Jhansi News: हवा में जहर, सांसों पर कहर! महीन कणों ने बढ़ाया प्रदूषण का स्तर

Jhansi News: मौसम वैज्ञानिक आदित्य सिंह ने बताया कि वैसे तो पार्टिकुलेट मैटर सर्दियों में ज्यादा बढ़ते हैं पर इस बार गर्मियों में भी ये समस्या सामने आ रही है। इससे बचने के लिए मास्क ही पहनना एक मात्र उपाय है।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2024-04-08 11:36 IST
पेड़ों की धुलाई जारी (Newstrack)

Jhansi News: झांसी में प्रदूषण का स्तर पहली बार गर्मी में खतरे के निशान के ऊपर चल रहा है। अक्सर जाड़े में प्रदूषण खासकर महीन कण पीएम 2.5 और पीएम10 पार्टिकुलेट मैटर लोगों की सांसों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो रहा है। महानगर में धुआं का खतरा तो पहले से था पर अब महीन कण बुजुर्ग और बच्चों को बीमार कर रहे हैं। रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स 109 के पार पहुंच गया।

एक्यूआई के खतरे के नुकसान के पार जाते ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने घर से बाहर निकलने के लिए मास्क लगाने की सलाह दी है। बता दें कि ये महीन कण इतने बारीक होते हैं कि सांस लेते ही करोड़ों की तादाद में किसी भी स्वस्थ इंसान के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में अगर लगातार कोई इन महीन कणों को सांसों के साथ अन्दर लेता है तो उसे एलर्जी, फेफड़ों से जुड़ी परेशानी के साथ कुछ ही समय में सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।

पर्यावरण विद अशोक रावत बताते हैं कि लोग इन महीन कणों को बहुत सामान्य ढंग से लेते हैं पर इसके परिणाम बहुत घातक होते हैं। गले में खरास और लगातार छींक आना इसके प्रारंभिक लक्षणों में से एक होते हैं।

वाटर केनन से बचाव की कोशिश जारी

प्रदूषण को रोकने के लिए नगर निगम स्मार्ट सिटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आग्रह पर एक वाटर केनन का उपयोग शुरू कर दिया है। शहर के चिन्हित इलाकों में जहां इन महीन कणों की मौजूदगी हवा में ज्यादा होती है। वहां पानी की फुहार का छिड़काव कर इन कणों को दवाने के लिए भरपूर प्रयास किया जा रहा है।

क्या है पीएम 2.5 और पीएम 10?

पीएम का मतलब पार्टिकुलेट मैटर होता है ये काफी महीन और इतने बारीक कण होते हैं कि हवा में होने के बाद भी इन्हें साधरण आखों से नहीं देखा जा सकता। अक्सर जाड़े के मौसम में धुंध के साथ इन महीन कणों की संख्या बढ़ जाती है। गर्मियों में सड़कों पर चलने वाले वाहनों के चलते ये महीन कण तेजी से हवा में घुल जाते हैं और सड़क पर सफर करने वाला कोई भी राहगीर इनकी चपेट में आ जाता है। बीते कुछ दिनों से मेडिकल कालेज के इएनटी विभाग के अध्यक्ष डा. सुशील कश्यप ने बताया कि इसी प्रदूषण के शिकार हुए लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है और इससे पीड़ित मरीजों की संख्या मेडिकल कॉलेज में लगातार बढ़ रही है।

मौसम वैज्ञानिक आदित्य सिंह ने बताया कि वैसे तो पार्टिकुलेट मैटर सर्दियों में ज्यादा बढ़ते हैं पर इस बार गर्मियों में भी ये समस्या सामने आ रही है। इससे बचने के लिए मास्क ही पहनना एक मात्र उपाय है। जरूरी होने पर ही घर से निकलें। कोशिश करें कि घर के सामने सड़कों पर सुबह शाम पानी जरूर डालें।


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