Kanpur News: कुप्पम बनेगा भारत का पहला नेट ज़ीरो निर्वाचन क्षेत्र, IIT कानपुर और KADA की ऐतिहासिक साझेदारी

IT Kanpur News: समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते समय, IIT कानपुर के डीन ऑफ स्टूडेंट्स अफेयर्स प्रोफेसर प्रतीक सेन और KADA के परियोजना निदेशक विकास मरमत मौजूद थे।;

Report :  Avanish Kumar
Update:2025-01-16 14:07 IST

IT Kanpur and KADA Partnership Kuppam will Become Indias First Net Zero Constituency

Kanpur News in Hindi: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर और कुप्पम क्षेत्र विकास प्राधिकरण (KADA) ने आंध्र प्रदेश के कुप्पम को भारत का पहला नेट ज़ीरो निर्वाचन क्षेत्र बनाने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पहल सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य कुप्पम में नेट ज़ीरो उत्सर्जन, जल और अपशिष्ट प्रबंधन को सुनिश्चित करना है।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते समय, IIT कानपुर के डीन ऑफ स्टूडेंट्स अफेयर्स प्रोफेसर प्रतीक सेन और KADA के परियोजना निदेशक विकास मरमत मौजूद थे। इस पहल को IIT कानपुर की कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी द्वारा नेतृत्व किया जाएगा, जिसमें डॉ. राजीव जिंदल और डॉ. मनोज के. तिवारी परियोजना के प्रमुख अन्वेषक होंगे। इस साझेदारी के तहत, IIT कानपुर कुप्पम के विकास के लिए अपनी तकनीकी और वैज्ञानिक विशेषज्ञता का योगदान देगा।


कुप्पम में यह पहल नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा-कुशल प्रणालियाँ, और टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन जैसे प्रमुख तकनीकी हस्तक्षेपों को अपनाएगी। साथ ही, जल प्रबंधन को लेकर भी नई प्रथाओं को लागू किया जाएगा ताकि नेट ज़ीरो जल का लक्ष्य हासिल किया जा सके। यह पहल सस्टेनेबिलिटी के सिद्धांतों को कुप्पम के स्कूलों और कॉलेजों में भी एकीकृत करेगी, जिससे स्थानीय समुदाय में जागरूकता और भागीदारी बढ़ेगी।

प्रोफेसर सच्चिदा नंद त्रिपाठी, डीन, कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी ने इस साझेदारी को भारत में सस्टेनेबिलिटी को पुनः परिभाषित करने का एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इस सहयोग से अक्षय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और जल संरक्षण में अभिनव समाधानों को लागू करने के लिए एक साझा दृष्टिकोण मिलेगा।


इस परियोजना का सफल कार्यान्वयन कुप्पम को एक वैश्विक मॉडल के रूप में स्थापित करेगा, जो यह दिखाएगा कि कैसे समुदाय सतत और समृद्ध भविष्य के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। यह पहल पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए एक आदर्श साबित होगी और देशभर में स्थायी विकास की दिशा में प्रेरणा स्रोत बनेगी।

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