Jhansi News: जब बैलगाड़ी से दुल्हन को विदा कराने पहुंचा दूल्हा, देखने वालों का लगा हुजूम

Jhansi News: शादी के बाद दुल्हन को आजकल डोली से विदाई करवाने का चलन आम हो गया है।;

Report :  B.K Kushwaha
Update:2024-03-03 17:28 IST

झांसी में बैलगाड़ी से दुल्हन को विदा कराने पहुंचा दूल्हा (न्यूजट्रैक)

Jhansi News: शादी के बाद दुल्हन को आजकल डोली से विदाई करवाने का चलन आम हो गया है। इसके अलावा अपना कई बार ये भी सुना होगा की अपनी नई नवेली दुल्हन को विदा करवाने के लिए दूल्हा हेलीकॉप्टर से पहुंचा हो। लेकिन झांसी में पुरानी परंपराओं को निभाते हुए और लोगों को भारतीय संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से दूल्हा अपनी दुल्हन को विदा कराने के लिए जब रंग बिरंगे कपड़े और फूल मालाओं से सजी बैल गाडियां पहुंचा तो पुरानी परंपराओं की यादें ताजा हो गई। जिसको देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।

झांसी जनपद के लहर गांव निवासी हरिओम यादव के पुत्र रणबीर का विवाह चिरगांव के सिया सुल्तान पुरा निवासी चाहत के साथ 2 मार्च को शिवपुरी रोड बिहारी तिराहे के पास बने रामजी रिसोर्ट से हुआ था। तीन मार्च को सुबह विदाई समारोह चल रहा था। तभी अचानक दर्जनों बैल गाडियां रंग बिरंगे कपड़े और फूल मालाओं से सजी हुई पहुंच गई, साथ में ढोल नगाड़े और डीजे सहित रंग बिरंगे कपडे में सजे घोड़े भी थे। जैसे ही दुल्हन की बिदाई कार्यक्रम आयोजित हुआ।

दुल्हन को बैलगाड़ी में बैठाकर बिदाई कराई गई। जिसके सारथी दूल्हे के चाचा सीपरी बाजार के लहर गांव निवासी समाज सेवी पंजाब सिंह यादव बने थे। जैसे ही बैल गाड़ियों ने दुल्हन को विदा कर ले जाया जा रहा था तो रंग बिरंगे कपड़े और फूल मालाओं में सजी बैल गाडियां, आगे डीजे पर नित्य करते घोड़े और बारातियों ने पुरानी परंपराएं याद करा दी। विवाह घर से लहर गांव करीब चार किलो मीटर चली इस विदाई समारोह को देखने वालों का सड़कों पर हुजूम लग गया। विदाई समारोह इतना शानदार था की पुरानी परंपराओं को ताजा करने और देखने के लिए उमड़ी भीड़ का मन मोह लिया।

इस दौरान दूल्हे के चाचा पंजाब सिंह यादव ने बताया की वह अपनी पुरानी परंपरा और संस्कृति को बनाए रखने के लिए नई बहु को बैलगाड़ी से विदा कर घर ले जा रहे हैं। जिससे नई विवाहित जीवन शुरू करने वाले बेटे बहु भारतीय संस्कृति से जुड़े रहें। वहीं दूल्हे के पिता हरिओम यादव ने कहा की वह किसान के बेटे है, ओर किसानों की जो परंपराएं थी ग्रामीण क्षेत्रों में बैल गाड़ियों से विदाई कराना जिसे लोग भूलते जा रहे। उस परंपरा को पुनः सुचारू करने के लिए उनके दिमाग में बैलगाड़ी से बिदाई कराने की बात मन में आई। उन्होंने लोगों से अपील भी की पूरी दुनिया में हमारी भारतीय संस्कृति को अपनाया जा रहा है। और हम भारतीय पश्चिमी संस्कृति की तरफ भाग रहे है। सभी को चाहिए जितना भी भारतीय संस्कृति को अपनाया जाए।

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