Jhansi News: बेटियां माता पिता का बनेंगी सहारा, जिला अस्पताल पहुंची ने किया सम्मानित, उधर मेडिकल कालेज में वेंटिलेटर न मिलने से नवजात बेटी ने तोड़ा दम
Jhansi News: इन सम्मानित होने वाली बेटियों में किसी से कोई जात पात का भेदभाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि बेटियां बेटों से कम नहीं। उनकी अच्छी पढ़ाई, लिखाई, पालन पोषण हो इसी के तहत यह आयोजन किया गया।;
Jhansi News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा राष्ट्रीय बालिका दिवस पर चलाए जा रहे अभियान के तहत प्रदेश सरकार की मंत्री झांसी जिला अस्पताल पहुंची। यहां उन्होंने नवजात बेटियों ओर उन्हें जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करते हुए कहा कि बेटियां आगे चलकर माता पिता का सहारा बनेगी। इसी सोच के साथ मुख्यमंत्री के निर्देशन पर आज प्रदेश भर में यह आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पंद्रह बेटियों को सम्मानित किया गया। इन सम्मानित होने वाली बेटियों में किसी से कोई जात पात का भेदभाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि बेटियां बेटों से कम नहीं। उनकी अच्छी पढ़ाई, लिखाई, पालन पोषण हो इसी के तहत यह आयोजन किया गया। प्रदेश सरकार में महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की मंत्री बेबीरानी मौर्य शुक्रवार की दोपहर महिला अस्पताल पहुंचीं। यहां उन्होंने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर यहां जन्मी 15 बच्चियों और उनकी माओं को सम्मानित किया। साथ ही बच्चियों के लिए बेबी किट भी प्रदान की।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी जुनैद अहमद, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुधाकर पांडेय व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राज नारायण के साथ बच्चा वॉर्ड में प्रभारी मंत्री बेबी रानी मौर्य ने नवजात बच्चियों का जन्म दिवस मनाया। उन्होंने यहां बच्चियों की माओं के साथ केक काटा। साथ ही उन्हें प्रमाणपत्र, मिठाई और किट दी गई।
मेडिकल कॉलेज में बच्चे की मौत, वेंटिलेटर नहीं मिला, जिला अस्पताल ने नहीं किया भर्ती
झांसी। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज में एक नवजात की तड़प-तड़पकर मौत हो गई। एसएनसीयू वार्ड में वेंटिलेटर खाली नहीं था, उसे जिला अस्पताल भेजा गया मगर नवजात को भर्ती नहीं किया गया था। करीब पांच घंटे तक नवजात तड़पता रहा। इसके बाद दम तोड़ दिया। इसकी सूचना पुलिस को दी गई।
ललितपुर के मड़ावरा थाना क्षेत्र के तलऊ निवासी सोनू परिहार ने बताया कि उसकी पत्नी राजाबेटी गर्भवती थी। गुरुवार की शाम को उसे अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी। पहले मड़ावरा ले गए। जहां से ललितपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां उसका ब्लड बहुत बढ़ रहा था और हालत बिगड़ रही थी। इसके बाद डॉक्टरों ने पत्नी को मेडिकल कालेज झांसी रेफर कर दिया। रात दो बजे मेडिकल कालेज पहुंचे। सुबह सात बजे ऑपरेशन हुआ। पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया। जन्म के बाद बेटी को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। डॉक्टरों ने बताया कि इसे ऑक्सीजन की जरुरत है. यहां एसएनसीयू वार्ड में वेंटिलेटर खाली नहीं है। इसे जिला अस्पताल झांसी ले जाओ। तुरंत प्राइवेट एबुलेंस बुलाई और नवजात बेटी को जिला अस्पताल ले गए। यहां डॉक्टर बोले कि पलंग खाली नहीं है। फिर बेटी को लेकर मेडिकल कालेज के एसएनसीयू वार्ड के बाहर पहुंच गए। वहां डॉक्टरों से बच्चे को भर्ती करने के लिए कहां, मगर वे बोले कि वेंटिलेटर खाली नहीं है। बेटी एबुंलेस में तड़प रही थी। लोगों ने मदद के लिए डॉयल 112 पर कॉल करके पुलिस बुला ली। मगर बच्ची एडमिट नहीं हो पाई। करीब 12 बजे नवजात बच्ची ने दम तोड़ दिया।
पैसे नहीं थे कि बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा पाते
सोनू ने बताया कि शादी को करीब छह साल हो चुके हैं। पहली बार पत्नी गर्भवती हुई थी। नन्हे मेहमान के आने की खुशी में परिवार में खुशी का माहौल था। लेकिन, वो पांच घंटे ही जी पाया। वह खेती किसानी करके परिवार का भरणपोषण करता हूं। इतने पैसे नहीं थे कि बच्चे को प्राइवेट अस्पताल में इलाज करा पाता। अगर इलाज मिल जाता तो शायद बेटी बच जाती। लापरवाही के कारण बेटी की मौत हो गई। जो भी दोषी है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
प्रसूता की हालत ठीक नहीं थी
मेडिकल कालेज के सीएमएस डॉ सचिन माहुर का कहना है कि जब प्रसूता मरीज आई तो उनकी हालत ठीक नहीं थी। सुबह उनका ऑपरेशन किया गया। जो शिशु पैदा हुआ, उसमें तमाम विकृतियां पहले से ही थी। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। मेडिकल कालेज में एसएनसीयू में काम चल रहा है। इसलिए बच्चे को जिला अस्पताल रेफर किया गया था। दौबार लौटकर आए तो किसी डॉक्टर से संपर्क नहीं किया। जब डॉक्टरों से मिले, तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी।