Kannauj News: सावन के तीसरे सोमवार पर शिव मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़‚ जानिए क्या है महत्व?

Kannauj News: पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि श्रावण का महीना बड़ा पावन है, यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शंकर कण-कण में विद्यमान है।

Update: 2024-08-05 04:40 GMT

Kannauj News (Pic: Newstrack)

Kannauj News: श्रावण महीने में भगवान शंकर के सभी मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ सुबह से ही नजर आने लगती है। आज सावन के तीसरे सोमवार पर शिव भक्तों ने गंगा स्नान करने के बाद शिव मंदिर पहुंचकर भगवान भोले शंकर की पूजा अर्चना की और उनसे अपने जीवन में सुख शांति के लिए मनोकामना की। कुछ भक्त ऐसे भी थे‚ जिनकी मनोकामना पूर्ण होने पर वह भोले बाबा को कांवर में गंगाजल भरकर चढ़ाने जा रहे थे‚ जो अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर काफी प्रसंन्न दिख रहे थे और हर हर महादेव की गूंज के साथ सभी शिवभक्त भक्ति रस में डूबे दिखे। वहीं इस सावन के तीसरे सोमवार का क्या है विशेष महत्व जानते हैं।

विद्वान पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि आज मंदिर पर बहुत ही भक्तों का आना जाना और भीड़ है। भगवान शंकर से संसार के लोगों का ऐसा लगाव है क्योंकि भगवान शिव कल्याण करने वाले और समस्त संसार के कल्याण के भूपति है। इसलिए समस्त भक्त आज आकर सोमवार के दिवस में भगवान से अपनी प्रार्थना कर रहे है।


सावन में तीसरे सोमवार का है बड़ा महत्व

पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने बताया कि श्रावण का महीना बड़ा पावन है, यह महीना भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शंकर कण-कण में विद्यमान है। सोमवार का तो वैसे भी बड़ा महत्व है क्योंकि चन्द्र मौली भगवान शंकर और साक्षात चन्द्रमा भगवान शंकर के मस्तक पर विराजित है। इसलिए भगवान शंकर के इस सोमवार पर जो तीसरा है‚ इस बार सावन में पांच सोमवार है और उसका भी बड़ा महत्व है आज का योग बड़ा सुन्दर है। सभी भक्त आकर आज भगवान शंकर से अपनी मनोरथ पूर्ति के लिए प्रार्थना कर रहे है तो भगवान शिव शंकर सबका कल्याण करें। इस भाव के साथ आप सभी को भी श्रावण मास की हार्दिक शुभकामनाएं। शिव सदैव सबका कल्याण करें। शिव सदैव सबकी रक्षा करें और शिव सदैव सम्पत्ति‚ उन्नति और आपको मोक्ष पद पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहें‚ क्यों कि सतत समाधि में भगवान शंकर रहते है।


कोई ऐसा अन्य त्रिदेव है ही नही जो भगवान शंकर से अलग हो

विद्वान पंडित आशुतोष त्रिपाठी ने आगे बताया कि ऐसा शास्त्रों में वर्णन है कि भगवान शंकर सदैव भगवान श्री हरि और रम्भा जो मूल आधार रूप है वह तीनों भगवान शिवलिंग में ही विराजित है। कोई ऐसा अन्य त्रिदेव है ही नही जो भगवान शंकर से विरक्त हो अलग हो। भगवान शंकर सबमें है और सब भगवान शंकर में ही हैं। शिव संसार के कल्याण के प्रतीक है। यह शिवलिंग ज्योति स्वरूप है। शिव अर्थात शक्ति के सहित शिव अर्थात संसार में कर्म और भक्ति सहित आप कर्म से जुड़े रहिए और भक्ति पद पर चलकर अपनी शक्ति का सदुपयोग करते हुए संसार के कल्याण के लिए आप सबके कार्य आ सके और सभी के लिए आप कुछ न कुछ ऐसा परमार्थ कर सकें जिससे सृष्टि में सदैव आपके नाम और भगवान शिव के प्रेम की यह गूंज बनी रहे। 

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