Kartik Purnima 2021: कार्तिक पूर्णिमा पर इन जगहों पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Kartik Purnima 2021: उत्तर प्रदेश में कोरोना काल के चलते दो साल से तामम बंदिशों के बाद जब राहत मिली तो गंगा घाटों पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार तड़के ही गंगातट पर स्नान ध्यान करने वालों का सिलसिला शुरू हो गया था।

Newstrack :  Network
Published By :  Deepak Kumar
Update:2021-11-19 11:08 IST

कार्तिक पूर्णिमा 2021।

Kartik Purnima 2021: उत्तर प्रदेश में कोरोना काल के चलते दो साल से तामम बंदिशों के बाद जब राहत मिली तो गंगा घाटों पर श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) पर शुक्रवार तड़के ही गंगातट पर स्नान ध्यान करने वालों का सिलसिला शुरू हो गया था। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने तट पर बैठे पुरोहितों को दान-दक्षिणा दी। इसके अलावा तमाम श्रद्धालुओं ने गंगा तट भगवान सत्य नारायन की कथा सुनी। गंगा स्नान के लिए लोगों के आने का सिलसिला थमा नहीं।

बुलंदशहर में कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी

अनूपशहर में मुख्य स्नान पर उमड़ा आस्था का जन सैलाब, बांस-बल्लियों के सहारे श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगा गंगा स्नान किया। छोटी काशी में एक सप्ताह तक चलने वाले कार्तिक पूर्णिमा मेला में आज हज़ारों श्रद्धालु पहुँचे। गंगा की विशाल रेती में श्रद्धालुओं ने अस्थाई नगर बसा लिया है।

कार्तिक पूर्णिमा मेले में कार्तिक पूर्णिमा मेला गंगा के तलहटी के लगभग 7 किलोमीटर क्षेत्र में कार्तिक मेला फैला हुआ है। यह मेला सोलहवीं शताब्दी से लगा आ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले के सबसे बड़े इस ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं, किंतु इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने में अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार उदासीन बनी है।

गुरुवार की रात्रि से ही दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान के अलावा आस-पास के जनपदों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु जल्द पहुंचने लगे । भैंसा-बुग्गी, ट्रैक्टर-ट्रालियों में आए श्रद्धालुओं ने पुल के नीचे गंगा की रेती में अस्थाई तंबू-डेरा डाल दिये।

दोपहर के समय मेले में आए युवकों ने गंगा की रेती में कुश्ती, कबड्डी, ताश व बच्चों के खिलौनों से खेल कर अपना मनोरंजन कर रहे हैं। गंगा स्नान के लिए नगर के जहान्वी घाट, त्रिवेणी घाट, शिव स्वरूप घाट, कुंज घाट, पुल के निकट अस्थाई घाटों पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ जुटी हुई है।

श्रद्धालुओं ने बांस-बल्लियों के सहारे से स्नान किया। गढ़ मेले के बाद दूसरा स्थान छोटी काशी का आता है। प्रशासन ने गंगा किनारे बल्ली गाड़ कर रात्रि के समय रोशनी, अस्थाई शौच, पीने का पानी व सफाई के लिए अतिरिक्त सफाई कर्मियों को तैनात किया गया है। पुल के नीचे पुलिस, चिकित्सा, पशु चिकित्सा, खोया-पाया के पालिका कैंप लगाकर सेवा कर रहे हैं। गंगा घाट पर पहुंचे हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा की गोद में आस्था की डुबकी लगाकर गंगा स्नान किया।

गंगा मेले में 3 जोनल, 9 सेक्टर मजिस्ट्रेट रहे तैनात

अनूपशहर के कार्तिक पूर्णिमा मेला के दौरान व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर 3 जोन तथा 9 सेक्टर में वितरित किया गया है। शुक्रवार को मेला क्षेत्र को तीन जोन जेपी घाट, बगस्टर गंज क्षेत्र, पुल क्षेत्र के रूप में बांटा गया। 1 जोन में 3 सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात हैं। यह सभी मजिस्ट्रेट अलग-अलग विभागों के हैं।

