अगर खाली पड़ा है प्लाट, तो जा सकता है हाथों से, हाईकोर्ट हुआ सख्त

उन लोगों के लिए परेशानियां बढ़ सकती है जिन्होंने सालों से आवंटित पड़े प्लाटों का निर्माण नहीं कराया है । हाईकोर्ट ने कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) से हलफनामा मांगा है।

Update: 2017-12-27 12:08 GMT
अगर खाली पड़ा है प्लाट तो जा सकता है हाथों से, हाईकोर्ट हुआ सख्त

कानपुर:उन लोगों के लिए परेशानियां बढ़ सकती है जिन्होंने सालों से आवंटित पड़े प्लाटों का निर्माण नहीं कराया है । हाईकोर्ट ने कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) से हलफनामा मांगा है। एक एनजीओ द्वारा दायर की गयी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि आखिर क्यों न ऐसे प्लाटों का आवंटन निरस्त कर इन्हे जरुरतमंद लोगों को आवंटित कर दिया जाए।बताते चलें कि शहर में ऐसे कई प्लाट बड़ी संख्या में हैं।शहर की एक एनजीओ नवयुग अभियान समिति ने केडीए से आरटीआई में ऐसे प्लाटों की जानकारी मांगी थी लेकिन सूचना नहीं दी गयी ।जिसके बाद ऐसे प्लाटों का जिक्र करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता आशुतोष शर्मा ने बताया कि चीफ जस्टिस दिलीप बी भोंसले और जस्टिस एमके गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई याचिका में तीन प्रमुख मुद्दों पर बात रखी गयी । जिनमें से पहला समय पर निर्माण न होने से विकास प्रभावित हो रहा है। दूसरा ऐसे प्लाट कूड़ाघर में बदल गए है और तीसरा ये कि सरकारी नियम के अनुसार 2 फीसद हर्जाना न लिए जाने से सरकारी खजाने को भी लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। अधिवक्ता आशुतोष के मुताबिक हाईकोर्ट ने कहा जिन्होंने समय से ऐसे प्लाटो का निर्माण नहीं कराया उनके आवंटन निरस्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं की गई। मामले की अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी।

बताते चले कि नगर महापालिका ने साल 1974 में साकेत नगर ,श्याम नगर, किदवई नगर समेत शहर के कई प्रमुख इलाकों में लोगों को प्लाट आवंटित किए थे। इनमें से कई प्लाट ऐसे हैं जिन का अभी तक कोई निर्माण नहीं हो पाया है और जो कूड़ाघरों में तब्दील है।

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