Gehu Ki Kheti Ka Tarika: गेहूं की फसल के लिए तापमान का महत्व और पाले से बचाव के उपाय
Gehu Ko Pale Se Kaise Bachaye: सीएसए कानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं के बीज के अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त है।
Gehu Ki Kheti Ka Tarika: भारत में गेहूं की खेती प्रमुख फसलों में से एक है, जो देश की खाद्यान्न सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन बदलते मौसम और अत्यधिक ठंड के कारण गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। खासकर पाले की समस्या, जो जनवरी के महीने में अधिक देखने को मिलती है, किसानों के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरती है।
गेहूं के लिए आदर्श तापमान -
सीएसए कानपुर के विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं के बीज के अंकुरण के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त है। यदि तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम हो जाए, तो बीज का अंकुरण धीमा हो जाता है, जबकि 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर अंकुरण प्रभावित होता है। पौधों के विकास के लिए दिन का तापमान 20-25 डिग्री और रात का न्यूनतम तापमान 9-10 डिग्री होना चाहिए।
पौधों के विकास के दौरान अत्यधिक ठंड (पाला) से कोशिकाओं में मौजूद पानी बर्फ में बदल जाता है, जिससे पौधों को गंभीर नुकसान होता है। सब्जियां, पपीता, आम, और अमरूद जैसी फसलें पाले से ज्यादा प्रभावित होती हैं, जबकि गेहूं, जौ, अरहर, और गन्ना पर इसका अपेक्षाकृत कम असर होता है।
पाले से फसलों को कैसे बचाएं?
पाले से फसल को बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- आग और धुआं: शाम के समय खेतों के किनारे आग जलाकर धुआं करें। इससे वातावरण का तापमान बढ़ता है और पाले का प्रभाव कम होता है।
- सिंचाई: खेत में हल्की सिंचाई करने से मिट्टी का तापमान स्थिर रहता है और फसल को पाले से बचाया जा सकता है।
- सल्फर का छिड़काव: सल्फर (गंधक) का छिड़काव पाले से बचाने में मदद करता है।
- वायुरोधी टाटियां: खेतों के किनारों पर वायुरोधी टाटियां लगाने से ठंडी हवाओं का प्रभाव कम होता है।
तापमान वृद्धि से पानी की आवश्यकता बढ़ती है
विशेषज्ञों का कहना है कि तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री की वृद्धि से फसलों के लिए पानी की आवश्यकता 10% तक बढ़ जाती है। ऐसे में किसान को सिंचाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
किसानों के लिए सुझाव -
कृषि वैज्ञानिकों का सुझाव है कि किसान मौसम विभाग की सलाह पर ध्यान दें और फसलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं। साथ ही, आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग करके फसल की उत्पादकता को बनाए रखें।
भारत में गेहूं की फसल को मौसम की मार से बचाने के लिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है। पाले से निपटने के लिए समय पर उपाय किए जाने चाहिए ताकि फसल को अधिकतम लाभ और नुकसान से बचाया जा सके। किसानों की जागरूकता और सतर्कता ही इस समस्या का समाधान है।