कानपुर में मेगा लेदर कल्स्टर की स्थापना को मंजूरी, 5850 करोड़ रुपये का होगा निवेश
इस परियोजना के पूर्ण होने जाने पर उत्तर प्रदेश के चर्म उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर की अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी तथा घरेलू चर्म उद्योग को बेहतर उत्पादकता, परियोजना के तहत कल्स्टर में एक 20 एमएलडी क्षमता के दूषित जल ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की जायेगी।
लखनऊः कानपुर में ग्रीन फील्ड मेगा लेदर पार्क की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी प्रदान कर दी गई है। कानपुर में मेगा लेदर कल्स्टर की स्थापना से लगभग 5850 करोड़ रुपये का निवेश होगा और लगभग 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष एवं 1.50 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सुलभ होंगे । इसके माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 13000 करोड़ रुपये का टर्नओवर भी होगा।
यह जानकारी उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि मेगा लेदर पार्क की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 236 करोड़ रुपये तथा भारत सरकार द्वारा 125 करोड़ रुपये कुल 451 करोड़ रुपये सहित अवस्थापना सुविधाओं के लिए व्यय किये जाएंगे ।
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इसके तहत सड़क, वाटर सप्लाई, सीवेज, ड्रेनेज, हार्टीकल्चर, बाउंड्रीवाल, स्ट्रीट लाइट, इंटरनल वाटर सप्लाई, इंटरनर स्ट्रोम वाटर ड्रेनेज, आई टी एण्ड टेलीकम्यूनिकेशन, प्रशासनिक भवन, डिजाइन लैब, टेस्टिंग लैब, वैल्यू एडीशन सेंटर, हास्टल तथा अन्य सामान्य सुविधाएं उद्यमियों को सुलभ कराई जायेंगी।
चर्म उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर की अवस्थापना सुविधाएं
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि इस परियोजना के पूर्ण होने जाने पर उत्तर प्रदेश के चर्म उद्योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर की अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी तथा घरेलू चर्म उद्योग को बेहतर उत्पादकता, सिंह ने बताया कि परियोजना के तहत कल्स्टर में एक 20 एमएलडी क्षमता के दूषित जल ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना की जायेगी। 250 एकड़ क्षेत्र में प्रस्तावित इस परियोजना से कानपुर की सभी प्रमुख टैनरियां आच्छादित हो सकेंगी।
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1.20 लाख लोगों को रोजगार
मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि कानपुर में 2125 इकाइयां स्थापित हैं, जिसके माध्यम से 1.20 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। इन इकाइयों में प्रतिदिन 75000 जोड़े फुटवेयर का निर्माण होता है और लगभग 6500 करोड़ रुपये के उत्पादों का निर्यात भी किया जाता रहा है। इससे प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का टर्नओवर भी होता था। प्रदूषण आदि की वजह से इन टैनरियों को 18 नवम्बर,2018 को बंद कर दिया गया। इस संबंध में उन्होंने कानपुर जाकर टैनरियों की विस्तार से समीक्षा की और 20 दिसम्बर से पुनः इनको शुरू करने के स्वीकृति दी गई। लेकिन कारणों से 19 फरवरी से इन्हें एक बार पुनः को बंद करना पड़ा है। कानपुर के चर्म उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए उठाये गये इन कदमों से इस उद्योग को नया आयाम मिलेगा, वहीं नये निवेश के साथ अधिक से अधिक रोजगार पैदा होगा।
रिपोर्टर- श्रीधर अग्निहोत्री