Jhansi News: प्रमुख स्टेशनों पर स्थापित होंगे एआई-पावर्ड फेस रिकगनिशन सिस्टम, ऐसे होगी यात्रियों के चेहरे की पहचान

Jhansi News: भारतीय रेलवे यात्रियों की यात्रा के दौरान और रेलवे प्लेटफार्मों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर मध्य रेलवे का वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी जंक्शन एक प्रमुख रेलवे केंद्र है जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री आते और जाते हैं।

Update: 2023-08-31 12:15 GMT
Jhansi News (Pic: Social Media)

Jhansi News: भारतीय रेलवे प्रमुख स्टेशनों पर एआई-पावर्ड फेस रिकगनिशन सिस्टम स्थापित करने की योजना बनाई है। सिस्टम को आपराधिक रिकॉर्ड के डेटाबेस से जोड़ा जाएगा और वॉन्टेड लोगों की पहचान करने और रेलवे स्टेशनों पर अपराध को रोकने में मदद मिलेगी। यह पहल सुरक्षा और यात्री सुरक्षा बढ़ाने के रेलवे के प्रयासों का हिस्सा है।

नहीं बच सकेंगे अपराधी

भारतीय रेलवे यात्रियों की यात्रा के दौरान और रेलवे प्लेटफार्मों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तर मध्य रेलवे का वीरांगना लक्ष्मीबाई झाँसी जंक्शन एक प्रमुख रेलवे केंद्र है जहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री आते और जाते हैं, इसलिए रेलवे की योजना सभी प्रमुख स्टेशनों पर हवाई अड्डों की तरह अत्याधुनिक सुरक्षा प्रणाली प्रदान करने की है। चेहरे की पहचान प्रणाली रेलवे परिसरों में आपराधिक गतिविधियों को रोकने में मददगार साबित होगी।

बताते हैं कि भारतीय रेलवे ने कम से कम 150 स्टेशनों की सुरक्षा में व्यापक परिवर्तन करने की योजना बनाई हैं जिनमें से कुछ उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के अधिकार क्षेत्र में भी शामिल है। यहां आतंकवादियों और आदन अपराधियों से बढ़ते खतरों के जवाब में किया जा रहा है। सुरक्षा उपायों में चेहरे की पहचान प्रणाली (एफआरएस), लग्गेज स्कैनर, स्निफर औऱ रैंडम सामान जांच आदि जैसी पहल की जाएंगी।

आतंकवादियों और अपराधियों के खतरों पर फोकस

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यात्रियों को नुकसान से बचाने के लिए इन सुरक्षा उपायों की तत्काली जरुरत हैं। रेलवे सभी यात्रियों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। ये सुरक्षा उपाय आज की जरुरत हैं क्योंकि आतंकवादी और महिला यात्रियों के उत्पीड़न व आदतन अपराधियों का खतरा ज्यादातर स्टेशनों पर बड़े पैमाने पर मंडरा रहा है।

रेलवे पुलों के निरीक्षण के लिए नया चौकीदार

उत्तर मध्य रेलवे के झाँसी मंडल में स्थित तीन महत्वपूर्ण रेलवे पुलों के लिए अब नया चौकीदार बनाया जा रहा है। उस चौकीदार का नाम है यूएवी (ड्रोन)। इसके लिए टेंडर जारी किए गए हैं। ड्रोन कैमरे से रेलवे पुल व रिमोट संचालित रोबोटिक वाहन (आरओआरबी) द्वारा पानी के नीचे का निरीक्षण भी किया जाएगा। इसके लिए टेंडर जारी किए गए हैं। यह टेंडर सितंबर माह की 18 तारीख को खोले जाएंगे।
रेल मंत्रालय ने अपने क्षेत्र की निगरानी व उसकी सुरक्षा के लिए एक नए चौकीदार को उतारा है। उस चौकीदार का नाम है यूएवी (ड्रोन)। , जी हां, अब ड्रोन कैमरे से रेलवे पुल पर नजर रखी जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य यह रहेगा की फोटो से पुल की संपत्ति पर नजर रखी जाएगी। रेल हादसों से निपटने के लिए रेलवे ड्रोन कैमरों के जरिए निगरानी करेगा। ड्रोन कैमरों के माध्यम से राहत और बचाव अभियानों की निगरानी करने में मदद मिलेगी। साथ ही महत्वपूर्ण कार्यों, पटरियों की स्थिति और निरीक्षण कार्यों पर नजर रखी जाएगी।

अब ड्रोन से होगा निरीक्षण

बताते हैं कि झाँसी डिवीजन के झाँसी-मानिकपुर खंड के पुल संख्या 1141/1 बेतवा पुल का निरीक्षण यूएवी (ड्रोन) द्वारा किया जाएगा। इसी तरह बीना आगरा सेक्शन के पुल संख्या 1282/1 अप (चंबल ब्रिज) और झाँसी -मानिकपुर सेक्शन के पुल संख्या 1206/1 (धसान ब्रिज) का रिमोट संचालित रोब्रोटिक वाहन (आर ओ ओर बी) द्वारा पानी के नीचे का निरीक्षण किया जाएगा। इसके लिए झाँसी रेल मंडल ने टेंडर प्रक्रिया जारी की है। बताते हैं कि ड्रोन का उपयोग करके पुल पर डेटा एकत्र करने से शुरु होता है। ड्रोन ब्रिज निरीक्षण सेवा जंग की सीमा का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित करती है ताकि ठेकेदारों या निरीक्षकों के पास पुल की वर्तमान स्थिति और कंक्रीट बुनियादी ढांचे को समझने के लिए गहन डेटा हो। पुराने पुल ढांचे की मरम्मत और बदलने के लिए सटीकता की आवश्यकता होता है ताकि कोई दुर्घटना न हो, और ड्रोन ऐसे कार्यों में सहायक होते हैं। ड्रोन किसी पुल के कार्यात्मक और संरचनात्मक प्रदर्शन की निगरानी और भविष्यवाणी करने के लिए कुशल हैं। इसलिए, रोबोटिक्स के अनुप्रयोग ने टावरों और पुलों जैसे विभिन्न ढांटे में निरीक्षण प्रक्रिया को बदल दिया है।

ड्रोन कैमरा बहुत मददगार साबित होता है

उत्तर मध्य रेलवे झाँसी मंडल के जनसंपर्क अधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि ड्रोन का उपयोग रेलवे पुल के निरीक्षण के लिए किया जाएगा। बैटरी से चलित यह ड्रोन कैमरा 20 से 25 मिनट की समयावधि तक उड़ सकता था, लेकिन अब इस ड्रोन को अपग्रेड किया गया है। यह 1300 से अधिक फीट की ऊंचाई और चार किमी दायरे की तस्वीर ले सकता है। अपडेट ड्रोन कैमरा अब करीब 30 से 40 मिनट तक उड़ सकता है। ड्रोन कैमरे के माध्यम से रेलवे अब अपने कामों में जीरो एरर की तरफ बढ़ रहा है।

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