थी कि तभी कुछ जोडे धीरे-धीरे वहां से दूर जाकर बैठ गए।
खुद ही भर ली माँग
नाम न छापने की शर्त पर कुछ जोडों ने बताया कि उनकी शादी अगले महीने है। तो किसी का कहना था कि दो महीने बाद वह धूमधाम से शादी करेंगे। सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए उन्होंने फार्म भर दिया, जिसके लिए उन्होंने केवल जयमाला एक दूसरे को पहनाई है, न कि पूरी शादी की है। उनका मानना है कि जयमाला तो दो बार हो जाती है। रस्में बीच में छोड़कर इधर-उधर बैठे वर-वधु की नजर कैमरे पर पड़ी तो वह अपना मुंह छिपाते हुए पुनः कार्यक्रम स्थल पहुंच गए। इन्हीं में कुछ ने स्वयं ही अपने से हांथ सिंदूर लेकर अपनी माँग भर ली।