Jhansi News: हाईवे पर जमघट लगाए बूढ़े गोवंश, गांव से खदेड़े गए गोवंश ने लिया हाईवे का सहारा

Jhansi News: वर्ष 2018-19 की पशुगणना के अनुसार जिले में हैं 5 लाख 35 हजार पालतू गोवंश

Report :  Gaurav kushwaha
Update: 2024-05-31 07:23 GMT

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Jhansi News: जब तक गाय दूध दे रही है तब तक किसान या पशुपालक अपने घर पर रखता है लेकिन गाय के बूढ़े होते ही किसान उसे गांव के बाहर छोड़ देता है या बेच देता है। ऐसे निराश्रित मवेशियों को अन्ना या छुट्टा पशु की संज्ञा भी दी जाने लगी है। भूख प्यास से परेशान होकर जब यह मवेशी खेतों की फसलों की तरफ आते हैं तो अपनी सुरक्षा के नाम पर किसानों द्वारा बेरहमी से पीटा जाता है। बाद में गांव से खदेड़े दिया जाता है। हजारों की संख्या में बूढ़े गाय-बैल हाईवे या शहर के बाहर से होकर गुजरने वाली सड़कों के किनारे जमघट लगाए देखे जा रहे हैं।

वर्ष 2018-19की पशुगणना के अनुसार जिले में 5 लाख 35 हजार पालतू गोवंश बताए गए। यह पशु दुधारू हैं, यानि किसान या पशुपालक इन्हें पालते हैं। लेकिन बड़ी संख्या में बूढ़ी गाय और बैल भी हैं जिन्हें अनुपयुक्त मानकर किसानों या पशुपालकों ने छुट्टा छोड़ दिया। इन मवेशियों के झुंड गांवों, कस्बों और शहर की सड़कों पर देखे जा सकते हैं। अन्ना पशुओं से फसल उत्पादन के समय समस्या पैदा हो जाती है।


चूंकि छुट्टा जानवरों को कोई चारा या भूसा नहीं खिलाता है तो वह भूख की वजह से खेतों में घुस जाते हैं और फसल को चट कर जाते हैं। इससे किसानों को खासा नुकसान होता है। किसान बूढ़ी गायों के झुंड को गांव से बाहर खदेड़ देते हैं। जब यह गोवंश दूसरे गांव को रुख करते हैं तो वहां के किसान भी लाठियों से पीटकर इन्हें गांव की सीमा के बाहर खदेड़ देते हैं। गांवों से खदेड़े जाने के बाद गायों के झुंड यहां से निकलने वाले हाईवे के किनारे एकत्र हो जाते हैं।


286 गऊशालाओं में 42 हजार गोवंश

पशुपालन विभाग झांसी के डाक्टर अशोक कुमार कहते हैं कि झांसी में 286 गऊशालाएं संचालित की जा रहीं हैं। इन पशुशालाओं में लगभग 42 हजार गोवंश को रखा गया है। यह गऊशालाएं शासन द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कर रहीं हैं। इन दिनों हीटवेब चल रही है, ऐसे में गऊशालाओं में रहने वाले गोवंशों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।



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