Jhansi News: प्राथमिक विद्यालय ढिकौली बना जनपद का पहला ’स्मार्ट स्कूल’

Jhansi News: कई ऐसे लोग होते हैं, जो हर समय समस्याओं का रोना रोते रहते हैं। इनमें से कई ऐसे भी लोग हैं, जो समस्याओं का रोना-धोना में न पडकर समस्याओं को निपटाने का प्रयास करते हैं।;

Report :  B.K Kushwaha
Update:2024-03-15 12:02 IST

प्राथमिक विद्यालय ढिकौली बना जनपद का पहला ’स्मार्ट स्कूल’ (न्यूजट्रैक)

Jhansi News: कई ऐसे लोग होते हैं, जो हर समय समस्याओं का रोना रोते रहते हैं। इनमें से कई ऐसे भी लोग हैं, जो समस्याओं का रोना-धोना में न पडकर समस्याओं को निपटाने का प्रयास करते हैं। ऐसे लोगों के लिए ही जहांँ चाह, वहाँ राह वाली कहावत बनाई गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालय ढिकौली, ब्लॉक बबीना के शिक्षक डॉ. अचल सिंह पर भी यह कहावत फिट बैठती है। वर्ष 2015 में स्थानांतरित होकर आए शिक्षक को विद्यालय की खस्ता हालत मिली थी। पूरे विद्यालय में एक मात्र कुर्सी बैठने को थी। जिसके एक पाये में एक लकड़ी तार से बंधी हुई थी। शिक्षिकाएं खिड़की पर बैठकर अध्यापन कार्य करती थीं। छात्रांकन भी 62 था। फर्श टूटा हुआ था। मात्र एक छोटा सा कैमरा और एक खुला बरामदा था। बच्चे टाट पट्टी पर बैठते थे। कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता था। इन सब के चलते शिक्षा का स्तर भी निम्न था। इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रधानाध्यापक ने विद्यालय प्रबंध समिति एवं ग्राम प्रधान के साथ कई बैठकें कीं।

विद्यालय को संवारने और सजाने के लिए योजना बनाकर काम किया। इसके लिए शिक्षक को अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ी। इसका नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण अभियंता अभियंत्रण विभाग (आरईएस) ने विद्यालय को जर्जर घोषित कर दिया । इसलिए बच्चों को गांँव के ही पूर्व माध्यमिक विद्यालय के कक्षाओं में अस्थाई रूप से स्थानांतरित कर दिया गया। इससे बड़े छात्रों के साथ छोटे छात्रों का तालमेल सही से नहीं बन पा रहा था। शिक्षक ने जिलाधिकारी एवं लोकपाल (मनरेगा ) सहित विभाग के अधिकारियों से फरियाद लगाई। जिससे विभाग ने एक अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनाने की धनराशि विद्यालय प्रबंध समिति को दे दी।

विद्यालय ध्वस्त कर एक कमरा बनाया गया, जो सफेद हाथी साबित हो रहा था। शिक्षक अचल सिंह ने सांसद अनुराग शर्मा से एक अतिरिक्त कक्षा कक्ष और स्मार्ट क्लास के लिए लगभग 7.19 लाख रुपए सांसद निधि से स्वीकृत काराए। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग ने यह कक्षा बनाकर स्मार्ट क्लास में एडुकॉम लगाया। इस तरह लगभग 3 वर्ष बाद पुनः बच्चों को अपना स्कूल मिल पाया। शिक्षक की मेहनत से विद्यालय को हरा भरा बनाया गया। छात्र-छात्रा शौचालय, दिव्यांग शौचालय एवं डाइनिंग शेड का निर्माण मनरेगा एवं ग्राम पंचायत निधि से कराया गया । इससे शासन द्वारा निर्धारित 19 पैरामीटर से विद्यालय संतृप्त हुआ। विद्यालय का छात्रांकन 102 हो गया। आईसीटी आधारित शिक्षा पर खास फोकस इस विद्यालय की विशेषता है। बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए खेल खिलाए जाते हैं। नैतिक शिक्षा पर खास जोर दिया जाता है, जिससे बालकों का सर्वांगीण विकास हो सके।

