Kanpur News: जंगलों में मिली मूर्ति फिर नाम पड़ा जंगली देवी मंदिर, हजारों भक्तों की भीड़… जो आया खाली न गया
Kanpur News: जंगल में मूर्ति मिलने के कारण माता का नाम जंगली देवी पड़ गया। मंदिर निर्माण के समय अखंड ज्योति जलाई गई जो आज भी प्रज्ज्वलित है। दर्शन मात्र से ही मां भक्तों का कल्याण करती हैं।
Kanpur News: जंगल में मूर्ति मिलने के कारण माता का नाम जंगली देवी पड़ गया। मंदिर निर्माण के समय अखंड ज्योति जलाई गई जो आज भी प्रज्ज्वलित है। दर्शन मात्र से ही मां भक्तों का कल्याण करती हैं।
लोगों के मुताबिक खोखले पेड़ में निकली मूर्ति
1970 से पहले किदवई नगर में दूर-दूर तक जंगल में एक विशालकाय नीम का पेड़ था। जब यह पेड़ खोखला हुआ तो उसमें से मां दुर्गा की प्रतिमा निकली।आसपास के लोगों ने उनकी पूजा करनी शुरू कर दी। कुछ वर्षों बाद तेज आंधी पानी से पेड़ गिर गया था।
दूसरे दिन मां को खुले आसमान के नीचे देखा तो चंदा एकत्र कर मठिया का निर्माण कराया। वहीं मन्दिर निर्माण के बाद से भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी।मंदिर के प्रबंधक विजय पांडेय ने बताया कि जंगल में मूर्ति मिलने के कारण माता का नाम जंगली देवी पड़ गया। तभी श्री जंगली देवी मंदिर ट्रस्ट बना। ट्रस्ट के सदस्य आज भी मंदिर की देखरेख करते है।
नवरात्र पर मंदिर में शहर के अलावा दूर-दूर के जिलों से सैकड़ों लोग दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। मां ढाई क्विंटल भारी सिंहासन पर विराजमान हैं, प्रतिमा के ऊपर लगा छत्र भी चांदी का है।मंदिर में माता की मूर्ति के साथ भी एक मान्यता जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ माता के चेहरे को निहारता है। उसको मनोकामना पूरी होने का संकेत मां की मूर्ति से ही मिल जाता है.
मंदिर अध्यक्ष के मुताबिक माताजी प्रतिमा के सामने जो भक्त पूरी आस्था के साथ चेहरे को निहारता है तो प्रतिमा का रंग धीरे-धीरे गुलाबी होने लगता है तो समझो मनोकामना पूरी हो गई। वहीं नवरात्र में मंदिर के पास भारी मेला लगता है। सुबह शाम तक लाखों श्रद्धालुओ की भीड़ हो जाती है।
नवरात्र के लास्ट दिन मिलता है खजाना
पुजारी ने बताया कि नवरात्र की अष्टमी और नवमी के दिन आने वाले भक्तों को खजाना दिया जाता हैं। ये खजाना जो भी अपने गुल्लक या अलमारी में रखता है। उसका खजाना हमेशा भरा रहता हैं। ये खजाना हर वर्ष बाँटा जाता है।