गंगा में सुरक्षा के लिए प्रत्येक स्नान क्षेत्र के गोताखोर सहित नावों को तैनात किया गया है। सभी नागरिकों को पास टॉर्च, लाइट, लाइफ बेल्ट, रस्ता आदि सामान रखा गया है। तीनों स्थानों पर अग्नि शमन की गाड़ियों के साथ एंबुलेंस की गाड़ियों को भी तैनात किया गया है। लक्खी मेले में आये श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े या मेले में कोई घटना ना घटे इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने सीयूजी नंबर उपलब्ध भी कराए हैं।

कार्तिक मेला में कार्यरत अधिकारियों के मोबाइल नंबर

मेला मजिस्ट्रेट - बीके गुप्ता - 9454416732

तहसीलदार - बालेंदु भूषण वर्मा -

9454416741

पुलिस उपाधीक्षक - रमेश चंद्र त्रिपाठी -

9454401554

कोतवाली निरीक्षक - प्रेम चंद्र शर्मा -

9454403151

विधुत व्यवस्था - शाहवे आलम -

7417755881

अधिशासी अधिकारी - संजय वर्मा- 9451453349

पालिकाध्यक्ष - ब्रजेश शर्मा -

9927228034

सफाई निरीक्षक - संजय सिंह -

8077546593

पीलीभीत में कार्तिक पूर्णिमा स्नान


कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का पर्व मनाया जाता है। साथ ही साथ गंगा स्नान पर्व पर मेले का आयोजन किया जाता है।

बीते दो सालों से कोरोना के चलते मेले का आयोजन नहीं हुआ था। ऐसे में आज कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान पर्व पर मेले का आयोजन किया गया है।

जनपद में तीन प्रमुख स्थानों पर मेले का आयोजन होता है। यहां लाखों की संख्या में गंगा स्नान पर्व पर श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना कर लगाई आस्था की डुबकी।

पीलीभीत जनपद के ब्रह्मचारी घाट, चक्रतीर्थ, और गोमती उद्गम स्थल पर रही श्रद्धालुओं की भीड़।

कानपुर का कार्तिक पूर्णिमा स्नान

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) स्नान के लिए सुबह चार बजे से लोग घरों से निकल पड़े। बिठूर में तो कानपुर (Kanpur) ही नहीं आसपास के जिलों से सैकड़ों लोगों के पहुंच जाने से जाम जैसी स्थिति बन गई। हालांकि पहले से ही मेला क्षेत्र में बड़े वाहनों पर प्रवेश के लिए रोक लगा दिया गया था।

इसके बावजूद सभी रास्ते ठसाठस भरे हुए थे। परियर पुल से कोई भी बड़ा वाहन नहीं आने दिया गया। मेले में चौपहिया व ट्रैक्टर ट्रॉली को रोकने के लिए प्रमुख स्थानों पर पुलिस ने बेरीकेडिंग करवा दी थी। दोपहिया वाहन सवार गंगा घाट के करीब तक जा सके। स्नानार्थियों की भारी भीड़ के चलते गंगातट पर तिल रखने की जगह नहीं बची थी।

संगम नगरी प्रयागराज में कार्तिक पूर्णिमा स्नान

वहीं, संगम नगरी प्रयागराज (Prayagraj) में भी सूर्य उपासना के महीने कार्तिक मास के अंतिम स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) पर गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी और बलुआ घाट (Triveni and Balua Ghats) में आस्था की एक डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है।

दूर-दूर से आये हजारों श्रद्धालु कालिंदी की धारा में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्ध्य दे रहे हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना कर साल भर अपने परिवार के निरोग रहने की कामना कर रहे हैं। सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही हजारों श्रद्धालु इकट्ठे हो गए थे। कई घाटों पर तो तिल रखने की भी जगह नहीं बची। ग्रह नक्षत्रों के दुर्लभ संयोग की वजह से इस बार कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) के स्नान का विशेष महत्व है।

वाराणसी में कार्तिक पूर्णिमा स्नान

इसी तरह से वाराणसी के दशाश्वमेध घाट (Dashashwamedh Ghat of Varanasi) से लेकर अस्सी घाट की लंबी शृंखला पर अलग-अलग घाटों पर लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है। कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) का स्नान करके हर कोई ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त कर रहा है।

ऐसी मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima 2021) पर गंगा स्नान से पापों मुक्त मिलती है। कार्तिक महीने में स्नान करने से पूरे कार्तिक महीने में स्नान का फल एक ही दिन के स्नान से प्राप्त होता है। इसलिए हर कोई मां गंगा में डुबकी लगा कर पुण्य का भागी बनना चाह रहा है।


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