Kanpur News: कानपुर में हुआ अग्निकांड तो धधक उठेगा शहर, सबक नहीं ले रहा फायर विभाग और प्रशासन
Kanpur News: शहर में बीते दिनों एक मकान में ब्लास्ट के बाद उस ब्लास्ट को सिलेंडर ब्लास्ट का रुप पहले दिया गया था। जहां पुलिस और फॉरेंसिक जांच में पटाखा बनाने वाला एक पदार्थ मिला था।
Kanpur News: शहर में बीते दिनों एक मकान में ब्लास्ट के बाद उस ब्लास्ट को सिलेंडर ब्लास्ट का रुप पहले दिया गया था। जहां पुलिस और फॉरेंसिक जांच में पटाखा बनाने वाला एक पदार्थ मिला था। जिससे पुलिस के होश उड़ गए थे। ये ब्लास्ट एक सीसीटीवी में कैद भी हो गया था। इस ब्लास्ट में एक की मौत भी हो चुकी है। वहीं कानपुर नगर में आए दिन लीकेज सिलेंडर से आग, कहीं केमिकल फैक्ट्री में आग, तो कहीं शॉर्ट सर्किट से आग लग रही है। जहां फायर उपकरण के नाम पर घोल माल है। एमपी और उत्तरप्रदेश में हुए अग्निकांड के बाद कानपुर शहर के कुछ इलाकों का भी यहीं हाल हैं। जहां शहर के अंदर सैकड़ों पटाखा लाइसेंस धारक अपने घरों में पटाखा जमा किए हुए हैं। दीपावली के बाद बचे हुए पटाखों को अपने घर की चार दीवारी में कैद किए हैं। जो कभी भी हादसें का रुप दे सकते हैं।
घनी आबादी में बनी है फैक्ट्रियां
घनी आबादी वाले बाजारों में आग बुझाने के इंतजाम के नाम पर महज दिखावा है। यदि यहां आग लगी तो तबाही मच जायेगी है। वहीं रिहायशी इलाकों में अवैध रूप से फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण नौबस्ता में लगी आग जो 24 घण्टे में बुझ पाई थी। आग की बड़ी घटना हो गई तो विभाग के पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं हैं।
इटली से लाई गई हाइड्रोलिक प्लेटफार्म भी ठीक नहीं
सरकार द्धारा लाखों रुपये खर्च कर इटली से लाई गई हाइड्रोलिक प्लेटफार्म भी अभी तक ठीक नहीं हैं। जो फायर स्टेशन में एक शो रूम में खड़ी गाड़ी की तरह लग रही है। और वहीं कुछ विभागों में फायर के उपकरण भी स्पायरी लगे हुए है। जो बस देखने मात्र के लिए लगे है। और फायर विभागों द्वारा लगाए जा रहे संस्थानों में इन उपकरणों की ट्रेनिंग भी नहीं दी जाती है। यदि आग लगे तो इस उपकरण से आग कैसे बुझाए।
शहर की नामी फैक्ट्री में लगी थी आग, तीन कर्मचारी की हुई थीं मौत
कानपुर शहर में काफ़ी वर्षों पहले एक केमिकल फैक्ट्री में आग लग गई थी। जिसका धुंआ लोगों को रात में भी कई किलोमीटर से दिख रहा था। इस आग में कई जानें भी चली गई थी। वहीं पुरी फैक्ट्री जलकर समाप्त हो गई थी। इस आग को बुझाने में कई दिन कई रात लग गई थी। जो इस अग्निकांड में बच गया। वो आज भी भगवान का शुक्र गुजार करता है।
एमपी में पटाखा फैक्ट्री में धमाका और आगरा की दवा फैक्ट्री में आग से शहर वासियों की चिंताएं बढ़ गई है। वहीं कानपुर में भी कुछ फैक्ट्रियां बिना कागजों पर संचालित है। वहीं मानक के अनुरूप हॉस्पिटल भी बने हुए है। कोचिंग संचालक भी छात्र छात्राओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है।ज्यादातर फैक्ट्री,औद्योगिक प्रतिष्ठान शहर की घनी आबादी वाले रिहायशी इलाकों में अवैध रूप से संचालित हो रही है।
शहर में हो चुके अग्निकांड जिसकी आग सप्ताह तक जली
- दादा नगर पनकी स्थित सुमित केमिकल में काफी वर्षों पहले आग लगी थी। यह आग की लपटे रोड तक आ गई थी। जहां से लोगों का निकलना मुश्किल पड़ गया था। इस फैक्ट्री की आग एक सप्ताह तक धधकती रही थी। इस आग में तीन जिंदगी भी समा गई थी।आग को बुझाने के लिए फैक्ट्री का कुछ हिस्सा भी गिराना पड़ा था।
- ट्रांसपोर्ट नगर के मलिक ट्रांसपोर्ट में काफ़ी वर्षों पहले छत से निकले तारों के कारण आग लग गई थी। जिससे सैकड़ों वाहन आग की चपेट में आ गए थे। ये भी आग क़रीब एक सप्ताह बाद बुझ पाई थी। और इस आग से करोड़ों का नुकसान हुआ था। इसमें भी आग को बुझाने के लिए ट्रांसपोर्ट का कुछ हिस्सा गिराना पड़ा था।
- कोपरगंज में बीते वर्ष हमराज कॉम्प्लेक्स में आग लगी थी। जिससे सैकड़ों दुकानें आग की चपेट में आ गई थी। ये भी आग एक सप्ताह तक धधकती रही थी। इसमें भी बिल्डिंग का कुछ हिस्सा गिरा कर आग बुझाई गई थी। वहीं फिर इस कॉम्प्लेक्स को पुरी तरह ध्वस्त कर दिया गया था। इन आग की लपटों को शांत कराने के लिए यातायात तक बंद कर दिया गया था।उत्तर प्रदेश के कानपुर के बांसमंडी स्थित हमराज कॉम्प्लेक्स में देर रात आग से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ था। ये एक पांच मंजिला थोक होजरी मार्केट थी।
घर की चार दीवारी में कैद पटाखे
दीपावली में पटाखे सेल करने के बाद बचे पटाखे को फुटकर व्यापारी अपने घर की चार दिवारी में कैद कर लेते है। और आने वाले तीज त्यौहार और शादी समारोह में घर से सेल करते है। ये घर में रखें पटाखे एक घटना का रुप दे सकते है। जैसे कानपुर शहर के कंधी मोहाल में बीते जनवरी माह में एक मकान में ब्लास्ट हुआ था। ब्लास्ट का कारण सामने आने पर पुलिस के होश उड़ गए थे। जहां पुलिस ने दो के खिलाफ मुकदमा दर्ज़ किया था। जहां शहर से लेकर देहात तक पटाखों का जाखिरा पटाखे व्यापारी जमा किए है।
गली-गली खुले पड़े है अस्पताल
शहर में कई अस्पताल ऐसे खुल गए है। जहां फायर के उपकरण ही नहीं है और मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। वहीं इन अस्पतालों में अग्नि हादसे के बाद फायर विभाग द्वारा नोटिस थमा जांच कर दी जाती है। और अग्निकांड की जांच के पहले अस्पताल फिर से चालू हो जाते है।