पूरा विद्यालय स्मार्ट क्लास में तब्दील हुआ

सांसद अनुराग शर्मा ने विद्यालय में सांसद निधि से एडुकॉम लगवाया। जिससे बच्चे स्मार्ट क्लास में इंटरनेट की दुनिया से जुड़कर खुद स्मार्ट होने लगे । पढ़ाई के साथ-साथ महापुरुषों की जीवनी, कार्टून ,बाल फिल्म एवं यूट्यूब के पढ़ाई से संबंधित वीडियो देखने से बच्चों के ज्ञान एवं उनकी उपस्थिति में इजाफा हुआ। इससे शिक्षक के हौसलों को पंख लग गए। उसने दिल्ली की एक स्वयं सेवी सोशल वेलफेयर एंड अपलिफ्टमेंट समूह दिल्ली, नामक संस्था से विद्यालय को दान में स्मार्ट टीवी दिलवाएं। इससे विद्यालय का हर कक्ष स्मार्ट क्लास में तब्दील हो गया। इसके साथ ही जनपद का पहला फुली स्मार्ट विद्यालय होने का गौरव इस विद्यालय को प्राप्त हुआ।

बैंचों पर बैठकर पढ़ते हैं बच्चे

प्रधानाध्यापक डॉ. अचल सिंह को यह बात खटक थी कि उनके विद्यालय के बच्चे टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ते हैं। वह अक्सर बच्चों के में यह हीन भावना पैदा हो रही है, इसका एहसास करते थे। उन्होंने स्वयं सेवी संस्थाओं से विद्यालय को टेबल बेंच दान में दिलाकर टाट पट्टियों को विद्यालय से विदा किया। अब बच्चे बैंचों पर बैठकर कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों की तरह पढ़ाई करते हैं।

आपसी सहयोग से इनवर्टर लगाया

गर्मी एवं उमस में बच्चों का हाल बेहाल हो जाता था। उनका पढ़ाई में ठीक से मन नहीं लगता था। वह पसीने से तर-वतर हो जाते थे । इससे मुक्ति के लिए शिक्षक ने विद्यालय की शिक्षिकाएं अंजु कृशनानी, कीर्ति अग्रवाल, किरन यादव एवं अंजना यादव से सहयोग राशि लेकर इनवर्टर लगवाया। इससे बच्चों को उमस और पसीने से आजादी मिली।

दान में मिलीं किताबें

विद्यालय के प्राक्कतन छात्र राजेश दुबे ने पुस्तकालय के लिए बच्चों के लिए उपयोगी दर्जनों पुस्तकें दान में दीं। जिन्हें पढ़कर बच्चे खुश होते हैं तथा घर पढ़ने को किताबें ले जाते हैं। उपस्थिति बढ़ाने के लिए हर माह मंथ ऑफ स्टार एवं मंथ ऑफ स्टूडेंट चुना जाता है। जिससे माह एवं वर्ष के अंत में चुना जाता है तथा इस छात्र को एक दिन का हेड मास्टर भी बनाया जाता है।

हैप्पी बर्थ-डे से गूंँजता विद्यालय

प्रत्येक माह में जिन छात्रों का जन्मदिन पड़ता है। उनका जन्मदिन माह के अंतिम शनिवार को धूमधाम से मनाया जाता है ।इसमें गायत्री परिवार का सहयोग भी मिलता है। इनके द्वारा बच्चों को संस्कारित करने पर बल दिया जाता है । बच्चे मिलकर केक काटते तथा खूब डांस करते हैं । इस नवाचार के कारण ही विद्यालय में बच्चों की प्रतिदिन उपस्थिति 70 से 80 प्रतिशत रहती है।

19 पैरामीटर से संतृप्त विद्यालय

खंड शिक्षा अधिकारी बबीना ब्रह्म नारायण श्रीवास्तव के अनुसार इस विद्यालय ने शासन के द्वारा निर्धारित 19 पैरामीटर ही पूरे नहीं किए, बल्कि प्रधानाध्यापक अचल सिंह की मेहनत से पूरा विद्यालय ही स्मार्ट हो गया। जिससे हर कक्षा में स्मार्ट टीवी या एडकॉम से बच्चे पढ़ाई करते हैं। जिला समन्वयक रत्नेश त्रिपाठी के अनुसार विद्यालय का शैक्षिक वातावरण बहुत अच्छा है। कॉन्वेंट स्कूलों के विद्यार्थी अपना नाम कटा कर इस सरकारी विद्यालय में लिखवा रहे हैं। प्रधानाध्यापक की मेहनत से विद्यालय का निर्माण हो पाया है। साथ ही पढ़ाई के कारण गांँव के 2 प्राइवेट स्कूल बंद हो गए।

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