लखनऊ: मुजफ्फरनगर दंगों की जांच के लिए गठित जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट और उसकी संस्तुतियों पर की गई कार्रवाई का ब्योरा रविवार को विधानसभा के पटल पर रखा गया। सरकार ने इसमें माना है कि मुजफ्फरनगर दंगों में चूक हुई। जिसमें तत्कालीन एसएसपी सुभाष चंद्र दुबे को दोषी माना गया है। इसको देखते हुए दुबे पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जबकि तत्कालीन प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव, डीएम कौशल राज शर्मा, सीओ जानसठ जगत राम जोशी को क्लीन चिट दी गई है।
एलआईयू भी जिम्मेदार
दंगों के लिए पहली नजर में इंटेलिजेंस (एलआईयू) को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस मामले में अभिसूचना विभाग के तत्कालीन एडीजी से सष्टीकरण मांगने का फैसला किया गया है। इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
14 लोगों को छोड़ने से पनपा आक्रोश, संदेश गया कि सरकार मुस्लिम पक्षधर
-आयोग के अनुसार, सचिन और गौरव की हत्याओं के संबंध में निरूद्ध किए गए 8 व्यक्तियों को नहीं बल्कि 14 लोगों को छोड़ा गया था जो कि एफआईआर में नामजद नहीं थे और उनके विरूद्ध कोई संदेह भी नहीं था।
-लेकिन इन लोगों को छोड़ दिए जाने के कारण हिंदुओं विशेषकर जाट समुदाय में आक्रोश पनपा और यह संदेश गया कि प्रशासन और सरकार मुस्लिमों की पक्षधर है और उनके प्रभाव में काम हो रहा है।
तत्कालीन डीएम से भी मांगा जाएगा स्पष्टीकरण
-महापंचायत की घोषित तारीख के पहले भीड़ को नियंत्रित करने के लिए क्या व्यवस्था की गई थी।
-सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने क्या व्यवस्थाएं की थी।
-महापंचायत में विभिन्न संगठनों के नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों आदि की रिकॉर्डिंग/ वीडियोग्राफी कराई गई थी या नहीं। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उसके क्या कारण थे।
क्लीन चिट देने के पीछे आयोग के तर्क
-आयोग का कहना है कि आरएम श्रीवास्तव ने एसएसपी मंजिल सैनी का तबादला शासन के आदेश के बाद किया।
-जबकि जगत राम जोशी ने प्रभारी निरीक्षक जानसठ शैलेंद्र कुमार को बंद लोगों को छोड़ने के लिए निर्देश दिया था। यह दोनों कार्यवाही कानून के मुताबिक थी।
-इसलिए इन अधिकारियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
-आयोग का कहना है कि फिर भी यह अधिकारी सांप्रदायिक दंगों के लिए एक कारण बने।
डीएम के पास नहीं बचा था कोई विकल्प
-आयोग का कहना है कि 30 अगस्त को कादिर राणा और अन्य व्यक्तियों से ज्ञापन लिए जाने के फलस्वरूप हिंदू आक्रोशित हुए जो दंगों को मुख्य कारण बना। पर इन परस्थितियों में डीएम के पास ज्ञापन लेने के सिवाय और कोई विकल्प नहीं बचा था। यदि वह ज्ञापन नहीं लेते तो उस दिन कुछ भी हो सकता था।
जांच रिपोर्ट में दंगों के मुख्य कारण
-सोशल और प्रिंट मीडिया ने दंगों के संबंध में बढ़ा चढ़ाकर रिपोर्टिंग की।
-अभिसूचना इकाई के निरीक्षक प्रबल प्रताप सिंह मुख्य उत्तरदाई।
-27 अगस्त 2013 के कुछ माह पूर्व पश्चिमी यूपी विशेष रूप से मुजफ्फरनगर और शामली जिलों में हिंदू और मुस्मिल समुदायों के बीच सांप्रदायिक मतभेदों का होना।
-इन अधिकारियों के ट्रांसफर से हिंदू समाज (विशेषरूप से जाट समुदाय) में सरकार के विरूद्ध आक्रोशित हुए।
-सचिव और गौरव की हत्या के संबंध में उस समय की गई एफआईआर में जो आठ व्यक्ति नामजद नहीं थे, इन अधिकारियों के आदेश पर ही उन आठ व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया था। -ऐसे में इन तबादलों से लोगों के बीच जो संदेश गया, वही दंगे का मुख्य कारण बना।