Jhansi News: बुन्देलखण्ड के समग्र विश्लेषण पर आयोजित होगी संगोष्ठी

Jhansi News: बुन्देलखण्ड सांस्कृतिक बहुलता एवं विविधता के लिए जाना जाता है। बुन्देलखण्ड का अतीत, वर्तमान एवं भविष्य एक सकारात्मक विमर्श के माध्यम से ही स्थापित किया जा सकता है।

Report :  B.K Kushwaha
Update:2024-02-17 17:43 IST

बुन्देलखण्ड के समग्र विश्लेषण पर आयोजित होगी संगोष्ठी: Photo- Newstrack

Jhansi News: बुन्देलखण्ड सांस्कृतिक बहुलता एवं विविधता के लिए जाना जाता है। बुन्देलखण्ड का अतीत, वर्तमान एवं भविष्य एक सकारात्मक विमर्श के माध्यम से ही स्थापित किया जा सकता है। इसी प्रयोजन हेतु दो दिवसीय 23-24 फरवरी 2024 को राष्ट्रीय संगोष्ठी विषय- समग्र बुन्देलखण्ड : एक विमर्श का आयोजन गांधी सभागार बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी उत्तर प्रदेश में किया जाना प्रस्तावित है।

राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन महाराजा छत्रसाल स्मृति न्यास, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् दिल्ली, संस्कृति मंत्रालय उत्तर प्रदेश सरकार एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के संयुक्त सत्तावधान में किया जाएगा। बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में संगोष्ठी के संबंध में बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें संगोष्ठी के तैयारी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई एवं व्यवस्था समितियों का गठन किया गया।

महाराजा छत्रसाल स्मृति न्यास के सचिव एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. अमित कुमार कुशवाहा आचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ ने बताया कि संगोष्ठी के लिए विषय विशेषज्ञों का चयन किया जा चुका है। इसमें बुन्देली भाषा, संस्कृति, साहित्य, इतिहास, पर्यटन, समाज, कला, वास्तु कला, लोक नृत्य, लोक परंपरा, रीति रिवाज एवं बुन्देली विरासत पर देश भर से आए विद्त जन गहन विमर्श करेंगे।

अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. मुन्ना तिवारी ने कहा कि विश्वविद्यालय बुन्देलखण्ड के विकास के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है। यह प्रयास निश्चित रूप से नवीन संभावनाओं को तलाशने में सहायक सिद्ध होगा। शैक्षणिक संस्थान की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करे।

इस बैठक में आयोजन समिति में उपस्थित डॉ उमेश कुमार, भीष्म प्रताप सिंह बुंदेला, डॉ जयसिंह, डॉ. प्रेमलता श्रीवास्तव, डॉ. शैलेन्द्र तिवारी, गोविन्द यादव, सत्या, शाश्वत सिंह, विजया, आकांक्षा, प्रियांशु एवं अन्य शिक्षकों एवं शोधार्थियों की उपस्थित रही।

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