Kanpur news: शीर्ष नेताओं के कहने पर लखनऊ पहुंचे Antu Mishra, होल्ड पर सदस्यता
Kanpur Antu Mishra News: कानपुर के एक शीर्ष नेता और लखनऊ के एक बड़े नेता ने पार्टी में सदस्यता दिलाने को लखनऊ बुला लिया। सदस्यता पर अभी पुख्ता खबर नहीं है।
Kanpur Antu Mishra News: छात्र राजनीति से पार्टी में राजनीति का कदम रखने वाले अनंत मिश्रा उर्फ अंटू मिश्रा जो तीन बार चुनाव हारने के बाद 2007 में फर्रुखाबाद विधानसभा से विधायक बने और बीएसपी सरकार में स्वास्थ मंत्री रहे। सरकार जानें के बाद राजनीति में इनका दांव कमजोर हो गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ज्वाइन करने का मन बना लिया। भाजपा के पदाधिकारियों ने इनका मन पार्टी में आने के लिए टटोला। अनंत मिश्रा ने हामी भर दी। पर कानपुर के एक शीर्ष नेता और लखनऊ के एक बड़े नेता ने पार्टी में सदस्यता दिलाने को लखनऊ बुला लिया। आज सदस्यता ग्रहण करने को लखनऊ भाजपा कार्यालय पहुंच गए। लेकिन शीर्ष नेताओं का कार्यालय में न होने के कारण इनकी सदस्यता होल्ड कर दी गई।
तीन से चार दिन में बना प्लान
सूत्रों के मुताबिक़ भाजपा के नेताओं में अनंत मिश्रा की काफी अच्छी पकड़ है। लोकसभा चुनाव को देख भाजपा ने अनंत को पार्टी में आने को कहा तो अनंत मिश्र का मन बन गया। और भाजपा में आने के लिए हां कर दी। जिस पर पार्टी की तरफ से लखनऊ कार्यालय में भेज कर सदस्यता ग्रहण कराने की बात कही गई। जिसके लिए अंटू आज लखनऊ पहुंच गए। जहां माना जा रहा है कि शीर्ष नेताओं के होने के बाद सदस्यता होगी। तो वहीं कहा यह भी जा रहा है कि दिल्ली से आए एक फोन के कारण उनकी सदस्यता रुक गई। अब देखना यह है कि कानपुर सीट का नाम फाइनल होने के पहले सदस्यता होगी या नहीं।
अंटू का राजनीतिक सफर
पूर्व विधायक अनंत मिश्रा जो राजनीति के पहले कदम में क्राइस्ट चर्च कॉलेज छात्र संघ के सचिव बने। यहां से एनएसयूआई में अनंत का राजनीतिक पदार्पण हुआ। इनका पहला कदम समाजवादी पार्टी से शुरू हुआ। जहां उस समय शुरुआत के चुनाव की राजनीति में बीजेपी और राम मंदिर आंदोलन की हर तरफ गूंज थी। 1993 में अनंत समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े तो वहीं बीजेपी के नीरज चतुर्वेदी से वह 17 हजार वोटों से हारे। उस चुनाव के बाद से अनंत एक बड़े नेता होने लगे थे।
बीएसपी के सतीश चंद्र मिश्रा के है रिश्तेदार
राजनीति चर्चा में अनंत मिश्रा एक बड़े नेता के रुप में जाने जाते हैं। ब्राह्मणों की 70 सीट जीता बीएसपी सरकार बनवाने वाले सतीश चन्द्र मिश्रा के रिश्तेदार भी हैं। सतीश मिश्रा बीएसपी में मायावती के बाद दूसरे नंबर के नेता माने जाते हैं। वहीं अनंत धन से भी मजबूत हैं। और इस सरकार में आकर अपनी राजनीति को जिंदा करना चाहते हैं।अनंत मिश्रा के रिश्तेदार सतीश चन्द्र मिश्रा का ब्राह्मणों में अपना वर्चस्व है और राजनीति में एक बड़ा नाम है।
बीएसपी में मिले थे ब्राह्मणों के वोट
बीएसपी पार्टी के जाने के बाद से अनंत ब्राह्मणों के बीच सक्रिय रहे। अनंत ब्राह्मण समाज के आयोजनों में दिखते रहे। राजनीति को देख लखनऊ से लेकर अनंत ने कानपुर आना जाना रहा। कानपुर के पाली इलाके में अनंत ने परशुराम मंदिर बनवाया। वहीं राजनीति में बीएसपी सरकार जानें के बाद अभी तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। लेकिन कानपुर और आसपास के कई जिलों में ब्राह्मण वोटरों पर उनका असर है।