Kannauj News: सैकड़ों साल पुराना है यह दिव्य काली दुर्गा मंदिर, देखें इस मंदिर की कितनी प्राचीन है देवी प्रतिमा और क्या है मान्यता

Kannauj News: कन्नौज की सीमा में दाखिल होते ही प्राचीन माता दुर्गा काली मंदिर हो। दुर्गा काली मंदिर की कई प्रतिमाएं तो ऐसी है जो अति प्राचीन है। दवा यह भी किया जाता है की नवी शताब्दी की यह प्रतिमाएं यहां पर है। जो कि अपने आप में बहुत ही दिव्या और अद्भुत है। मुख्य प्रतिमा ऐसी है जो अपना स्वरूप दिन में करीब तीन बार बदलता है।

Update: 2023-10-22 17:20 GMT

सैकड़ों साल पुराना है यह दिव्य काली दुर्गा मंदिर: Video- Newstrack

Kannauj News: यूपी के कन्नौज जिले में कई ऐसे प्राचीन धार्मिक स्थल है जो कि विश्व विख्यात है। गौरीशंकर मंदिर,माता फूलमती मंदिर,तिर्वा का अन्नपूर्णा मंदिर हो या फिर कन्नौज की सीमा में दाखिल होते ही प्राचीन माता दुर्गा काली मंदिर हो। दुर्गा काली मंदिर की कई प्रतिमाएं तो ऐसी है जो अति प्राचीन है। दवा यह भी किया जाता है की नवी शताब्दी की यह प्रतिमाएं यहां पर है। जो कि अपने आप में बहुत ही दिव्या और अद्भुत है। मुख्य प्रतिमा ऐसी है जो अपना स्वरूप दिन में करीब तीन बार बदलता है।

कितनी प्राचीन है, मंदिर में देवी की मूर्ति

मंदिर के महंत ने बताया कि करीब 25 से 26 साल पहले यहां पर जांच की गई थी तो यह आकलन निकलकर आया था। कि यह प्रतिमाएं बहुत ही प्राचीन है यहां तक की यह भी अंदाजा लगाया गया था की नवी शताब्दी के समय यह प्रतिमाएं बनाई गई थी। जिसमें गणेश जी की प्रतिमा खड़ी हुई है और दो माता की प्रतिमा ऐसी है जिसमें वह अद्भुत तरीके से फूल और सिंह पर विराजमान है। पूरे पत्थर में गढ़ी हुई यह प्रतिमाएं बहुत ही अलौकिक और बिल्कुल ही अलग दिखाई देती हैं।


कहाँ पर स्थित है यह मंदिर

कन्नौज की सीमा में दाखिल होते ही सबसे पहले आपको सबसे पुराना और प्राचीन मंदिर माता दुर्गा काली मंदिर ही मिलेगा सदर क्षेत्र के अंधा मोड़ स्थित जीटी रोड से करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर यह मंदिर बना हुआ है वैसे तो इस मंदिर में हमेशा ही श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है लेकिन नवरात्र के समय में इस मंदिर की मान्यता बहुत खास हो जाती है श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ यहां पर दिखाई देती है आम जनता से लेकर बड़े-बड़े राजनेता भी यहां पर माता के मंदिर में माथा टेकने आते हैं।



क्या बोले मंदिर महंत

मंदिर के पुजारी स्वामी अखंडा नंद जी महाराज ने बताया कि वह करीब 26 वर्ष से ज्यादा समय से इस मंदिर में सेवादार के रूप में रहते हैं। इस मंदिर की प्रतिमाएं नवी शताब्दी की है। यह मंदिर कन्नौज की सीमा में घुसते सबसे पहले और सबसे प्राचीन मंदिर यहां के लोगों को मिलता है। इस मंदिर की अगर महिमा की बात की जाए तो यहां पर जो भी भक्त सच्चे मन से माता के मंदिर में सेवा भाव से सेवा करता है। उसकी माता हर मनोकामना पूरी करती हैं। ऐसे कई चमत्कार हुए हैं जिनमें माता ने अपना चमत्कार साक्षात दिखाया है। एक बार एक पुलिसकर्मी यहां पर बाहर से सुरक्षा में आया था उसकी संतान नहीं हो रही थी इसके बाद उसने माता से प्रार्थना की और वह यहां से चला गया एक से डेढ़ वर्ष के भीतर ही उसकी मनोकामना पूरी हुई और वह सब परिवार माता के मंदिर में पूजा अर्चना करने हर साल आने लगा। ऐसे ही अनेक किस्से हैं जिससे माता के चमत्कार और कृपा यहां पर लोगों को हमेशा मिला करते हैं।

वहीं माता की प्रतिमा की बात करी जाए तो मुख्य दुर्गा काली प्रतिमा का स्वरूप सुबह 4:00 बजे एक कन्या के रूप में दिखाई देता है तो वहीं दोपहर होते-होते यह स्वरूप बिल्कुल साधारण एक महिला की तरह हो जाता है। वहीं रात्रि के समय अगर यह रूप देखा जाए तो यह रूप बहुत ही विकराल काली जैसा प्रतीत होता है।ऐसे में यहां पर यह प्रतिमा दिन में तीन बार चमत्कारी तरीके से अपना स्वरूप बदलता है।नवरात्रों में यहां पर भक्तों का तांता सुबह से शाम तक लगा रहता है।

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