Jhansi News: पेट के कैंसर की जटिलता से बचने का उपाय: शुरुआती पहचान और सही उपचार

Jhansi News: गैस्ट्रिक कैंसर का शुरुआती मूल्यांकन गहन शारीरिक परीक्षण और रोगी के इतिहास की समीक्षा से शुरू होता है। ऊपरी गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी और बायोप्सी आमतौर पर निदान की पुष्टि के लिए की जाती है।

Report :  Gaurav kushwaha
Update:2024-11-27 15:19 IST

 Jhansi News ( Pic- Newstrack)

 Jhansi News: गैस्ट्रिक कैंसर, जिसे पेट का कैंसर भी कहा जाता है, एक गंभीर समस्या है जो पेट की अंदरूनी परत से शुरू होती है और तेजी से फैलने की क्षमता रखती है। इसके शुरुआती लक्षण अक्सर हल्के और अस्पष्ट होते हैं, जिससे इसका निदान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।सामान्य लक्षणों में लगातार पेट दर्द, निगलने में कठिनाई, बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन घटने, थोड़ी मात्रा में खाने के बाद भी जल्दी भरा हुआ महसूस करना और लंबे समय तक चलने वाली अपच या एसिडिटी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, मिचली, उल्टी (कभी-कभी खून के साथ), और एनीमिया के कारण थकान जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। यदि ये लक्षण कुछ सप्ताहों से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो तत्काल चिकित्सा परामर्श लेना आवश्यक है।

गैस्ट्रिक कैंसर का शुरुआती मूल्यांकन गहन शारीरिक परीक्षण और रोगी के इतिहास की समीक्षा से शुरू होता है। ऊपरी गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी और बायोप्सी आमतौर पर निदान की पुष्टि के लिए की जाती है। निदान के बाद, बीमारी के फैलाव का पता लगाने के लिए पूरे शरीर का PET CT किया जाता है। यदि बीमारी मेटास्टेटिक होती है, तो इसे मुख्य रूप से कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी से प्रबंधित किया जाता है।मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी(जीआई और एचपीबी) विभाग के वरिष्ठ निदेशक डॉ विवेक मंगला ने बताया कि "गैस्ट्रिक कैंसर के शुरुआती निदान का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह उपचार के परिणामों को सीधे प्रभावित करता है। जब इस बीमारी का पता समय पर लग जाता है, तो हम इसे अक्सर पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। लेकिन अगर देरी होती है, तो उपचार की प्रक्रिया जटिल और कम प्रभावी हो जाती है। हर व्यक्ति को पेट की समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए और लक्षणों के लंबे समय तक बने रहने पर विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।"

स्थानीयकृत लेकिन जटिल मामलों में पहले कीमोथेरेपी दी जाती है और फिर रोगी का पुनर्मूल्यांकन कर सर्जरी के माध्यम से ट्यूमर को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया लेप्रोस्कोपिक, रोबोटिक, या पारंपरिक सर्जरी के माध्यम से की जा सकती है। बहुत शुरुआती अवस्था में, अगर कैंसर छोटे और स्थानीयकृत हो, तो इसे एंडोस्कोपी के माध्यम से भी हटाया जा सकता है। सर्जिकल विकल्प जैसे टोटल गैस्ट्रेक्टॉमी, सबटोटल गैस्ट्रेक्टॉमी, और डिस्टल गैस्ट्रेक्टॉमी ट्यूमर के स्थान और प्रकृति पर निर्भर करते हैं।डॉ विवेक मंगला ने आगे बताया कि “गैस्ट्रिक कैंसर की रोकथाम और समय पर निदान जीवन को बचा सकता है। विशेष रूप से वे लोग जिन्हें हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण, पुरानी गैस्ट्राइटिस, या गैस्ट्रिक पॉलिप्स का इतिहास हो, उन्हें सतर्क रहना चाहिए। जागरूकता और समय पर कार्रवाई इस बीमारी से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके लक्षणों को पहचानने, शीघ्र चिकित्सा सलाह लेने और चिकित्सीय निर्देशों का पालन करने से इस चुनौतीपूर्ण स्थिति का बेहतर तरीके से सामना किया जा सकता है।“इम्यूनोथेरेपी भी एक प्रभावी विकल्प बनकर उभरी है, खासकर उन मामलों में जो मानक उपचारों का जवाब नहीं देते। दवाएं जैसे पेम्ब्रोलिजुमैब और निवोलुमैब, कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की मदद करती हैं। उन्नत मामलों में रेडिएशन थेरेपी का उपयोग लक्षणों को कम करने के लिए किया जा सकता है।

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